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मानव जीवन एक यात्रा : फ़ुर्सत के पल में ✍🏻बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह की कलम से





अनुप नारायण सिंह

पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।
जीवन को समझना काफ़ी कठिन और असम्भव जैसा प्रश्न है । इंसान का माता के गर्भ से बाहर आने से शुरू हुआ सफ़र जो मौत के बाद शमशान में जाकर ख़त्म होता है, ये है जीवन यात्रा के सफ़र का सारांश ।जिंदगी क्या है कुछ वक्त का एक कारवां है, जो चल पड़ता है किसी अनजान , कठिन मंजिल को पाने के लिए । इंसान फिर वक़्त के साथ - साथ मंजिलें भी बदलता रहता हैं।रास्ते भी बदलने पड़ते हैं कारण :- सुखी जीवन जीने के लिए । बचपन में हम जब मित्रों के साथ क्रिकेट खेलते थे , पढ़ते थे तो ..... ज़िन्दगी कई सपने , मन की आँखों से ...... ख़ूबसूरत मंज़िल को दिखाती रहती थी । बड़े हुए तो किशमतऔर कर्म से पुलिस की नौकरी में आया । आज पुलिस संगठन के अध्यक्ष पद पर विराजमान है । आगे के ज़िंदगी का भविष्य वक़्त के गर्भ में है । हर इंसान का बचपन -जवानी - बुढ़ापा एक पड़ाव हैं । जिंदगी के रास्ते में, इन पड़ावों से गुजरना पड़ता है कारण , बेहतर जिंदगी जीने के लिए। बहुत से साथी मिलते रहते हैं कुछ वक़्त के साथ विछड़ भी जाते हैं।मगर जीवन रुकना नही है । हम बिछडे दोस्त को दोस्ती में वापिस लाने के लिए पुनः वक़्त नही निकाल पाते है । कई नए मित्र बन जाते है ।हम जीवन यात्रा के रास्ते में मंजिल पाने के लिए संघर्ष करते है ।परंतु जीवन में ताउम्र सिर्फ चलते रहने से कुछ नहीं होता। एक सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा और मरदर्शक जरूरी है सही मंजिल तक जाने के लिए ।साथ ही उस दरम्यान अपनों को निराशा या अपमान नही हो इसका ख़्याल रखना होगा । हर इंसान की सुबह के साथ जन्म लेती है जिंदगी की एक नई आशा - उम्मीद । जब कोई इंसान अपने मित्र या अजनबी से पूछता है की कहा रहते है ... वो बोलता है अमुक शहर - मोहल्ला में मेरा घर है .. वही रहता हु । इंसान भूल जाता है कि वो किराए के घर में रहता है । यदि उसका अपना घर होता तो मरने के बाद ... जिस अनजान जहाँ में जाता है तो वही अपना घर लेकर क्यों नही चला जाता है । उसके मरने के बाद उसके नाम से कोई घर ख़रीद भी नही सकता । परिवार के सदस्य के नाम से वो घर हो जाता है । फिर वही उसका मूल मालिक हो जाता।हम अपने दिनचर्या में लगभग प्रतिदिन सचिवालय से बैडमिंटन खेल के घर आते है और दिनभर गुज़री दिनचर्या की समीक्षा , कल यानी भविष्य की योजना , राष्ट्र्भक्ति के साथ एक मज़बूत - शक्तिशाली भारत की कल्पना करता हु । भारतीय संस्कृति ... जो इतिहास में विश्वगुरु था पुनः उसे पाने को सोच मन में रखता हु । आज भले ही लोग पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहे हो ।मगर एक बात हमेशा याद रखनी चाहिये कि "सूरज" जब भी "पश्चिम" में गया तब डूबा ही है ।इन सारी बातों पर चिंतन - मनन करते हुवे सो जाते है।जिंदगी का मूल मंत्र है, आप जितने शक्ति शाली होते जाये उतने विन्रम बनते चले जाये।हम वैसे बने जैसा बनने का दिखावा हम करते हैं।किसी को धोखा देने से पहले चार बार सोचे, उसका विश्वास कितना अमूल्य है आपके लिए।कभी कभी हम हार कर भी जीतते हैं, और कभी जीत कर भी सब हार जाते हैं।दोस्तों की कद्र करने वाला इंसान, हर लड़ाई को जीतता है, चाहे मुश्किल कितनी भी बड़ी क्यों ना हो।मित्रों के आंसू पोंछने से हमारी आंखों में आँसू खुशी से छलकते है, दुख से नहीं।
 
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि :- “ मरने की बाद भी जीना है तो एक काम ज़रूर करना , पढ़ने लायक़ कुछ लिख के जाना या लिखने लायक़ कुछ कर जाना”।इसे ज़िंदगी के यात्रा में इंसान अमल करे । याद कर लो मित्रों .. यदि कोई इंसान से जीवन यात्रा में भूल - चूक यदि हो गई तो पल में खत्म हो जाती है उस इंसान के जीवन की ख़ुशी और सारी ..अभिलाषा।मित्रों आज अपने अल्प ज्ञान - बुद्धि से उपरोक्त अंकित शब्दों से समझाएँ है “जिंदगी” का अर्थ और अपनी कहानी – ख़ुद अपनी जुबानी | जीवन यात्रा में बचपन से लेकर आज तक हम सब को जिंदगी की कई परिभाषा बताई गई – चाहे वह विद्वानो , बड़े बुजुर्गों के द्वारा हो, चाहे वह फिल्मों के कहानी - गीत के द्वारा, फिर चाहे वह महान हस्तियों के लिखी गई पुस्तकों के उदाहरण के द्वारा, या फिर हमारे आदरणीय शिक्षकों के द्वारा या फिर अगर आजकल के फ़ेसबूक - वात्सप द्वारा , या विभिन्न संगठन या क्लबों के तौर तरीकों को देखते हुए, जिस पर हम सबसे ज्यादा विश्वास करते हैं । साथ ही 😊 “गूगल बाबा” के द्वारा भी | इन तमाम लोगों के द्वारा हमें जिंदगी जीने की परिभाषा समझाई जाती है । लेकिन एक बात स्पष्ट बता दू :- दुनिया का कोई शिक्षक या गुरु इंसान के ज़िन्दगी के यात्रा को पूर्णत सही मार्ग दिखलाने में सतप्रतिशत सही नही हो सकता । परंतु मेरे विचार से यदि इंसान दृढ़ - संकल्प , सकारात्मक सोच - कर्म में ..... ख़ुद को समाहित करते हुए , ईश्वर के इंसान रूप में अवतरित जीवन यात्रा , रामायण , गीता , वेद - पुराण , बाइबिल एवं क़ुरान में अंकित अच्छाई को अपना मार्ग बनाए तो निश्चित उस इंसान का इस धरती पर जीवन यात्रा सफल होगा ।
  अंत ए पंक्ति के साथ ✍🏻को विराम दूँगा
जिंदगी अपने यात्रा में बहुत कुछ सिखाती है , कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है ,पर जो हर हाल में खुश रहते हैं , जिंदगी उन्ही के आगे सर झुकाती है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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