रोहित कुमार सोनू
मिथिला की आन-बान और शान का प्रतीक ‘पाग‘ जिस पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया है उसे अब अंग्रेजी शब्दकोश में शामिल कर लिया गया है। मैकमिलन डिक्शनरी ने हाल ही में ‘पाग’ शब्द को शामिल किया है।
मैकमिलन डिक्शनरी में पाग को एक ऐसी टोपी (हेडगेअर) के रूप में बताया गया है जिसे भारत के मिथिला क्षेत्र के लोग पहनते हैं। डिक्शनरी में बताया गया है कि पाग पहनने की सदियों पूर्व की संस्कृति की रक्षा के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन द्वारा ‘पाग बचाओ’ अभियान चलाया गया था।
मिथिला में ‘पाग’ का विशष्ट महत्त्व है। पर उल्लेखनीय है कि यह पूरी मिथिला का सांस्कृतिक प्रतीक नहीं है। ‘पाग’ की प्रथा मिथिला में सिर्फ ब्राह्मण और कायस्थ में है। इन जातियों के भी ‘पाग’ की संरचना में एक खास किस्म की भिन्नता होती है, जिसे बहुत आसानी से लोग नहीं देख पाते। पाग के अगले भाग में एक मोटी-सी पट्टी होती है, वहीं इसकी पहचान-भिन्नता छिपी रहती है। इससे आगे की व्याख्या यह है कि इन दो जातियों में भी सारे लोग पाग नहीं पहनते। परिवार या समाज के सम्मानित व्यक्ति इसे अपने सिर पर धारण करते हैं। यह उनके ज्ञान और सामाजिक सम्मान का सूचक है। समय के ढलते बहाव में धीरे-धीरे यह प्रतीक उन सम्मानित जनों के लिए भी विशिष्ट आयोजनों-अवसरों का आडंबरधर्मी प्रतीक बन गया।
मिथिला की आन-बान और शान का प्रतीक ‘पाग‘ जिस पर भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया है उसे अब अंग्रेजी शब्दकोश में शामिल कर लिया गया है। मैकमिलन डिक्शनरी ने हाल ही में ‘पाग’ शब्द को शामिल किया है।
मैकमिलन डिक्शनरी में पाग को एक ऐसी टोपी (हेडगेअर) के रूप में बताया गया है जिसे भारत के मिथिला क्षेत्र के लोग पहनते हैं। डिक्शनरी में बताया गया है कि पाग पहनने की सदियों पूर्व की संस्कृति की रक्षा के लिए मिथिलालोक फाउंडेशन द्वारा ‘पाग बचाओ’ अभियान चलाया गया था।
मिथिला में ‘पाग’ का विशष्ट महत्त्व है। पर उल्लेखनीय है कि यह पूरी मिथिला का सांस्कृतिक प्रतीक नहीं है। ‘पाग’ की प्रथा मिथिला में सिर्फ ब्राह्मण और कायस्थ में है। इन जातियों के भी ‘पाग’ की संरचना में एक खास किस्म की भिन्नता होती है, जिसे बहुत आसानी से लोग नहीं देख पाते। पाग के अगले भाग में एक मोटी-सी पट्टी होती है, वहीं इसकी पहचान-भिन्नता छिपी रहती है। इससे आगे की व्याख्या यह है कि इन दो जातियों में भी सारे लोग पाग नहीं पहनते। परिवार या समाज के सम्मानित व्यक्ति इसे अपने सिर पर धारण करते हैं। यह उनके ज्ञान और सामाजिक सम्मान का सूचक है। समय के ढलते बहाव में धीरे-धीरे यह प्रतीक उन सम्मानित जनों के लिए भी विशिष्ट आयोजनों-अवसरों का आडंबरधर्मी प्रतीक बन गया।