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मिथिला विभूति डॉ० जी० एन० कर्ण नहीं रहें : प्रो० प्रेम


राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।
मिथिला विभूति डॉ० जी० एन० कर्ण नहीं रहें -प्रो० प्रेम । मिथिला के तेघरा, मधुबनी के सामान्य परिवार में जन्म लेकर राजधानी दिल्ली में अपने कर्म से विश्व में अपने नाम का डंका वाजनेवाले डॉक्टर जी० एन० कर्ण अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मिथिला शिक्षा मंच के संजोयक प्रो० पी० के० झा प्रेम ने बताया कि डॉ० कर्ण विकलांगता के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई थी। कई संस्था से जुड़े रहे। जे० एन० यू० में विकलांग विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ कर्ण बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वे योजना आयोग के भी सदस्य रह चुके थे।
"विकलांग समीक्षा " पत्रिका के प्रधान संपादक थे। उनके निधन से विकलांग जगत के लोग अपने को अनाथ समझने लगे हैं। डाॅ० कर्ण उन लोगों के लिए अपने प्रयास से कई तरह के सुविधा दिलाने का काम किया था। उनके निधन पर शोक व्यक्त करने वाले में डॉ पी एन लाभ, डॉ० विजय कुमार झा, डाॅ० धनाकर ठाकुर, उमेश कर्ण, धनंजय क्षेत्रिय, प्रो० गणेश प्रशाद सिंह, डाॅ० राहत हुसैन आदि ने बताया कि डॉ० कर्ण सही मायने में मिथिला विभुति थे। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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