राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । जीवन मे हम सभी के ऊपर निश्चित रूप से सभी ग्रहों का कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ता ही है! चाहे कोई माने या न माने यह बात अलग है! वेसे बुध के उत्पति स्वभाव रंग आदि कई पहचान हमारे प्राचीन कई शास्त्र पुराण मे भी मिलता है!
भागवत पुराण के अनुसार बुध की स्थिति शुक्र से दो लाख योजन ऊपर है! जब बुध सूर्य के गति का उलंघन करता है तो तब प्रथ्वी पर सूखा या अति वृष्टि का योग बनता है! बुध अपना शुभाशुभ फल 32 से 36 वर्ष की एवं अपने दशाओं और गोचर मे प्रदान करता है! आकाश मे तेजी से ग़मन करने के कारण बुध ग्रह को संदेश वाहक देवता का नाम भी मिला!
विज्ञान के एक अध्यन के अनुसार धरती पर गुरुत्वाकर्षण की शक्ति का प्रत्येक क्षेत्र, प्रकृति और व्यक्ति पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है वह इसलिए कि प्रत्येक की प्रकृति अलग अलग है! बात वहीं आ जाता है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी प्रत्येक ग्रहों का प्रभाव प्रत्येक राशि पर अलग अलग होता है! ब्रम्हांड के प्रत्येक ग्रह और नक्षत्र और उनकी अति सूक्ष्म हलचल का प्रभाव भी पृथ्वी पर निश्चित परता है!वैज्ञानिक दृष्टि से बुध सौर मंडल का सूर्य से सबसे निकट स्थित और आकार मे सबसे छोटा ग्रह माना गया है! बुध सभी ग्रहों में सर्वाधिक चपटी है! इसकी कक्षीय विकेंद्रिता 0.21 है! वेसे इसका वातावरण स्थाई माना गया है! ज्योतिष मे बुध ग्रह को विनम्र, बुद्धिमान, चालाक, तेज आदि माना गया है! बुध तीसरे एवं छठे क्रमशः मिथुन एवं कन्या राशि का स्वामी है बुध ग्रह को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से ठीक पहले नग्न आँखों से देखना सम्भव हो सकता है सूर्य के निकट होने के कारण इसे सीधा देखना मुश्किल होता है! कन्या राशि में शुरुआती 15 डीग्री मे बुध उच्च का एवं बांकी 15 डिग्री मे मुल त्रिकोणी कहलाता है!
नोट - ज्योतिष, हस्तलिखित जन्मकुंडली, वास्तु, पूजा पाठ, महा मृत्युंजय जाप, बगुलामुखी जाप एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए संपर्क कर सकते है! समस्त्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रे. षित।