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वैसे तो हर क्षेत्र में कायस्थों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है, परंतु जिस महान कायस्थ व्यक्तित्व के बारे में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं वह एक महान खगोल विज्ञानी रहे हैं वह महान कायस्थ व्यक्तित्व है श्री मेघनाद साहा 

अभिषेक कुमार श्रीवास्तव 

नई दिल्ली, भारत ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 25 फरवरी,20 )। वैसे तो हर क्षेत्र में कायस्थों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है, परंतु जिस महान कायस्थ व्यक्तित्व के बारे में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं । वह एक महान खगोल विज्ञानी रहे हैं वह महान कायस्थ व्यक्तित्व है श्री मेघनाद साहा जन्म- 6 अक्टूबर, 1893, पूर्वी बंगाल; मृत्यु- 16 फ़रवरी, 1956) गणित व भौतिकी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाले भारतीय वैज्ञानिक थे। उनके अथक प्रयासों से ही 'इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूक्लियर फ़िजिक्स' की स्थापना हुई थी। डॉ. मेघनाथ साहा ने तारों के ताप और वर्णक्रम के निकट संबंध के भौतकीय कारणों को खोज निकाला था। अपनी इस खोज के कारण 26 वर्ष की उम्र में ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो चुकी थी। उन्हें 34 वर्ष की उम्र में लंदन की 'रॉयल एशियाटिक सोसायटी' का फ़ैलो चुना गया था। मेघनाथ साहा संसद के भी सदस्य थे। उनके प्रयत्न से भारत में भौतिक विज्ञान को बड़ा प्रोत्साहन मिला था।प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. मेघनाथ साहा का जन्म 6 अक्टूबर 1893 को ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) से लगभग 45 किलोमीटर दूर शाओराटोली गाँव में एक ग़रीब कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जगन्नाथ साहा तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था।उनके पिता एक साधारण व्यापारी थे। मेघनाथ साहा अपने माता-पिता की पांचवी संतान थे। आर्थिक रूप से तंग परिवार में पैदा होने के कारण साहा को आगे बढ़ने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता पंसारी का कार्य करते थे और वे चाहते थे कि वह व्यवसाय में उनकी मदद करें, पर होनहार मेघनाद को यह मंजूर नहीं था।वर्ष 1917 में मेघनाथ साहा कोलकाता के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ साइंस में प्राध्यापक के तौर पर नियुक्त हो गए। वहां वह क्वांटम फिजिक्स पढ़ाते थे। वहीं पर उन्होंने उच्च अनुसंधान कार्य किया और डी.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की।तारा भौतिकी पर एक निबन्ध लिखकर इन्होंने एक प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्राप्त किया। एक और महान कायस्थ वैज्ञानिक श्री एस.एन. बोस के साथ मिलकर उन्होंने आइंस्टीन और मिंकोवस्की द्वारा लिखित शोध पत्रों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया। 1919 में अमेरिकी खगोल भौतिकी जर्नल में मेघनाद साहा का एक शोध पत्र छपा। इस शोध पत्र में साहा ने "आयनीकरण फार्मूला" को प्रतिपादित किया। खगोल भौतिकी के क्षेत्र में ये एक नयी खोज थी, जिसका प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में किए गए कई शोध उनके सिद्धातों पर ही आधारित थे। इसके बाद मेघनाथ साहा 2 वर्षों के लिए विदेश चले गए और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज और जर्मनी की एक शोध प्रयोगशाला में अनुसंधान कार्य किया।खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनका अविस्मरणीय योगदान है। उनके द्वारा प्रतिपादित तापीय के सिद्धांत को खगोल विज्ञान में तारकीय वायुमंडल के जन्म और उसके रासायनिक संगठन की जानकारी का आधार माना जा सकता है। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनके अनुसंधानों का प्रभाव दूरगामी रहा और बाद में किए गए कई शोध उनके सिद्धातों पर ही आधारित थे। साहा समीकरण ने सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया और यह समीरकरण तारकीय वायुमंडल के विस्तृत अध्ययन का आधार बना। एक खगोल वैज्ञानिक के साथ-साथ मेघनाद साहा स्वतंत्रता सेनानी भी थे। भारतीय कैलेंडर के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था।मेघनाथ साहा संसद के भी सदस्य थे। उन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए थे। 34 वर्ष की उम्र में ही वे लंदन की 'रॉयल एशियाटिक सोसायटी' के फ़ैलो चुने गए। 1934 में उन्होंने 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' की अध्यक्षता की। भारत सरकार ने कलैण्डर सुधार के लिए जो समिति गठित की थी, उसके अध्यक्ष भी मेघनाथ साहा ही थे। डॉ. साहा ने पाँच महत्त्वपूर्ण पुस्तकों की भी रचना की थी।प्रगतिशील विचारों के धनी मेघनाथ साहा के प्रयत्नों से ही भारत में भौतिक विज्ञान को बड़ा प्रोत्साहन मिला था। प्रतिभा के धनी मेघनाथ साहा का 16 फ़रवरी, 1956 ई. को देहान्त हो गया। वैसे तो प्रतिभा सदैव कायस्थों के कुल की दासी रही है परंतु आज की युवा पीढ़ी उस प्रतिभा से दूर होती जा रही है इसलिए आवश्यक है कि हम मेघनाद साहा जैसे महान कायस्थ व्यक्तित्व से प्रेरणा लें और स्वयं को समाज में सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा करें यदि लेख अच्छा लगा हो तो शेयर कर अन्य कायस्थ बंधुओं तक पहुंचाने का प्रयत्न करें जिससे उन्हें मेघनाद साहा जी के बारे में जानकारी मिल सके और उनसे प्रेरणा लेकर वे अपने जीवन में स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध कर सके । 
जय चित्रांश, जय चित्रांश, जय चित्रांश । अभिषेक कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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