पप्पू कुमार पूर्वे पत्रकार
मधुबनी जिला के जयनगर शहर में सरस्वती पूजनोत्सव की तैयारी जोरों पर है। शहर में भी विभिन्न शिक्षण संस्थानों, छात्रावासों तथा गली-मोहल्लों में छात्रों द्वारा मां सरस्वती की पूजा की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए मूर्ति स्थापित करने की जगह का चयन का उसे साफ-सुथरा का काम भी शुरू कर दिया गया है। पूजा स्थलों पर पंडाल लगाने की तैयारी भी हो रही है। वहीं, मूर्तिकारों द्वारा मां सरस्वती की मूर्तियों को एक माह पहले से ही निर्माण किया जा रहा है। जिसे वे अब अंतिम रूप देने में जुटे हैं। शहर के मेनरोड ,जयनगर (एम बाजार मॉल के निकट) समेत कई जगहों पर मूर्तिकारों द्वारा मूर्तियां बनाई जा रही है। जहां छोटे साइज से लेकर बड़े आकार की मूर्तियों का निर्माण किया गया है। कुछ मूर्तियां ऑर्डर के आधार पर तैयार की गई है।
सरस्वती पूजनोत्सव को ले धार्मिक मान्यता : ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती की अराधना का पर्व है सरस्वती पूजनोत्सव। मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी का परम स्थान प्राप्त है। इस दिन माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां सरस्वती का अवतरण सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने किया था। ब्रह्माजी ने सबसे पहले सृष्टि की रचना की। फिर मनुष्य की। उन्होंने वाणी की देवी सरस्वती को अपने कमंडल से जल छिड़कर उत्पन्न किया और सृष्टि में वाणी का बोध हुआ। इसी कारण सरस्वती को वाणी की देवी कहा जाता है। इसे वसंत पंचमी के नाम से भी जानते हैं। वसंत पंचमी के दिन समर्पित भाव से मां सरस्वती की पूजा-पाठ से पूजनकर्ता को कला और ज्ञान के क्षेत्र में सफल होने का आशीष मिलता है। मनुष्य में ज्ञान का संचार और वाणी में मधुरता आती है।