अपराध के खबरें

मकर संक्रांति विशेषांक 2020 :इस दिन को मकर संक्रांति मनाई जाएगी



शनि मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है!

राजेश कुमार वर्मा

इस बार संक्राति गर्दभ पर सबार होकर आ रही है और संक्राति का उप वाहन मेष है!

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । मकर संक्रांति विशेषांक 2020 ।
इस बार 15 जनवरी बुधवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी! 14जनवरी, मंगल वार के संध्या काल मे सूर्य मकर राशि मे प्रवेश कर रहा है! संक्रांति का पुण्य काल स्नान सूर्योदय पर किया जाता है, अतः मकर संक्रांति 15 जनवरी बुधवार को मनाया जाएगा! इस बार संक्राति गर्दभ पर सवार होकर आ रही है और संक्राति का उप वाहन मेष है! संक्राति गर्दभ पर सवार होकर गुलाबी वस्त्र धारण करके, मिठाई भक्षण करते हुए दक्षिण से पश्चिम दिशा की ओर जाएगी! पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और शोभन योग मे मकर संक्रांति पड़ने से इसका महात्म्य और बढ़ जाता है!
मकर संक्रांति पूरे भारत में मनाया जाता है साथ ही इसको इसे अपने अपने क्षेत्र के अनुसार अलग अलग नामों से भी जाना जाता है और अपने अपने क्षेत्रीय परम्परा अनुसार भी मनाते है!
मकर संक्रांति पर कई कथा प्रचलित है! ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से भी मिलने के लिए उनके लोक जाते है! शनि मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है! य़ह भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के ही दिन भागीरथ के पीछे पीछे मां गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर मे मिली थी! एक और मान्यता है कि तीरों के शैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन चयन किया था! और भी कई कथा हमें मकर संक्रांति पर मिलती है!वैज्ञानिक दृष्टि से य़ह सत्य माना जाता है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 365 दिन व 6 घंटे में पूरा करती है! चंद्र गणना के अनुसार 354 दिन का एक वर्ष मना जाता है, इस प्रकार सूर्य गणना व चंद्र गणना के तरीके मे प्रत्येक वर्ष 11 दिन तीन घड़ी व 46 पल का अन्तर हो सकता है! इसी कारण प्रमुख त्योहारों की तिथियां मे आगे पीछे हो जाती है! वैसे हम य़ह कह सकते है के बेशक पंचांग की गणना चंद्र गणना से निर्धारित हो परंतु मिथिला में मास का राजा संक्राति को ही माना जाता है! जो वैज्ञानिक दृष्टि से भी सही है! मकर संक्राति भगवान सूर्य से जुड़ा है, जो 12 राशियों में प्रवेश करता है, राशि प्रवेश को संक्राति कहा जाता है! सनातन धर्म अनुसार जिस वर्ष सूर्य का मकर राशि संध्या या संध्या बाद हो तो उस वर्ष मकर संक्राति दूसरे दिन सुबह यानी 15 जनवरी को मान्य होती है! शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मक तथा उत्तरायण को सकारात्मक का प्रतीक माना गया है! इसलिये इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है! एसा माना जाता है कि इस दिन शुद्ध घि और कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है!
मकर संक्रांति में खासकर सूर्य को कुश के साथ जल अर्पण करने से सकारत्मक का अनुभव कर सकते है। शनि देव को काला तिल और तिल तेल का दीपक भी अर्पण करना चाहिए!
इस दिन गुड़ और तिल से बने लड्डू और खिचड़ी का भी विशेष महत्व है! मकर संक्राति के दिन से एक तिल के बराबर दिन बढ़ने लगता है! वैसे भी सर्द में दिन छोटा होने से कार्य कम हो पाता है जबकि दिन बढ़ने से थोड़ा अधिक संपन्न हो पाता है!अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाय तो मकर संक्राति के दिन नदियों और तालाबों में उष्णता बढ़ती है जिसमें स्नान करने से कई को कम कर सकती है! , तिल और गुड़ की लड्डू शरीर के रोग प्रतिरोधक क्ष्मता को बढ़ाता है और खिचड़ी सुपाच्य आहार होता है जो पाचन शक्ति के लिए उत्तम है! जब हमलोग कोई भी पर्व त्योहार मनाते है तो निश्चित रूप से वो धार्मिक और वैज्ञानिक प्रभाव को दर्शाता है जो अति महत्तवपूर्ण है! मकर संक्रांति से शुद्ध मास आरंभ हो जाता है जिससे कई शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ कर सकते है!
15 जनवरी 2020, बुधवार
मकर संक्रांति पुण्यकाल -प्रा:त 07:52 से दिन के 2:16 तक !
पंकज झा शास्त्री
9576281913
नोट - ज्योतिष, हस्तलिखित जन्मकुंडली, वास्तु, पूजा पाठ, महा मृत्युंजय जाप, बगुलामुखी जाप एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए संपर्क कर सकते है! समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

إرسال تعليق

0 تعليقات
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live