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बिहार के उत्तरी क्षेत्र में बसे और मां सीता की प्राकट्य स्थली के रूप में मशहूर सीतामढ़ी के बारे में जानने की इच्छा हर किसी में होगी। यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है

सीतामढ़ी की सुप्रसिद्ध मंदिर जानकी स्थान की विस्तृत जानकारी


राजेश कुमार वर्मा/अनुप नारायण सिंह

सीतामढ़ी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।
बिहार के उत्तरी क्षेत्र में बसे और मां सीता की प्राकट्य स्थली के रूप में मशहूर सीतामढ़ी के बारे में जानने की इच्छा हर किसी में होगी। यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। रामनवमी हो या विवाह पंचमी मेला, इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं लेकिन इसके अलावा और भी कई जगहें हैं जहां जाना इतिहास के अनोखे और रोचक तत्वों को जानना होगा, तो आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में...
श्रीराम महाकतु स्तंभ: श्रीराम महाकतु स्तंभ 85 स्तंभों में से एक है। पट्टिका के अनुसार एक फरवरी 1967 को पुष्प नक्षत्र में इसकी स्थापना तत्कालीन संत त्रिदण्डी रामानुज ने की थी। स्तंभ के चारों ओर संगमरमर की पट्टिकाओं पर मूल रामायण व राम मंत्र लिखा है। साथ ही स्तंभ के एक शिलापट्ट पर संस्कृत का उल्लेख किया गया है। स्तंभ भीतर से पूरी तरह खोखला है। इसके पूरब दिशा में शीर्ष पर एक फीट लंबा-चौड़ा छिद्र छोड़ा गया है, जिसे स्थापना तिथि से तीन मार्च 1967 तक लाखों राम भक्तों ने भोजपत्र व अन्य कीमती कागज पर राम-राम लिखकर इसके खाली भाग को भरने का काम पूरा किया। श्रद्धालुओं के लिए यह स्तंभ श्रद्धा व भक्ति का केंद्र है।
हनुमान मंदिर: कोट बाजार स्थित हनुमान मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह भारत का एकमात्र दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है। इस मंदिर के आसपास कई शनि मंदिर भी हैं।
श्री श्याम मंदिर: मारवाड़ी समुदाय का अतिप्राचीन श्रीश्याम मंदिर कोट बाजार खेमका मुहल्ला में स्थित है। यहां दूर-दूर से मारवाड़ी समुदाय के लोग दर्शन करने आते हैं।
अहिल्या स्थान: सीतामढ़ी से 59 किलोमीटर दूर अहिल्या स्थान है। माना जाता है कि यहां श्रीराम के चरण स्पर्श से पत्थर के शील में तब्दील गौतम ऋषि की पत्‍‌नी अहिल्या पुन: अपने स्वरूप में लौट आई थीं।
गोरौल शरीफ: बिहारशरीफ तथा फुलवारीशरीफ के बाद अगर मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पवित्र स्थल है तो वह है सीतामढ़ी से 26 किलोमीटर दूर गोरौल शरीफ। यहां दूरदराज से लोग मन्नत मांगने आते हैं।
सीता कुंड: सीतामढ़ी से पांच किलोमीटर दूर पुनौरा गांव स्थित यह जगह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहीं देवी सीता का जन्म हुआ था। माना जाता है कि मिथिला नरेश राजा जनक ने भगवान इंद्रदेव को खुश करने के लिए अपने हाथों से यहां हल चलाया था। इसी दौरान एक मृदापात्र में देवी सीता बालिका रूप में उन्हें मिलीं। मंदिर के अलावा यहां पवित्र कुंड भी है।
जानकी स्थान मंदिर: सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर रेलवे स्टेशन से करीब दो किमी. की दूरी पर बने जानकी मंदिर में भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं। जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह पूजा स्थल हिंदू धर्म में विश्र्वास रखने वालों के लिए बहुत पवित्र है।
हलेश्र्वर स्थान: हलेश्र्वर स्थान सीतामढ़ी से सात किमी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह राजा जनक द्वारा स्थापित शिवलिंग है। इस स्थान पर राजा जनक ने पुत्रेष्टि यज्ञ के पश्चात भगवान शिव का मंदिर बनवाया था, जो हलेश्र्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। इसका जीर्णोद्धार 2004-2005 में तत्कालीन डीएम अरुण भूषण प्रसाद ने करवाया था। अनुप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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