रोहित कुमार सोनू
नर्क निवारण चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। पुराणों के अनुसार शंकर भगवान की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है। स्वर्ग-नरक के फेर से मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है।शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ समपन्न हुआ था। इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है। इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है।इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, बिल्वपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए। अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए। साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन ब्राह्मण को घी और शहद का दान करने से रोगों से छुटाकारा मिलता है। किसी के घर में कोई रोगी है तो वह इस अवसर पर यह उपाय कर सकते हैं।नरक से मुक्ति दिलाती है नरक चतुर्दशी, जानें इस दिन क्या करने से होगी शुभ फल की प्राप्ति
नर्क निवारण चतुर्दशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। पुराणों के अनुसार शंकर भगवान की पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है। स्वर्ग-नरक के फेर से मुक्ति मिलती है। इस दिन शिव का ध्यान करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इस व्रत में बेर का प्रसाद अर्पित करने का विधान है।शास्त्रों के अनुसार इस दिन पार्वती माता और भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इस तिथि के ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ समपन्न हुआ था। इसलिए यह दिन खास महत्व रखता है। वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ है लेकिन शास्त्रों के अनुसार माघ और फाल्गुन माह की चतुर्दशी शंकर भगवान को सर्वप्रिय है। जिस कारण इन दोनों ही तिथियों को शिवरात्रि के समकक्ष ही माना जाता है। इस दिन शिव ही नहीं शिव के साथ पार्वती और गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद अपने कर्मों के हिसाब से स्वर्ग और नरक की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जहां स्वर्ग में मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है वहीं नरक में अपने बुरे कामों के फलस्वरुप कष्ट झेलने पड़ते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए यह तिथि विशेष है। इसलिए इसे नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करके नरक से मुक्ति मिलती है।इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, बिल्वपत्र और बेर जरुर चढ़ाना चाहिए। अगर उपवास करें तो व्रत को बेर खाकर तोड़ना चाहिए। साथ ही इस दिन रुद्राभिषेक करने से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन ब्राह्मण को घी और शहद का दान करने से रोगों से छुटाकारा मिलता है। किसी के घर में कोई रोगी है तो वह इस अवसर पर यह उपाय कर सकते हैं।नरक से मुक्ति दिलाती है नरक चतुर्दशी, जानें इस दिन क्या करने से होगी शुभ फल की प्राप्ति