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Nirbhaya Case: बिहार का एक गांव, हर नजर झुकी और चेहरे पर खामोशी, अक्षय का नहीं था आपराधिक इतिहास

संवाद


निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया. कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर कर दी है. इन चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर बिहार के औरंगाबाद जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकर्मा गांव का रहने वाला है. अक्षय ठाकुर की फांसी की सजा को लेकर गांव में दबी जुबान से चर्चा हो रही है. ग्रामीणों का मानना है कि अक्षय ठाकुर के निर्भया मामले में नाम आने से गांव की बदनामी हुई है. फांसी की तिथि तय होते ही उसके गांव में सन्नाटा पसर गया. अक्षय की मां, पिता, पत्नी व पुत्र की हालत रोते-रोते बेहाल हो गया. परिवार का कोई भी सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. इस मुद्दे पर बात कर ग्रामीण अक्षय के परिवार और अपने गांव को और बदनाम नहीं करना चाहते है. वहीं, गांव के कुछ लोगों को अक्षय के परिवार के साथ हमदर्दी भी है.  गांव वालों के अनुसार परिवार को किसी भी व्यक्ति का आपराधिक इतिहास नहीं था। लेकिन इस घटना ने सब को हैरान कर दिया। अक्षय बचपन से काफी मिलनसार था। लेकिन ये सब कैसे और क्यों किया। यह बात किसी को समझ नहीं आ रहा। हो सकता है वह किसी के बहकावे में आकर ऐसा किया होगा। 

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