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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी के अवसर पर धरना प्रर्दशन आयोजित किया गया


भोजपुरी समेत 38 भाषाओं के संवैधानिक दर्जा के लिए धरना विरोध प्रदर्शन सम्पन्न

मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 

नई दिल्ली,भारत ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 21 फरवरी,20 ) । भोजपुरी समेत कुल 38 भाषाओं को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भोजपुरी जन जागरण अभियान के अध्यक्ष संतोष पटेल के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया।इस धरना में दिल्ली के अलावे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्णाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश, केरल आदि राज्यों से अलग अलग भाषियों ने भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी के अवसर पर आयोजित इस धरना का अध्यक्षता रामपुकार सिंह एवं जोगा सिंह विर्क ने किया जिसमें अंगिका, बंजारा, बज्जिका, भोटी, भोजपुरी, मगही, राजस्थानी, भोटिया, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, ढटकी, कोसली गढ़वाली, गोंडी, गुज्जरी, हो, कच्छी, कमतापुरी, कारबी, खासी, कोडवा, कोक बारक, कुमाऊँनी, कुरक, कुर्माली, लेपचा, लिंबु, मिजो, मुंडरी, नागपुरी, निकोबारस, पहाड़ी (हिमाचली), पाली, शौरसेनी (प्रकृत), सिरैकी, टेनयिडी, तुलु भाषा के लोगों ने भाग लिया। रामपुकार सिंह ने कहा कि भारत सरकार जो इस बार जनगणना कराने जा रही है उसमें यह जरुरी है कि हम अपनी मातृभाषा भोजपुरी या अन्य जो भी जिसकी भाषा है लिखवाएं।वहीं क्लीयर संस्था के अध्यक्ष जोगा सिंह विर्क ने कहा कि यह दुख की बात है कि अपने मातृभाषा के संवैधानिक दर्जा के मांग के लिए हमे धरना प्रदर्शन करना पड़े। भोजपुरी जन जागरण अभियान के अध्यक्ष संतोष पटेल ने कहा कि भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता की मांग वर्षों पुरानी है। पच्चीस करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को मारीशस व नेपाल में मान्यता प्राप्त है।परन्तु यह दुर्भाग्य है कि भारत में भोजपुरी राजनीति की शिकार बनी हुई है। हम केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि भोजपुरी को संविधान में शामिल करे। सुप्रसिद्ध आलोचक जय प्रकाश फाकिर ने कहा कि भोजपुरी श्रमिक लोगों की भाषा है जिसमें अथाह शब्द भंडार है। सबसे अधिक श्रम से जुड़े शब्दों की भंडार है। किसी भाषा की शब्द भंडार तब होगी जब उसको भाषा मान मान्यता दी जाय। इसलिए सरकार को भोजपुरी समेत तमाम भारतीय भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करनी चाहिए। 
इस धरना का समर्थन इसबार 'क्लीयर' संस्था ने भी किया जो भारत के उन तमाम भाषाओं को संविधान में शामिल कराने के लिए संघर्ष कर रही है जो अब तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है। 
विदित हो कि भोजपुरी जन जागरण अभियान लगातार सरकार के समक्ष भोजपुरी को संविधान में शामिल करने हेतु अब तक तेरह बार धरना प्रदर्शन कर चुका है। इस धरना में अभियान के पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष रामपुकार सिंह, झारखंड से राजेश भोजपुरिया बिहार से अभिषेक भोजपुरिया, फाकिर जय, संतोष कुमार यादव, मनोज कुमार शिंह, देवेन्द्र कुमार, वीणा वादिनी चौबे, राम शरण यादव, धनंजय कुमार सिंह, प्रमेन्द्र सिंह, मुकुल श्रीवास्तव, राकेश कुमार सिंह, बबिता पांडेय, गंगाराम चौधरी, लाल बिहारी लाल, शशिधर मेहता, साकेत साहु, अमिताभ आदि ने भाग लिया। राजीव रंजन कुमार की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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