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मिथिला की धरती महान है,जहां स्वंय परमेश्वर श्रीराम विवाह सूत्र में बंधे थे


 रामायण पाठ व श्रीराम नाम धुन संकीर्तण से माहौल हुआ भक्तिमय 

छायाचित्र : रामकथा में प्रवचन देते आचार्य हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज व झांकी में शामिल राम,लक्ष्मण व सीता का प्रतिरूप 

मिथिला हिन्दी न्यूज टीम 

 समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 20 फरवरी,20 ) । जिले के विद्यापतिनगर प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रहे चौथा वार्षिकोत्सव सह श्रीराम चरित्र मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर आयोजित रामकथा के दरम्यान वृन्दावन से पधारे रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने महाशिवरात्रि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अवसर पर लोगों को रात्रि जागरण करना चाहिए । चार प्रहर में शिव पार्वती की चार पूजाएँ होती हैं ।पुराणों की कथाओं के अनुसार एक व्याधा ने रात्रि जागरण एवं शिवपूजन के द्वारा शिवजी का दर्शन कर अपने जीवन को धन्य किया था। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि व्रत करते हुए रात्रि जागरण एवं शिवपंचाक्षरी मंत्र (ॐ नमः शिवाय)का जाप अवश्य करना चाहिए इस से सदाशिव प्रसन्न होते हैं। रामकथा के छठें दिन गुरूवार को आयोजित कथा के दौरान उन्होंने कहा कि मिथिला गौतम, कपिल, कणाद, याज्ञवल्क्य की वह पावन भूमि है जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम पैदल चल कर आए।अनादि काल से यहां बङे बङे ब्रह्म विशारद ज्ञानी हो चुके हैं जिनका विश्व में सम्मान था। ऐसी पावन भूमि मिथिला के जनकपुर में धनुष यज्ञ स्वयंवर किया गया। ये शिव धनुष पुण्यात्मा दधीचि ऋषि की हड्डी से बना हुआ बङा ही दिव्य था जो पूर्वजों के द्वारा जनक जी को प्राप्त हुआ। छः साल के उम्र में आदिशक्ति जानकी ने इसे बाँये हाथ से उठा ली थी जिससे चकित होकर जनक जी ने धनुष तोड़ने वाले के साथ जानकी के विवाह की प्रतिज्ञा की। देश देशान्तर के राजाओं सहित रावण ने भी इस धनुष को नहीं उठा पाया। ऐसी विकट परिस्थिति में श्री राम ने गुरु के आदेश से धनुष तोड़ कर मिथिला वासीयों का विषाद दूर कर सीता से विवाह की अर्हता प्राप्त की।अग्रहण शुक्लपक्ष पंचमी तिथि के पावन मुहूर्त में सीता चारों बहन का राम चारों भाई के साथ वैदिक परंपरा के अनुसार विवाह सम्पन हुआ। इस दिव्य अवसर पर ब्रह्मादि समस्त देवता एवं शची, शारदा ,रमा भवानी उपस्थित थीं। उन्होंने विवाह प्रकरण का सुन्दर प्रसंग की चर्चा करते हुए रामजानकी विवाहोत्सव की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की एवं मैथिली पद के माध्यम से सुंदर भजन भी प्रस्तुत किया। जिससे समस्त श्रद्धालु झूम उठे। राहुल ठाकुर ने सुंदर होली गाकर वातावरण को बसंत की मादकता में परिणत कर दिया। दूसरे सत्र में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान झांंसी सेे पधारी साध्वी मंजू लता देवी जी ने अपने कथावाचन सुमधुर भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति रस की सरिता में गोते लगाने को मजबूर कर दिया। मौके पर मंदिर के महंथ सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास उर्फ पंडित विनोद झा, आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री,बाल व्यास मानस तिवारी जी,नवीन कुमार सिंह,राजेश जायसवाल,अमरनाथ सिंह मुन्ना,अजीत कुमार सिंह आदि मौजूद रहे। पदमाकर लाला की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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