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एसएनसीयू में गूंज रही नवजातों की किलकारियां, प्रति माह 150 से 200 शिशुओं को मिल रहा जीवनदान


• 90 प्रतिशत नवजातों का होता है सफल इलाज
• 1 साल तक नवजात शिशुओं का होता है फोलोअप
• एसएनसीयू वार्ड में उपलब्ध में है सभी उपकरण
• प्राइवेट अस्पतालों में जन्मे नवजात को भी मिलती है जगह

राजीव रंजन कुमार

छपरा/सीवान, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 04 फरवरी,20 ) । छपरा जिले की स्वास्थ्य सेवाएं अपनी बेहतरी की ओर बढ़ रही है। ऐसे में स्वस्थ समाज के निर्माण में भले ही कई चुनैतियां हों, लेकिन नवजातों की जिंदगी बचाने में स्वास्थ्य महकमे को खासी सफलता मिली है। नवजात बच्चों की बेहतर देखभाल एवं उनका समुचित इलाज के मकसद से सदर अस्पताल परिसर में खुला एसएनसीयू( सिक न्यू बोर्न केयर) नया जीवन देने में कारगर साबित हो रहा है। इस यूनिट में प्रतिमाह 150 से अधिक नवजात बच्चों का इलाज हो रहा है तथा उन्हें असमय काल के गाल में समाने से बचाया जा रहा है।
अस्पताल प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद ने बताया एसएनसीयू वार्ड में प्रतिमाह 150 से 200 नवजात भर्ती किये जाते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से भी ज्यादा नवजातों का सफल इलाज होता है। एसएनसीयू वार्ड में 0 से 28 दिन तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है। एसएनसीयू सेवा का लाभ सिर्फ अस्पताल में जन्म लेनेवाले नवजातों को ही नहीं मिल रहा है, अपितु सभी सरकारी व निजी शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा नवजातों को यहां रेफर किया जाता है। एसएनसीयू में 24 घंटे एक चिकित्सक के साथ कई एएनएम तैनात रहती हैं, जो इनफैंट के एडमिट होने के साथ ही उनकी सेवा में तत्परता से जुट जाते हैं।
ऐसे नवजात एसएनसीयू में होते हैं भर्ती: 
• 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात 
• गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे 
• जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात( जौंडिस या कोई अन्य गंभीर रोग)
• जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या( बर्थ एस्फ्यक्सिया)
• हाइपोथर्मिया 
• नवजात में रक्तस्त्राव का होना 
• जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्टस होना  
ये आधुनिक उपकरण हैं उपलब्ध :-
• रेडियंट वार्मर
• फोटोथेरेपी-2
• सिरिंज पाइंप- 10
• पल्स ऑक्सीजन मीटर-7
• ऑक्सीजन कंसनटेटर-7
• सी-लैप मशीन
• फूल एयर कंडिशन वार्ड
एसएनसीयू में चिकित्सकों की है उपलब्धता:-
सिविल सर्जन डॉक्टर माधवेश्वर झा ने कहा एसएनसीयू में कुल 12 बेड लगाये गए हैं. साथ ही एसएनसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सक सहित कुल 3 चिकित्सक, 9 स्टाफ नर्स एवं 3 गार्ड नियुक्त गए हैं. सर्वाधिक नवजातों की मौत का एक प्रमुख कारण बर्थ एस्फिक्सिया होता है। जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए महत्वपूर्ण होता है। जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। गंभीर हालातों में बच्चे की जान भी जा सकती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में बर्थ एस्फिक्सिया कहा जाता है। इसके अलावा मौत के प्रमुख कारणों में जन्म के समय नवजात में गंभीर संक्रमण, जौंडिस एवं अन्य गंभीर रोग शामिल है. इस लिहाज से एसएनसीयू नवजातों के लिए संजीवनी साबित हो रही है।
एएनएम द्वारा नवजातों का 1 साल में 6 बार फोलोअप :-
एसएनसीयू से घर गए नवजात शिशुओं को फोलोअप के लिए भी बुलाया जाता है। 1 साल तक कुल 6 बार शिशुओं को फोलोअप के लिए बुलाया जाता है। फोलोअप के समय शिशु की जांच की जाती है व उनके माता-पिता को देखभाल की जानकारी दी जाती है। साथ ही अस्पताल से छूटते समय नवजात के माताओं को पोषण की जानकारी, साफ सफाई की जरूरतें इत्यादि की भी जानकारी दी जाती है। राजीव रंजन कुमार की रिपोर्टिग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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