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बढ़ती हुयी बांझपन और नपुंसकता जितनी चिंता उससे ज्यादा चिंता य़ह है कि लोग आज भी आधुनिक समय मे खुलकर अपनी समस्या किसी योग्य को बताने मे हिचकिचाते है : पंकज झा शास्त्री


प्राचीन शास्त्रों मे सन्तान सुख प्राप्ति के लिए सरल और अचूक उपाय बताये गये है

राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।
बढ़ती हुयी बांझपन और नपुंसकता जितनी चिंता उससे ज्यादा चिंता य़ह है कि लोग आज भी आधुनिक समय मे खुलकर अपनी समस्या किसी योग्य को बताने मे हिचकिचाते है!
हमारे प्राचीन शास्त्रों मे सन्तान सुख प्राप्ति के लिए सरल और अचूक उपाय बताये गये है! जिस उपाय को सही तरीके से करने से प्रभाव जल्दी दिख सकता है! परंतु य़ह भी ध्यान देना अति आवश्यक है कि सभी उपाय सभी राशि या सभी ब्यक्ति प्रभावी नहीं दिखता अतः इस विषय मे किसी योग्य से परामर्श अति आवश्यक है! जो सूक्ष्म अध्यन के बाद जन्म कुंडली मे ग्रह नक्षत्र के चाल से राशि पर प्रभाव को देखकर कारगर उपाय बता सकते है! इसमे दंपती के दोनों के कुंडली का अध्यन उचित होगा! कई बार देखा जाता है कि कुछ ज्योतिषी एक ही का कुंडली देखकर इस विषय मे उपाय बता देते है जो अधिकतर असफल हो जाता है! यदि दंपती के दोनों की कुंडली देखकर उपाय बताया जाय तो लाभ मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है!
विवाह के बाद हर स्त्री पुरुष की इच्छा होती है कि माता पिता बने! शास्त्रों के अनुसार भी विवाह के बाद सन्तान सुख प्राप्ति करने पर ही विवाह पूर्ण मानी जाती है!
विवाह के बाद सन्तान सुख प्राप्त न करना या सन्तान विलंब से प्राप्त होने के कई कारण हो सकते है! अक्सर देखा जाता है कि दंपती द्वारा सन्तान सुख न प्राप्त करने पर, सभी प्रकार से महिलाओं को हो दोषी ठहराया जाता है! महिलाओं को इस विषय को लेकर कई प्रकार से पारिवारिक, सामाजिक ताना बाना सुनना परता है जो असहनीय हो जाता है! इतना ही नहीं सन्तान सुख की प्राप्ति से वंचित दंपती के आपसी लगाव मे दरार की स्थिति या दरार तक पैदा हो जाती है! जो उचित नहीं है! हमारे विचार से इस विषय मे दंपती को आपसी सूझ बुझ के साथ संयम और धर्य के साथ एक दूसरे को समझने का प्रयत्न करना चाहिए और एक दूसरे को समस्या से खुलकर अवगत कराना चाहिए! चिंता से बेहतर चिंतन होता है, मानसिक तनाव से दूर होकर किसी योग्य से परामर्श लेना उचित होगा!
हमने बांझपन और नपुंसकता के संख्या को समझने का प्रयत्न किया तो एक अध्यन के अनुसार पता चलता है कि महिलाओं की तुलना मे पुरषों मे कमी की संख्या बढ़ रही है!
भारत मे लगभग 1.90 करोड़ दंपती नपुंसक बताये जाते है! जबकि इसमे से 0.1 फीसदी ही आईवीएफ से बच्चे पैदा करने मे सक्षम पाए जाते है! एक कम्पनी क्विक रिसर्च डाटा के अनुसार देश मे तीन करोड़ दंपती संतान पैदा करने मे सक्षम नहीं है! एसे मे ईन दंपति को कहीं न कहीं संतान सुख पाने का तो दर्द का अनुभव जरूर होता होगा! अब सबाल य़ह है कि क्या दंपती को सन्तान सुख प्राप्त करना आसान हो सकता है? मैं जरूर इस विषय मे अपने विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यदि दंपती को किसी योग्य से सही परामर्श मिले तो निश्चित रूप से सन्तान सुख प्राप्त करना आसान है! समस्या उस जगह होती है जहां दंपती खुलकर अपनी समस्या से अवगत नहीं करा पाते दूसरी बात उम्र और खान पान तथा रहन सहन पर भी निर्भर करता है! ऐसे में दंपती निःसंकोच खुलकर अपनी समस्या सिर्फ योग्य को बताये, जिससे लाभ मिलना सम्भव है । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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