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मकर संक्रांति : बिहार का तिलकुट नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया…

रोहित कुमार सोनू
तिलकुट का नाम सुनते ही सबसे पहले बिहार के गया जिले के तिलकुट की याद आती है और ऐसा माना जाता रहा है कि गया के हलवाइयों द्वारा बनाए गए तिलकुट का कोई जवाब नहीं। वहां के तिलकुट की मांग विदेशों तक है।धार्मिक नगरी गया यूं तो देश में हिंदू धर्म की सबसे बड़ी तीर्थ स्थली है, जहां ना केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि दुनिया भर में भगवान विष्णु के पदचिह्न भी यहीं मिले हैं. कहते हैं विष्णु यहां गयासुर राक्षस का वध करने पहुंचे थे, उसी वक्त उनके पदचिह्न उत्कीर्ण हो गये थे. गयासुर के नाम पर ही इस शहर का नाम गया पड़ा जो अब भी बरकरार है. लेकिन गया की पहचान बिहार के एक सबसे बेहतरीन स्वाद से जुड़ी हुई है. जो इस सर्दी में बिहार का बहुत ही खास व्यंजन हो जाता है. जी हां सही पहचाना आपने तिलकुट. जो तिल तथा चीनी या गुड़ से बनाया जाता है. गया एक तरह से तिलकुट का पर्याय भी माना जाता है. अब जब गुलाबी सर्दी कड़ाके की ठंड में तब्दील हो रही है तो इस मौसम में तिल की सौंधी खुशबू से आप गर्माहट महसूस कर सकते हैं. गया के तिलकुट की शान ना केवल बिहार-झारखंड बल्कि देश विदेश तक है. गया में तिलकुट के पुराने कारोबारी देवनंदन बताते हैं कि तिलकुट की कई किस्में होती हैं. मावेदार तिलकुट, खोया तिलकुट, चीनी तिलकुट व गुड़ तिलकुट बाजार में मिलते हैं.

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