रोहित कुमार सोनू
स्वामी विवेकानंद की 158 वीं जयंती मना रहा है। स्वामीजी की 158वीं जयंती वर्ष को बिहार के हर जगह का युवा यादगार बनाने की तैयारी में जुट गए हैं क्योंकि बिहार से उनका विशेष लगाव था। स्वामी विवेकानंद का बिहार के सारण से विशेष लगाव का कारण लाटू महाराज है। लाटू महाराज स्वामीजी के ज्येष्ठ गुरूभाई थे और उनके साथ हमेशा साये की तरह खड़े रहते थे। स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती वर्ष के अवसर पर होने वाले आयोजन को लेकर राष्ट्रीय युवा दिवस पर 12 जनवरी को विशेष सभा व बैठक का आयोजन किया गया है।इस 158 वर्षाें में भारत में कई बदलाव आये है। देश कई घटनाओं का प्रत्यक्ष गवाह बना है। देश की एक चौथाई से ज्यादा जन संख्या युवाओं की हो गयी है। जिसे अपनी ओर लुभाने के लिये मल्टीनेशनल कम्पनियों ने अपनी ताकत ताकत लगी हुई है। इस विषम परिस्थिति में भारत के युवाओं को स्वामी विवेकानंद की ध्येय वाक्य उठो, जागो और आगे बढ़ों आज भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। आज के आधुनिक युवा जो रोजगार मुखी हो गया है। वह भी अध्यात्मिक शांति के लिये स्वामी जी के बताते मार्गाें पर चलने के लिये तैयार है। बदलते जमाने में के यूथ आइकन्स तो बदल रहे है। लेकिन स्वामी जी की विचार से वे प्रभावित है।स्वामी विवेकानंद हमेशा युवों के लिये ही चिंतन करते थे। 40 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था। राष्ट्र के प्रति हमेशा युवाओं को जगाने के कार्य करते रहे। उनकी जितनी भी विचार पुस्तक एवं समभाषण थे। वे युवाओं को राष्ट्र के प्रति सचेत करने वाले थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को आधुनिक शिक्षा व तकनीकी को ग्रहण कर प्रेरणा देते थे। इसी लिये उनके जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद को नव्य वेदांती कहा जाता है। उन्होंने वेदांत की नयी व्याख्या की थी। धर्म के जीवन परिस्थिति के लौकीक एवं अध्यात्मिक व्याख्या की। भारत के सामाजिक व्यवस्था कीउन्होंने सूक्ष्म अध्ययन किया था। वे आर्थिक, शारीरिक गुलामी के बदले मानसिक गुलामी से बचने के लिये हमेशा युवाओं का आह्वान करते थे। स्वामी जी युवाओं को स्वस्थ रहने की प्रेरणा देते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि युवाओं को धर्मग्रंथ पढ़ने के बदले मैदान में फुटबाल ज्यादा खेलना चाहिए तभी राष्ट्र का निर्माण होगा।
12 जनवरी को युवा दिवस है। कार्यक्रमों की धूम रहेगी।
स्वामी विवेकानंद की 158 वीं जयंती मना रहा है। स्वामीजी की 158वीं जयंती वर्ष को बिहार के हर जगह का युवा यादगार बनाने की तैयारी में जुट गए हैं क्योंकि बिहार से उनका विशेष लगाव था। स्वामी विवेकानंद का बिहार के सारण से विशेष लगाव का कारण लाटू महाराज है। लाटू महाराज स्वामीजी के ज्येष्ठ गुरूभाई थे और उनके साथ हमेशा साये की तरह खड़े रहते थे। स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती वर्ष के अवसर पर होने वाले आयोजन को लेकर राष्ट्रीय युवा दिवस पर 12 जनवरी को विशेष सभा व बैठक का आयोजन किया गया है।इस 158 वर्षाें में भारत में कई बदलाव आये है। देश कई घटनाओं का प्रत्यक्ष गवाह बना है। देश की एक चौथाई से ज्यादा जन संख्या युवाओं की हो गयी है। जिसे अपनी ओर लुभाने के लिये मल्टीनेशनल कम्पनियों ने अपनी ताकत ताकत लगी हुई है। इस विषम परिस्थिति में भारत के युवाओं को स्वामी विवेकानंद की ध्येय वाक्य उठो, जागो और आगे बढ़ों आज भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। आज के आधुनिक युवा जो रोजगार मुखी हो गया है। वह भी अध्यात्मिक शांति के लिये स्वामी जी के बताते मार्गाें पर चलने के लिये तैयार है। बदलते जमाने में के यूथ आइकन्स तो बदल रहे है। लेकिन स्वामी जी की विचार से वे प्रभावित है।स्वामी विवेकानंद हमेशा युवों के लिये ही चिंतन करते थे। 40 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था। राष्ट्र के प्रति हमेशा युवाओं को जगाने के कार्य करते रहे। उनकी जितनी भी विचार पुस्तक एवं समभाषण थे। वे युवाओं को राष्ट्र के प्रति सचेत करने वाले थे। उन्होंने हमेशा युवाओं को आधुनिक शिक्षा व तकनीकी को ग्रहण कर प्रेरणा देते थे। इसी लिये उनके जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद को नव्य वेदांती कहा जाता है। उन्होंने वेदांत की नयी व्याख्या की थी। धर्म के जीवन परिस्थिति के लौकीक एवं अध्यात्मिक व्याख्या की। भारत के सामाजिक व्यवस्था कीउन्होंने सूक्ष्म अध्ययन किया था। वे आर्थिक, शारीरिक गुलामी के बदले मानसिक गुलामी से बचने के लिये हमेशा युवाओं का आह्वान करते थे। स्वामी जी युवाओं को स्वस्थ रहने की प्रेरणा देते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि युवाओं को धर्मग्रंथ पढ़ने के बदले मैदान में फुटबाल ज्यादा खेलना चाहिए तभी राष्ट्र का निर्माण होगा।
12 जनवरी को युवा दिवस है। कार्यक्रमों की धूम रहेगी।