अनुप नारायण नई दिल्ली, भारत ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय )
भारत में स्वर्ण आभूषणों और शिल्पकृत्यों के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जा रहा है। जिसके लिए केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा 15/01/2020 को अधिसूचना जारी किया गया है। जिसके कार्यन्वयन की समय सीमा एक वर्ष निर्धारित की गई है।
एक वर्ष की कार्यन्वयन अवधि के दौरान ,अतिरिक्त एसीइंग एवम हॉलमार्किंग केंद्रों की स्थापना निजी उधमियों द्वारा उन स्थानों पर की जाएगी जहाँ पर ऐसे केंद्रों की मांग होगी। ज्वेलरों की पंजीकरण प्रक्रिया को पुरा किया जाएगा और ज्वेलरों/खुदरा विक्रेताओं को अपने पुराने/मौजूदा स्टॉक को बेचने के लिए एक वर्ष का समय भी दिया जाएगा।
श्री पासवान ने सुचित की हॉलमकिंग को अनिवार्य बनाने का निर्णय उपभोक्ता और ज्वेलरों को लाभों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।हॉलमकिंग लोगो को कैरट में कमी के प्रति संरक्षित करती है।और यह सुनिश्चित करती है कि उपभोक्ता स्वर्ण आभूषणों को खरीदते समय धोखाधड़ी के शिकार न हो और उन्हें आभूषण पर चिन्हित शुद्धता के अनुरूप वस्तु प्राप्त हो।यह विनिर्माताओं को शुद्धता के क़ानूनी मानक को बनाये रखने के लिए भी बाध्य करती है।
बी.आई. एस. (हॉलमार्किंग ) विनियम,2018 को दिनांक 14/06/2018 को अधिसूचित किया गया था।बी.आईं.एस.,,अप्रैल,2000 से स्वर्ण आभुषणों की हॉलमार्किंग स्कीम का संचालन कर रहा है।दिनांक 31 दिसम्बर 2019 की स्थिति के अनुसार, देश मे 234 जिलों में 892 एसीइंग एवम हॉलमार्किंग केंद्र है।और अभी तक 28,849 ज्वेलरों को बी. आई. एस. पंजीकरण के तहत पंजिकृत किया गया है।
बी.एस. आईं अधिनियम,2016 में केंद्र सरकार द्वारा अधिदेशित स्वर्ण आभुषणों औऱ शिल्पकृत्यों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए धारा 14 तथा धारा 16 के अंतर्गत प्रावधन उपलब्ध है।यह स्वर्ण आभुषणों तथा शिल्पकृत्यों बेचने वाले सभी ज्वेलरों के लिए बी.एस. आई. में पंजीकृत करना तथा केवल हॉलमार्क चिन्हहित स्वर्ण आभुषणों तथा शिल्पकृत्यों बेचने के लिए अनिवार्य बनाएगा।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यु. सी.ओ) का मसौदा स्वर्ण आभुषणों तथा स्वर्ण शिल्पकृत्यों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के लिए 10 अक्टूबर 2019 को डब्लू.टी.ओ. की वेबसाइट पर टिप्पणीया प्राप्त करने हेतु 60 दिन की अवधि के लिए अपलोड किया गया था।मसौदा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यु. सी.ओ ) के सम्बंध में कोई टिप्पणी प्राप्त नही हुई है।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्वर्ण हॉलमार्किंग के सम्बंध में भारतीय मानक आई. एस.1417:2016 को शांशोधित किया गया और दिनांक 01 जनवरी 2017 से लागु किया गया।हॉलमार्क आभुषणों अब 14 कैरट ,18 कैरट ,22 कैरट के तीन ग्रेडों (पूर्व के 10 ग्रेडों के बजाय)
में उपलब्ध है।
उपभोक्ता की सुविधा के लिए अब ज्वेलरी पर शुद्धता के अलावा कैरेट भी अंकित किया जाता है अर्थात 22 कैरेट की ज्वेलरी के लिए 916 के अलावा 22 के अंकित किया जाएगा। वहीं
18 कैरेट ज्वेलरी के लिए 750 के अलावा 18 के अंकित किया जाएगा और 14 कैरेट ज्वेलरी के लिए 585 के अलावा 14k अंकित किया जाएगा।
स्वर्ण आभूषण पर हॉलमार्क के लिए अब निम्नलिखित 4 चिन्ह है।
1.कैरट में परीशुद्धता और शुद्धता (अथार्त 22 k 916)
2.ऐसे केंद्र का पहचान चिन्ह।
3. ज्वेलर का पहचान चिन्ह
देशभर में विभिनन स्थानों पर ज्वैलरों और उपभोक्ता के लिये अनिवार्य हॉलमार्किंग के सम्बंध में जागरूकता अभियान का आयोजन किया जाएगा।भारतीय मानक ब्यूरो भी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिये उपभोक्ता तक पहुंचने की योजना बना रहा है। अनुप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।
भारत में स्वर्ण आभूषणों और शिल्पकृत्यों के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जा रहा है। जिसके लिए केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा 15/01/2020 को अधिसूचना जारी किया गया है। जिसके कार्यन्वयन की समय सीमा एक वर्ष निर्धारित की गई है।
एक वर्ष की कार्यन्वयन अवधि के दौरान ,अतिरिक्त एसीइंग एवम हॉलमार्किंग केंद्रों की स्थापना निजी उधमियों द्वारा उन स्थानों पर की जाएगी जहाँ पर ऐसे केंद्रों की मांग होगी। ज्वेलरों की पंजीकरण प्रक्रिया को पुरा किया जाएगा और ज्वेलरों/खुदरा विक्रेताओं को अपने पुराने/मौजूदा स्टॉक को बेचने के लिए एक वर्ष का समय भी दिया जाएगा।
श्री पासवान ने सुचित की हॉलमकिंग को अनिवार्य बनाने का निर्णय उपभोक्ता और ज्वेलरों को लाभों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।हॉलमकिंग लोगो को कैरट में कमी के प्रति संरक्षित करती है।और यह सुनिश्चित करती है कि उपभोक्ता स्वर्ण आभूषणों को खरीदते समय धोखाधड़ी के शिकार न हो और उन्हें आभूषण पर चिन्हित शुद्धता के अनुरूप वस्तु प्राप्त हो।यह विनिर्माताओं को शुद्धता के क़ानूनी मानक को बनाये रखने के लिए भी बाध्य करती है।
बी.आई. एस. (हॉलमार्किंग ) विनियम,2018 को दिनांक 14/06/2018 को अधिसूचित किया गया था।बी.आईं.एस.,,अप्रैल,2000 से स्वर्ण आभुषणों की हॉलमार्किंग स्कीम का संचालन कर रहा है।दिनांक 31 दिसम्बर 2019 की स्थिति के अनुसार, देश मे 234 जिलों में 892 एसीइंग एवम हॉलमार्किंग केंद्र है।और अभी तक 28,849 ज्वेलरों को बी. आई. एस. पंजीकरण के तहत पंजिकृत किया गया है।
बी.एस. आईं अधिनियम,2016 में केंद्र सरकार द्वारा अधिदेशित स्वर्ण आभुषणों औऱ शिल्पकृत्यों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए धारा 14 तथा धारा 16 के अंतर्गत प्रावधन उपलब्ध है।यह स्वर्ण आभुषणों तथा शिल्पकृत्यों बेचने वाले सभी ज्वेलरों के लिए बी.एस. आई. में पंजीकृत करना तथा केवल हॉलमार्क चिन्हहित स्वर्ण आभुषणों तथा शिल्पकृत्यों बेचने के लिए अनिवार्य बनाएगा।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यु. सी.ओ) का मसौदा स्वर्ण आभुषणों तथा स्वर्ण शिल्पकृत्यों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के लिए 10 अक्टूबर 2019 को डब्लू.टी.ओ. की वेबसाइट पर टिप्पणीया प्राप्त करने हेतु 60 दिन की अवधि के लिए अपलोड किया गया था।मसौदा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यु. सी.ओ ) के सम्बंध में कोई टिप्पणी प्राप्त नही हुई है।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्वर्ण हॉलमार्किंग के सम्बंध में भारतीय मानक आई. एस.1417:2016 को शांशोधित किया गया और दिनांक 01 जनवरी 2017 से लागु किया गया।हॉलमार्क आभुषणों अब 14 कैरट ,18 कैरट ,22 कैरट के तीन ग्रेडों (पूर्व के 10 ग्रेडों के बजाय)
में उपलब्ध है।
उपभोक्ता की सुविधा के लिए अब ज्वेलरी पर शुद्धता के अलावा कैरेट भी अंकित किया जाता है अर्थात 22 कैरेट की ज्वेलरी के लिए 916 के अलावा 22 के अंकित किया जाएगा। वहीं
18 कैरेट ज्वेलरी के लिए 750 के अलावा 18 के अंकित किया जाएगा और 14 कैरेट ज्वेलरी के लिए 585 के अलावा 14k अंकित किया जाएगा।
स्वर्ण आभूषण पर हॉलमार्क के लिए अब निम्नलिखित 4 चिन्ह है।
1.कैरट में परीशुद्धता और शुद्धता (अथार्त 22 k 916)
2.ऐसे केंद्र का पहचान चिन्ह।
3. ज्वेलर का पहचान चिन्ह
देशभर में विभिनन स्थानों पर ज्वैलरों और उपभोक्ता के लिये अनिवार्य हॉलमार्किंग के सम्बंध में जागरूकता अभियान का आयोजन किया जाएगा।भारतीय मानक ब्यूरो भी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिये उपभोक्ता तक पहुंचने की योजना बना रहा है। अनुप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।