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इस गांव में प्याज महंगी होने से कोई लेना-देना नहीं

रोहित कुमार सोनू


देश में प्याज की कीमतें बेतहाशा बढ़ने के बाद जहां लोग सस्ते प्याज के लिए चर्चा  कर रहे हैं और सरकार पर हमला कर रहे हैं लेकिन  बिहार में एक ऐसा गांव भी है जहां के लोगों को प्याज महंगी होने से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि वे कभी प्याज खाते ही नहीं.बिहार में एक ऐसा गांव भी है जहां के लोगों को प्याज महंगी होने से कोई लेना-देना नहीं है। इसकी वजह ये है क्योंकि वे कभी प्याज खाते ही नहीं। वहीं राज्य के बाकी गांवों व शहरों में प्याज की कीमत में हुए भारी इजाफे के कारण लोगों के रसोई का बजट गड़बड़ा गया है।इस वक़्त पटना के खुदरा बाजारों में प्याज की कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। लेकिन बिहार के जहानाबाद जिले के चिरी पंचायत के गांव में प्याज की बढ़ी कीमतों का यहां के लोगों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा है।

एक और देश का बाकी हिस्सा जहां आएं दिन प्याज के बढ़ते दाम से परेशान है वहीं जहानाबाद जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर त्रिलोकी बिगहा गांव के लोगों को प्याज की बढ़ी कीमतों से कोई दिक्कत नहीं है। इस गाांव में 30 से 35 घर यादव जाति के हैं।समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार हुलासपुर प्रखंड की चिरी पंचायत के त्रिलोकी बिगहा गांव के लोग प्याज और लहसुन न खाने का कारण गांव में ठाकुरबाड़ी (मंदिर) का होना बताते हैं. गांव की सुबरती देवी कहती हैं कि उनके गांव में एक ठाकुर जी का मंदिर है, जिस कारण उनके पुरखों ने गांव में प्याज खाना प्रतिबंधित किया था, जो आज भी जारी है.
वह दावे के साथ कहती हैं कि 40-45 साल पहले किसी ने इस प्रतिबंध को तोड़ने की कोशिश की थी, मगर उस परिवार के साथ कोई अशुभ घटना घट गई थी, उसके बाद लोग प्याज खाने की हिम्मत भी नहीं करते।
(इस खबर को मिथिला हिन्दी न्यूज  टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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