अपराध के खबरें

गणतंत्र दिवस विशेष:ग्यारह रुपये गुरु दक्षिणा देकर इस गुरुकुल से बनते हैं छात्र अधिकारी जान कर होंगे हैरान !



   अनूप कुमार सिंह

 पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । देश में मेडिकल, इंजीनियरिंग, बैंकिंग, आईएएस, आईपीएस जैसे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ना जाने कितने कोचिंग इंस्टीट्यूट होंगे. कोचिंग संस्थान चलाने वाले संचालक अपने कोचिंग के प्रचार-प्रसार के लिए ना जाने कौन-कौन से हथकंडे अपनाते होंगे. कोचिंग चलाने के नाम पर छात्रों से रकम वसूलने के किस्से भी आए दिन सुनने को मिलते रहते है. लेकिन इन सबके बीच बिहार की राजधानी पटना में एक ऐसा कोचिंग है जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे.
छात्रों से ली जाती है सिर्फ 11 रुपये गुरु दक्षिणा
पटना के नया टोला में साल 1994 से चल रहे अदम्य अदिति गुरुकुल के नाम से मशहूर कोचिंग संस्थान के संचालक रहमान हैं जिन्हें प्यार से छात्र गुरु रहमान के नाम से पुकारते हैं. गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां अन्य कोचिंग संस्थानों की तरह फीस के नाम पर भारी-भरकम रकम की वसूली नहीं की जाती, बल्कि छात्र-छात्राओं से गुरु दक्षिणा के नाम पर महज 11 रुपये लिए जाते हैं. 11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक ना जाने कितने छात्र-छात्राओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाओं में सफलता हासिल की है. 1994 में जब बिहार में चार हजार दरोगी की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी तो उस परीक्षा में गुरुकुल से पढ़ाई करने वाले 1100 छात्रों ने सफलता हासिल की थी.
इस गुरुकुल में पढ़ते हैं कई राज्यों के बच्चे
पटना के नया टोला में चलने वाले गुरुकुल में ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहार के छात्र पढ़ते हैं बल्कि गुरुकुल में झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी छात्र आकर गुरु रहमान से टिप्स लेते हैं. गुरुकुल में हर साल प्रतियोगिता परीक्षाओं के परिणाम निकलने के समय जश्न का माहौल रहता है. ऐसी एक भी प्रतियोगिता परीक्षा नहीं होती जिसमें गुरुकुल से दीक्षा हासिल किए छात्र सफलता नहीं पाते हों.
गुरु रहमान को है वेदों का अच्छा ज्ञान
गुरुकुल के संचालक मुस्लिम समुदाय के हैं, इसके बाबजूद रहमान को वेदों का अच्छा ज्ञान है. गुरुकल में वेदों की भी पढ़ाई होती है. रहमान एक गरीब परिवार से हैं यही कारण है उन्हें गरीब छात्र-छात्राओं की दर्द का एहसास है. गरीब छात्रों को ही ध्यान में रखकर रहमान ने गुरुकुल की शुरुआत की थी. रहमान का मानना है कि गरीबी का मतलब लाचारी नहीं होता बल्कि गरीबी का मतलब कामयाबी होता है. जिसे जिद और जुनून से हासिल किया जा सकता है. जो गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र करते हैं। अनूप कुमार सिंह की रिपोर्टिंग को राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live