अपराध के खबरें

मिला पद्मश्री पुरस्कार : जानें रोचक बातें

 अनूप नारायण सिंह

 पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । मरने के बाद भी इस देश में डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे विलक्षण प्रतिभाओं को अपने वजूद का अपने होने का अपने प्रतिभा का प्रमाण देना पड़ता है. जीते जी इतिहास पंच के वशिष्ठ नारायण सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे अब से थोड़ी देर पहले देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की गई है इस घोषणा के बाद से हमारे पास अभी तक हजारों फोन कॉल आ चुके है लोग पूछ रहे हैं कि पद्म विभूषण के लिए नॉमिनेशन हुआ था तो पद्मश्री क्यों मिला वह तो सरकार जाने कमेटी जाने या वे लोग जाने जिन्होंने यह पैमाना तय किया है कि देश का सर्वोच्च सम्मान किस पैमाने के आधार पर दिया जाएगा हम व्यवस्था पर सवाल नहीं उठा रहे हैं पर क्या डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे विलक्षण प्रतिभाओं को अपने खुद के होने का प्रमाण देना होगा या देश के मरने के बाद भी ऐसी विलक्षण प्रतिभाओं के सम्मान मे आगे आऐगा. पद्मश्री पद्म विभूषण और भारत रत्न डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह को क्यों यह समझना आज जरूरी वे अब हमारे बीच नहीं रहे एक विलक्षण प्रतिभा होते हुए जिस तरह गुमनामी भरी जिंदगी इलाज के अभाव में बरसों तक सरकारी मदद की आस लगाए रहे मरने के बाद उसी प्रदेश जहां उन्होंने जन्म लिया के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल में उन्हें एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराया गया. उनकी लाश घंटों लावारिस की तरह बाहर पड़ी रही. उनके निधन के बाद सोई संवेदनाएं जागी राज्य सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करवाया उनके पैतृक गांव पर सरकारी गैर सरकारी चाहने वालों का ताता लगा एक पखवारे तक उनके पैतृक गांव को इसलिए गर्व होता रहा कि उसके गर्भ से वशिष्ठ पैदा हुए थे वशिष्ट बाबु के भतीजे मुकेश कुमार सिंह व टीम शुक्रिया वशिष्ठ के अथक प्रयास से इस बार पद्म पुरस्कारों के लिए उनका नाम भेजा गया था ये प्रक्रिया तब से ही चल रही थी जब वे जीवित थे इसी दौरान उनका निधन हो गया वोट बैंक में कहीं फिट नहीं बैठते थे इसलिए कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई, फिर भी केंद्र सरकार से आस लगी थी इस बार पद्म पुरस्कारों की सूची में उनका नाम जरूर होगा और अंततः पद्मश्री के लिए इस बार उनका नाम चयनित किया गया है पर हमारी लड़ाई उन्हें पद्म विभूषण और भारत रत्न मिलने तक इसलिए जारी रहेगी कि ऐसे विलक्षण प्रतिभाओं का गुमनामी में मर जाना इस देश प्रदेश हम सब के लिए शर्म की बात है ऐसी प्रतिभाएं देश के किसी भी कोने में अगर अभाव में अविरल है तो उसके संरक्षण के लिए जात पात धर्म से ऊपर उठकर आगे आने के लिए सरकार को नियम और कायदे बनाने पड़ेंगे.
#टीम_शुक्रिया_वशिष्ठ, अनूप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live