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117 वर्ष बाद महा शिवरात्रि पर शनि और शुक्र का दुर्लव योग

अमान्त पंचांग के अनुसार माघ मास के मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है : ज्योतिष पंकज झा शास्त्री

राजेश कुमार वर्मा 

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 16 फरवरी,20 ) । शिव और शक्ति का अभिसरण का विशेष पर्व है, हर मास की कृष्ण पक्ष चतुरदर्शी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, अमान्त पंचांग के अनुसार माघ मास के मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है परन्तु पूर्णिमा पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शिवरात्रि को महा शिवरात्रि कहते है। दोनों पंचांगों में यह चंद्रमा की नामकरण प्रथा है और अमान्त पंचांग एक ही दिन महा शिवरात्रि के साथ सभी शिवरात्रि को मानते है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महा शिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रम्हा जी द्वारा की गई। इसलिए महा शिवरात्रि को भगवान शिव के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। श्रद्धालु और भक्त लोग शिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा करते है। शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से प्रचलित है । पुराणों में हमे शिवरात्रि व्रत का उल्लेख मिलता है। शास्त्रों के अनुसार भगवती लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि व्रत किया था। माना जाता है कि सृष्टि का आरंभ इसी दिन हुआ पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ आग्नि लिंग के उदय से हुआ और इसी दिन पार्वती का विवाह शिव के साथ हुआ।
इस बार 21 फरवरी 2020 शुक्रवार को महा शिवरात्रि मनाई जाएगी। 
117 वर्ष बाद शनि और शुक्र का दुर्लव संयोग बन रहा है, शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा , जो यह दुर्लतम संयोग है, जब यह दोनों बड़े ग्रह महा शिवरात्रि पर इस स्थिति में रहेगा। इससे पहले ऐसी स्थिति 1903 में बनी थी। इस योग में शिव के निष्ठा पूर्वक आराधना करना करने पर शनि, गुरु, शुक्र के नाकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है ।
महा मृत्युंजय जाप एक सौ आठ बार करने के बाद एकसौ आठ बेलपत्र पर स्वेत चंदन ॐ लीख कर शिव लिंग पर चढ़ाए,बेहतर होगा।
भस्म का लेप शिव लिंग पर करें जिससे असाध्य रोगों का कष्ट कम होगा और रोग से मुक्ति मिल सकता है।
रात्रि प्रहर की पूजा मुहूर्त -शाम 6:41 बजे से रात्रि 12:52 तक
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 
21/2/2020 शुक्रवार , संध्या 05:24 के उपरांत।
चतुर्दशी तिथि समापन 22 फरवरी 2020 शनिवार रात्रि 07:02 तक।
नोट- उपरोक्त समय सारणी में अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री सम्पर्क : 9576281913
नोट- ज्योतिष, हस्त लिखित जन्म कुंडली, यज्ञों पवित, विवाह,वास्तु, पूजा पाठ, माहा मृत्युंजय जाप, बगुला मुखी जाप एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए संपर्क कर सकते हैं। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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