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आधुनिक युग में एक गुरुकुल चलाने वाले तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं में बिहार के छात्रों को बिना अर्थ लाभ के सफलता दिलाने वाले गुरु डॉ एम रहमान



अनुप नारायण सिंह

पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । आधुनिक युग में एक गुरुकुल चलाने वाले तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं में बिहार के छात्रों को बिना अर्थ लाभ के सफलता दिलाने वाले गुरु डॉ एम रहमान ।
कहते हैं कि जब इंसान सही मकसद के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है तो तमाम बाधाओं के बावजूद विजय को प्राप्त करता है बिहार की राजधानी पटना में इस आधुनिक युग में एक गुरुकुल चलाने वाले तथा प्रतियोगिता परीक्षाओं में बिहार के छात्रों को बिना अर्थ लाभ के सफलता दिलाने वाले गुरु डॉ एम रहमान ने फिर एक बार यह सिद्ध कर दिया है कि कठिन परिश्रम के साथ अगर आप अपनी मंजिल की तरफ बढ़े तो सफलता जरूर मिलती है बिहार दरोगा के अंतिम रूप से चयनित सभी सफल छात्रों पर उन्होंने दावा किया है कि सभी उन के मार्गदर्शन में तैयार हुए है.
 बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग के द्वारा बिहार दारोगा के अंतिम रूप घोषितकुल1665परीक्षाफल में अदम्या अदिति गुरुकुल के 1486 से ज्यादा छात्र - छात्राओं ने सफलता प्राप्त की है । कुल 1716 रिक्तियों में इस बार केवल 1665 योग्य उम्मीदवारों का चयन ही अंतिम रूप से बिहार दरोगा के लिए हुआ है.इस आशय की जानकारी गुरु डॉक्टर एम रहमान ने दी। 11रूपये की गुरुदक्षिणा में क्लर्क से कलेक्टर तक बनाने वाले बिहार के अनोखे शिक्षक का लोहा आज पूरे देश के शिक्षाविद मान रहे हैं। गरीब असहाय लाचार छात्रों के लिए यह संस्थान आशा की किरण है। पटना के नया टोला गोपाल मार्केट में चलने वाले इस गुरुकुल में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में छात्र और छात्रा सरकारी नौकरियों के लिए चयनित होते हैं। संस्थान के निदेशक मुन्ना जी ने बताया कि डॉक्टर एम.रहमान के नेतृत्व में इस संस्थान में छात्रों को प्रतियोगिता परीक्षाओं के चयन में अंतिम रूप में सफल बनाने तक तैयारी कराई जाती है।

इतने आइएएस और आइपीएस बना दिए

बिहार के पुर्णिया जिले की रहने वालीं मीनू कुमारी की भी भेंट रहमान से हुई। माली हालत अच्छी न होने के कारण रहमान ने उनसे भी सिर्फ 11 रूपये की फीस ली। और आज मीनू कुमारी भी आईपीएस हैं। गुरु रहमान क्लासेज से पढ़कर अब तक 60 छात्र-छात्राएं आइपीएस बन चुके हैं तो पांच स्टूडेंट आईएएस। इसमें सभी की पारिवारिक हालत खराब रही। जिन्हें महज 11 से सौ रुपये की फीस में ही रहमान ने कोचिंग देकर अफसर बना दिया। रहमान की कोचिंग से ही पढ़कर 2010 में संजीव कुमार आइएएस हुए। 2009 में रहमान के शिष्य गुड्डू कुमार आइआरएस बने।

यूं हुई कोचिंग की शुरुआत

वर्ष 1994 का वक्त। रहमान कहते हैं कि पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा होने के कारण वह आइपीएस बनना चाहते थे। कई प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठे। सफल भी हुए। मगर उन्होंने प्रतियोगी छात्रों को कोचिंग देनी शुरू की। उस वक्त बिहार में चार हजार सब इंस्पेक्टर्स पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला था। जब रिजल्ट आया तो रहमान स्टार बन गए। वजह कि उनकी कोचिंग से पढ़े 1100 छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षा में बाजी मारते हुए सब इंस्पेक्टर्स हो गए।
जाहिर सी बात है कि चार हजार मे से किसी कोचिंग के 1100 लड़के अगर सलेक्ट होंगे तो नेम-फेम चमकना लाजिमी है। पहले मध्यम दर्जे की प्रतियोगी परीक्षाओं की ही रहमान तैयारी करते रहे। मगर जब गाइडेंस लेकर 2002 में छात्र सादिकेआलम आइएएस बन गए तो रहमान के पास खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फिर रहमान ने सिविल सर्विस की कोचिंग भी देनी शुरू कर दी। पटना के गोपाल मार्केट स्थित रहमान की कोचिंग अदम्य अदिति गुरुकुल में इस वक्त दो हजार से ज्यादा छात्र यूपीएसससी, एसससी, बीपीएससी व अन्य क्लर्किल जॉब्स की कोचिंग ले रहे हैं। गुरु रहमान बताते हैं कि पूरे सफर में संस्थान के निदेशक मुन्ना जी उनके साथ रहे है इस अभियान को आंदोलन बनाने में कदम ताल मिलाते रहें है साथ ही साथ अदम्या अदिति गुरुकुल से जुड़े बिहार के श्रेष्ठ शिक्षकों का योगदान भी अहम है । समस्त्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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