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सरकार जनता को चुने यह बर्दाश्त नहीं- कविता कृष्णन


देश बड़े आंदोलन के मुहाने पर - धीरेन्द्र झा

 सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर के खिलाफ सत्याग्रह 05वें दिन भी जारी रहा

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 14 जनवरी '20 ) । सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर का सीधा अर्थ है कि पहले जनता सरकार चुनती थी । इस कानून को लागू होते ही अब सरकार जनता को चुनेगी। इसे भारत जैसा सेकुलर देश बर्दाश्त नहीं करेगी। ये बाते आज संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बस स्टैंड में आहूत सत्याग्रही को संबोधित करते हुए भाकपा माले पोलिट ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने कहा। उन्होंने महंगाई, रोजगार, कालाधन, भ्रष्टाचार आदि मुद्दे पर जब कोई बे, तर काम नहीं कर सके तो लगातार जन विरोधी मुद्दे मसलन जीएसटी, नोटबदी , सीएए, एनआरसी, एनपीआर आदि लाकर लोगों को परेशान कर रहे हैं। पहली बार नागरिकता की परिभाषा में धर्म को घूसाया गया। इस काला कानून में आधारकार्ड, मतदाता पहचान-पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि का कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए माले मिथिलांचल प्रभारी धीरेन्द्र झा ने कहा कि भारत किसी भी सरकार को बाबा साहब अंबेडकर का बनाया संविधान बदलकर मनुवादी संविधान लाने का इजाजत नहीं देगा। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हमें गाँव- टोले में सधन जनसंपर्क अभियान चलाना चाहिए।इस काले कानून के खिलाफ संपूर्ण विपक्ष को एकताबद्ध होकर संघर्ष चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ 25 जनवरी को पूरे बिहार में कई दलों को साथ लाकर मानव श्रृंखला बनाया जाएगा। उन्होंने इसे सफर बनाने की अपील बिहारवासियों से की।
  सीएए, एनआरसी एवं एनपीआर वापस लेने की मांग पर संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले 10 जनवरी से मुख्यालय स्थित सरकारी बस स्टैंड में आहूत सत्याग्रह को 5वें दिन भी जारी रहा।
  सत्याग्रह स्थल पर मंगलवार को आहूत घरना की अध्यक्षता रजिउल इस्लाम, अजय कुमार, एवं जीवन पासवान की अध्यक्ष मंडली ने की। संचालन सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने किया। सत्यनारायण सिंह, रधुनाथ राय, गंगा प्रसाद पासवान, मो० फरमान, जियाउर रहमान, ताहूर अनवर, पप्पू खान, शम्श तबरेज, खालिद अनवर, मो० हसनैन, रजिऊल इस्लाम, फारूख अब्दुल्ला, मो० अंबर आलम, मो० तौकीर, मो० गुफरान, मसूद जावेद, मो० सगीर, सुनील कुमार, फैजुर रहमान फैज, तनवीर तनहा समेत दर्जनों वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया।
   मौके पर वक्ताओं ने नागरिकता कानून को जनविरोधी कानून के साथ ही आजाद भारत का काला कानून बताकर केंद्र की मोदी- शाह सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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