रोहित कुमार सोनू
युवा पीढ़ी जहां बेरोजगारी का दंश झेल रही है। पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बिहार के एक ऐसा गांव जो बेरोजगारी क्या होता है वहां के लोगों को पता नहीं है बिहार के शिवहर जिले के कोठिया गांव में कोई भी बेरोजगार नहीं है ऐसा नहीं है कि सब के सब शिक्षित है पर अपनी मेहनत के बदौलत किसानों ने पूरे बिहार में एक अलग पहचान बनाई है. वहां के किसानों ने खेती के बदौलत न सिर्फ गांव को विकसित कर दिया है, बल्कि गांव के अब कोई भी बेरोजगार भी नहीं है. इस गांव में खेतों से आपको हर तरह के चिज देखने को मिलेगा. जनकारी के अनुसार कोठिया गांव अब कोई परिचय का मोहताज नहीं है. यह गांव पूरे बिहार में विकास के रूप मे अपनी नई पहचान बना चुका है. किसान अपने मेहनत के बदौलत इस गांव के विकास में एक नई इबादत लिख रहा हैं. पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में तकरीबन साढ़े सात सौ एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती भरपुर होती है. आपको जान कर हैरानी होगी कि गांव का कोई पुरुष अब मेहनत मजदूरी करने के लिये दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गुजरात के साथ अन्य महानगरो में नहीं जाता है
युवा पीढ़ी जहां बेरोजगारी का दंश झेल रही है। पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बिहार के एक ऐसा गांव जो बेरोजगारी क्या होता है वहां के लोगों को पता नहीं है बिहार के शिवहर जिले के कोठिया गांव में कोई भी बेरोजगार नहीं है ऐसा नहीं है कि सब के सब शिक्षित है पर अपनी मेहनत के बदौलत किसानों ने पूरे बिहार में एक अलग पहचान बनाई है. वहां के किसानों ने खेती के बदौलत न सिर्फ गांव को विकसित कर दिया है, बल्कि गांव के अब कोई भी बेरोजगार भी नहीं है. इस गांव में खेतों से आपको हर तरह के चिज देखने को मिलेगा. जनकारी के अनुसार कोठिया गांव अब कोई परिचय का मोहताज नहीं है. यह गांव पूरे बिहार में विकास के रूप मे अपनी नई पहचान बना चुका है. किसान अपने मेहनत के बदौलत इस गांव के विकास में एक नई इबादत लिख रहा हैं. पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में तकरीबन साढ़े सात सौ एकड़ जमीन पर सब्जी की खेती भरपुर होती है. आपको जान कर हैरानी होगी कि गांव का कोई पुरुष अब मेहनत मजदूरी करने के लिये दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गुजरात के साथ अन्य महानगरो में नहीं जाता है