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नवोदय के छात्र ने aiims द्वारा आयोजित 1 सीट के लिए MCH का देश भर में परीक्षा हुआ जिसमें निकेत हर्ष पास कर जिला का नाम किया रौशन


अमरदीप नारायण प्रसाद

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । नवोदय के छात्र ने aiims द्वारा आयोजित 1 सीट के लिए MCH का देश भर में परीक्षा हुआ जिसमें निकेत हर्ष पास कर जिला का नाम किया रौशन ।
 डाक्टर निकेत हर्ष ने समस्तीपुर का मान बढ़ाया, चारों तरफ़ हर्ष ही हर्ष...
यूँ तो कहा जाता है कि नाम में क्या रखा है लेकिन हकीकत यह है कि नाम में सबकुछ रखा है।
 इसीलिए नामाकरण एक संस्कार है जो भविष्य को दर्शाता है साथ ही उसके गुणों को भी ।
 वैसे तो मेहनत सभी करते हैं लेकिन किस्मत और मेहनत का समावेश बहुत कम ही जगह हो पाता है और दिखलाई पड़ता है। इसका बेहतरीन नजीर है डाक्टर फुलेन्द्र भगत और डायरेक्टर मधु भगत का पुत्र डाक्टर निकेत हर्ष जिसने ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साईन्स, नई दिल्ली द्वारा आयोजित सिर्फ़ एक सीट के लिए कड़ी स्पर्धा में मुकम्मल कामयाबी हासिल किया है । यह परीक्षा एम.सी.एच.(मास्टर आफ़ कैरियोलाजी डिपार्टमैंट) के द्वारा जी.आई. (गैस्ट्रो इन्टेस्टीनल सर्जरी एंड लीवर ट्रांसप्लांटेशन ) के लिए आयोजित किया गया था।
 यह परीक्षा विगत तीन नवम्बर को स्टेज वन और अट्ठारह नवम्बर को स्टेज टू यानी दो फेज में हुआ था।
      दरअसल, दसवी वर्ग नवोदय विद्यालय, समस्तीपुर और प्लस टू डी.पी.एस. मथुरा रोड, नई दिल्ली से करने वाले एकतीस वर्षीय निकेत हर्ष एम.बी.बी.एस. व एम.एस.ख्यातिलब्ध मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल,नई दिल्ली से किया है । आगे रिसर्च के लिए 2009 में जर्मनी गये ।
 यहाँ वे कृत्रिम लीवर पर काम किया।
 हालाँकि कृत्रिम लीवर बनाने में विश्व के किसी देश के डाक्टर को कामयाबी अभी तक हासिल नहीं हुआ है।
बावजूद इसके इस खोज पर डा.निकेत हर्ष बहुत आगे बढ़ चुके हैं।
 सर्जरी में महारत हासिल करने वाले डा० निकेत हर्ष बताते हैं कि स्टेज वन और स्टेज टू तक कैंसर जैसे रोग को सर्जरी से ठीक किया जा सकता है।
लेकिन स्टेज थर्ड और स्टेज फोर्थ के कैंसर रोग का इलाज अभी तक पूरे विश्व में सम्भव नहीं है।
इसमें आ रही कठिनाई के बारे में डा० हर्ष बताते हैं कि रोगी के रोग के प्रोफाईल में बराबर परिवर्तन होते रहता है।
      वस्तुतः प्राप्त सफलता में तीन वर्ष का कोर्स है । इसमें लीवर का पुनर्स्थापना (Liver Transplantations) और पाचन तन्त्र में कैंसर का सर्जरी (Surgery of Cancer in Digestive System) । इसे मेडिकल के शब्दों में सर्जीकल ट्रेनिंग कहा जाता है । डॉ० निकेत हर्ष बचपन से ही मेधावी थे और चिकित्सा शिक्षा से विशेष लगाव रखते थे जो इन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है । तभी तो जब इन्हें अंग्रेजी लिखना भी नहीं आता तब ये हिन्दी में ही " टैबलट " 1+3 लिखते थे । माँ मधु भगत जब पुछती थी ये क्या लिखा है तो बताते थे " पापा लिखते हैं वही लिखा हूँ।
 " सिक्स क्लास में जब शिक्षक ने पूछा था कि आगे चल कर क्या बनोगे तो तपाक से जवाब दिये कि डाक्टर बनूँगा और लीवर ट्रांसपलेन्ट करूंगा तब उनके शिक्षक को घोर आश्चर्य हुआ था ।
   अपनी कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहेंगे इसके जवाब में डॉ० निकेत हर्ष बताते हैं कि मेरे कामयाबी में माँ मधु भगत का कड़ा अनुशासन के साथ साथ समय की पाबंदी और वात्सल्यपूर्ण सहयोग और पिता डॉ० फूलेन्द्र भगत का मेडिकल टिप्स के साथ साथ ब्रह्ममूहुर्त में पढ़ाई और विपरीत परिस्थिति में भी सदा खुश रहने की प्रवृत्ति ने मुझे इस मुकाम पर पहुँचाया है। भाई आई.ए.एस.टापर सुहर्ष भगत की बात मुझे सदा याद रहती थी कि महाभारत में जिस तरह से अर्जुन को सिर्फ़ मछली की आँख की पुतली दिखाई देती थी उसी तरह से तुम्हें सिर्फ़ और सिर्फ़ अपना लक्ष्य दिखाई देनी चाहिए।
और तब तक नहीं मिलना मुझसे जब तक कामयाबी हासिल नहीं हो जाये। वही भाभी आई.पी.एस.लिपी सिंह की बात हमेशा मजबूती प्रदान करता था कि "जिद के आगे जीत है " इसीलिए कामयाबी के लिए जिद्दी बनिये तब तक जब तक कि कामयाब न हो जाईये । इस प्रकार माँ ,पिता ,भाई और भाभी का अहम भूमिका है मेरे इस कामयाबी के पीछे ।क्या आप अपने भाई और भाभी की तरह एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में जाएंगे के जवाब में डॉ० निकेत हर्ष ने तत्क्षण जवाब दिया बिल्कुल नहीं । मैं डाक्टरी के क्षेत्र में ही रह कर मानव स्वास्थ्य के बेहतरी के लिये काम करूंगा और सेवा करूंगा । आगे आने वाले डाक्टर के नई पीढ़ी को क्या संदेश देंगे के जवाब में डॉ० निकेत हर्ष ने कहा कि इस डाक्टरी के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा छात्रों को आना चाहिए क्योंकि भारत में डाक्टर की बहुत कमी है संख्या के अनुपात में । हालाँकि इसकी पढ़ाई बहुत कठिन है और समय भी ज्यादा लगता है।
लेकिन धैर्य ,एकाग्रचित्तता और लगन से पढ़ने वालो को कामयाबी जरुर मिलती है।
फिर जब बीमार की सेवा करते हैं और उसे बीमारी से निजात मिलता है तो असीम खुशियाँ और संतुष्टि मिलती है। तब लगता है कि मानव जीवन सफ़ल हो गया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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