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बच्चों को आकर्षित कर रहा मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ मिल रहा पौष्टिक आहार


• जिले में संचालित है 66 मॉडल आंगनबाड़ी सेंटर

• आंगनबाड़ी केंद्रों को बनाया गया है चाइल्ड फ्रेंडली

• पोषण वाटिका किया गया है निर्माण

• अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन मोड्यूल के तहत पढ़ाई

राजीव रंजन कुमार
छपरा,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 09 फरवरी,20 ) । बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जिले के 66 ऑगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन कर इन्हें मॉडल केन्द्र के रूप में विकासित किया गया है। जिले में संचालित मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। अब इन मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्वच्छ वातावरण एवं गुणवतापूर्ण शिक्षा के साथ बच्चों को पौष्टिक आहार भी प्राप्त हो रहा है। बच्चों को ध्यान में रखते हुए इन केन्द्रों को बाल सुलभ बनाया गया है. जिसमें बैठने की व्यवस्था, शौचालय की व्यवस्था एवं अलग से किचेन की भी व्यवस्था की गयी है। मॉडल केन्द्रों में बच्चां के लिए झूले लगाये गए हैं। बच्चों में अक्षरज्ञान के लिए बाल पेन्टिंग एवं पोषण के प्रति जागरूकता के लिए पोषण वाटिका का भी निर्माण किया गया है। लाभार्थियों को साप्ताहिक पोषाहार सूची के ही अनुसार पूरक पोषाहार प्रदान कराया जा रहा है । नाश्ते में चुडा-गुड के अलावा अंकुरित चना-गुड को भी अलग-अलग दिन दिया जा रहा है । प्रत्येक बुधवर को नाश्ते में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को 18 ग्राम सुधा दूध पाउडर 150 मिलीलीटर शुद्ध पानी में घोलकर पिलाया जा रहा है। 
महीने के 25 दिन गर्म पका हुआ भोजन:-
आईसीडीएस के डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मेनू के आधार पर 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को सप्ताह में तीन दिन खिचड़ी, एक दिन चावल पुलाव या पोहा पुलाव, एक दिन रसियाव एवं एक दिन सूजी का हलवा दिया जा रहा है । माह के अलावा एक दिन खिचड़ी, चावल पुलाव, पोहा पुलाव दिया जा सकता है। इस तरह महीने में कुल 25 दिन गर्म पका हुआ भोजन सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर समान रूप से दिया जा रहा है। प्रत्येक शुक्रवार को सुबह में नाश्ते के साथ एक उबला हुआ अंडा भी दियाजा रहा है । 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के अति-कुपोषित बच्चों को दोगुना पूरक आहार दिया जा रहा है।
अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन मोड्यूल के तहत पोषण पर भी चर्चा:-
मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) दिवस पर पढाई के साथ पोषण पर भी जानकारी दी जाती है। इस दौरान विभिन्न सब्जियों और फलों का प्रदर्शन भी किया जाता है। साथ ही सब्जी एवं फलों से प्राप्त होने वाले पोषण के विषय में भी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा माताओं को विभिन्न रोगों में सब्जी या फल के सेवन के विषय में भी जागरूक किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन दिवस पर माताओं को बच्चे के 6 महीने पूरा होने क बाद अनुपूरक आहार देने की जरूरत पर भी जानकारी देती है। माताओं को खेल-खेल में बच्चों को अनुपूरक आहार खिलाने के संबंध में बताया जाता है।
अनुपूरक आहार पुस्तिका के माध्यम से खाने की तकनीक पर चर्चा:-
बच्चों को 6 महीने के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है। इससे बच्चे का बेहतर शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इसको लेकर इन मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक आहार पुस्तिका की मदद से 6 माह से 2 वर्ष तक के बच्चों को अनुपूरक आहार खिलाने की तकनीक पर चर्चा की जाती है। जिसमें बच्चे को कोई तस्वीर दिखाते हुए या फिर कोई वीडियो दिखाते हुए अनुपूरक आहार खिलाने के विषय में बताया जाता है। ताकि छोटे बच्चे आसानी से अनुपूरक आहार का सेवन कर सकें।
गर्भवती महिलाओं के लिए बनाया गया जांच कॉर्नर:-
आंगनबाड़ी केद्रों पर प्रसव पूर्व जाँच जांच के लिए आने वाली महिलाओं को भी अब बेहतर सुविधा मुहैया करायी जा रही है। सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर पर्दायुक्त पंजीकरण कॉर्नर बनाया गया है। जिससे गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच में काफी सहुलियत हो रही है। राजीव रंजन कुमार की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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