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ईसीआरईयू द्वारा केंद्र सरकार की नई श्रम नीति , निजीकरण / निगमीकरण और एनपीएस के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के बीच मीटिंग-सह-परिचर्चा आयोजित की गई .

 राजेश कुमार वर्मा 

 रक्सौल, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।ईसीआरईयू द्वारा केंद्र सरकार की नई श्रम नीति , निजीकरण / निगमीकरण और एनपीएस के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के बीच मीटिंग-सह-परिचर्चा आयोजित की गई । 30 जनवरी 2020 को रक्सौल स्टेशन के निकट स्थित RR ITI कैम्पस में ECREU द्वारा केंद्र सरकार की नई श्रम नीति , निजीकरण / निगमीकरण और NPS के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के बीच मीटिंग-सह-परिचर्चा आयोजित की गई । जिसमें रक्सौल रेलवे के बहुत सारे कर्मचारी उपस्थित थे। सभा का संचालन ECREU के संयुक्त सचिव कामरेड संजीव मिश्रा ने किया।सभा के आरंभ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि शहीद-दिवस पर दो मिनट का मौन रखा गया । सभा को संबोधित करने वालों में ECREU के उपाध्यक्ष श्री प्रेम ठाकुर , डिविजिनल सेक्रेटरी श्री रत्नेश वर्मा , जॉइंट सेक्रेटरी संजीव मिश्रा , सहायक सचिव जयबहादुर , अंगद कुमार , भरत बैठा , गौरव कुमार , अनिल मुखिया , रिंकू झा , उमेश कुमार प्रमुख थे। उपस्थित रेलवे कर्मचारियों में सुबोध राय , अंतेश कुमार , विजय कुमार , दीपक कुमार , पवन मल्लिक , अजय यादव , सोनेलाल मल्लिक , गौरव कुमार , मीना देवी , लखमिनिया देवी , उषा देवी , चंदा कुमारी आदि प्रमुख थे। वहीं रत्नेश वर्मा ने सरकार की रेलवे निजीकरण / निगमीकरण नीति की कड़ी आलोचना करते हुए लखनऊ-दिल्ली और मुम्बई-अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस को प्राइवेट हाथों में सौंपने को रेल कर्मचारियो के भविष्य को चौपट कर देने वाली घटना करार दिया। ECREU के डिविजनल सेक्रेटरी रत्नेश वर्मा ने सरकार द्वारा रेलवे के कई विभागों में प्राइवेट ठेके पर कर्मचारी रखकर कार्य कराने , रेलवे में 100% FDI और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बड़े बड़े स्टेशनों को बेचे जाने , स्टेशनों की जमीन पट्टा पर निजी हाथों में दे देने के सरकारी प्रयास को तुरंत बंद करने के लिए सभी रेलकर्मी को एकजुट होकर बहुत बड़े पैमाने पर आंदोलन करने की आवश्यकता पर बल दिया।उन्होंने बताया कि 1924 से चली आ रही अलग रेल-बजट की परिपाटी को एक ही झटके में सरकार द्वारा 2016 से बंद कर दिया गया । जिसके बाद ही रेलवे के सात मुनाफ़ेवाली उत्पादन इकाइयों को निगम बना दिया गया। A1 क्लास और A क्लास के स्टेशनों को बेचा जाने लगा।श्री संजीव मिश्रा ने बताया कि केवल ECREU हीं सरकार से लड़ाई कर रही है , बाकी के सारे यूनियन , फेडरेशन सरकार के काया-कल्प कमेटी में सदस्य बनकर मासिक रॉयल्टी उठा रहे है, जो कभी नहीं चाहेंगे कि रेल का निजीकरण नहीं हो।उन्होंने बताया कि 2004 के बाद नियुक्त रेलकर्मी को पेंशन नहीं के बराबर है। जबकि दूसरी तरफ एक दिन के मंत्री, सांसद , विधायक को भी पूरे उम्र भर लिए पूर्ण-पेंशन मिलता है । रेलवे RKTA यूनियन के नेता तेजनारायण दिवाकर ने बताया कि रेलवे में ग्रुप D और C कैटेगरी की स्थिति बहुत हीं दयनीय है। उस पर ठेका पर आदमी रखे जा रहे है।जो लोग रिटायर हो रहे है, मृत हो रहे है, उनके जगह पर ठेका मजदूर से काम कराया जा रहा है। वहीं स्थाई कर्मियों की बहाली न के बराबर है।सेफ्टी के कार्य में भी ठेकेदारी हो रही है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा फण्ड की कमी और खजाना खाली बताकर अभी रेलकर्मियों के सभी भत्ते को मार्च-2020 तक रोक दिया गया है। जबकि बड़े उद्योगपतियों का बैंक कर्ज माफ करने के लिए सरकार के खजाने मे पैसे है,अपने अपने पार्टी के दिवंगत नेताओं की मूर्ति बनवाने के लिए पैसे है। सांसदों और मंत्रीयों के वेतन भत्ते के लिए पैसे है। पार्टी के प्रचार के लिए पैसे है। बड़ी बड़ी कम्पनीयों को subsidy देने के लिए पैसे है। 
परन्तु रेलवे के मेहनतकश ग्रुप- सी एवं डी स्टाफ को देने के लिए खजाना खाली है।श्री प्रेम ठाकुर के कहा कि रेलवे पूरी तरह से अफसरशाही में अंदर तक जकड़ा हुआ विभाग है । जहां अच्छे काम करने वाले को प्रोत्साहन नहीं मिलता है , एंव दलाली , चमचागिरी करनेवाले लोग हीं पुरस्कार / प्रमोशन आदि में आगे रहते हैं। AICCTU नेता कामरेड चंद्रशेखर जी ने देश मे दबे कुचले लोंगों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया।रेलवे को प्राइवेट करने की सरकारी साजिश को नाकाम करने के लिए पूरे देश मे आंदोलन करने की आवश्यकता को बताया।सभास्थल पर श्री रंजीत सिंह (अध्यक्ष , स्वच्छ रक्सौल) के नेतृत्व में आम नागरिकों का एक प्रतिनिधिमंडल सभा के संचालक से मिलकर एक ज्ञापन देकर रक्सौल में रेलवे से संबंधित आम नागरिकों की समस्याओं पर सभाध्यक्ष का ध्यान आकृष्ट किये , जिस पर सभाध्यक्ष द्वारा उचित कार्यवाई करने का आश्वासन दिया गया। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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