महाराजगंग/सीवान, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 04 फरवरी,20) । महाराजगंज अपने अनूठे इतिहास के कारण हमेशा से सुर्खियों में रहा है, वहीं यहां एक धार्मिक स्थल भी है, जहां लोग मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जुटते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस स्थल पर लोग अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए आते हैं। यहां आने से उनकी विपत्ति दूर हो जाती है और वे खुशी-खुशी लौट जाते हैं। इस जगह को मौनिया बाबा आश्रम के नाम से जाना जाता है।सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते है बाबा मौनिया बाबा नागा समाज के साधु थे, जो 1911 में कांची कोटी पीठ से आकर इस रमणीक स्थल पर अपना आश्रम बना कररहने लगे। इस दौरान इलाके के लोगों को किसी भी प्रकार की बीमारी या परेशानी होती थी तो बाबा उसका निवारण करते थे।बाबा के द्वारा ही 1911 से ही यह मेला यहां लगाया जाता है। बाद में 1923 में बाबा की मृत्यु हो गयी है तत्पश्चात आश्रम के पास लगने वाला मेला 1923 से बाबा के समाधी स्थल पर लगने लगा, जिसे बाद में राजकीय मेला का दर्जा हासिल हो गया।
पिछले 85 सालों से महाराजगंज अनुमंडल के मुख्यालय में राजकीय मौनिया बाबा का मेला लगता है।
ऐसी मान्यता है कि आज भी बाबा के समाधि स्थल के समीप जलने वाली अखंड़ धुई का राख अगर कोई चर्म रोगी उठाकर अपने चमड़े पर लगा लेता है तो उसका चर्म रोग ठीक हो जाता है।चर्म रोग के रोगी काफी दूर-दूर से इस राख के लिए बाबा के समाधि स्थल पर आते है। बहरहाल बाबा के नाना प्रकार की चर्चा हो रही है, अधिकांश लोग इसे चमत्कार मानते है तो अधिकांश लोगों का मानना है कि राख में किटाणु नाशक तत्व है, जिससे रोग ठीक हो जाता है।इस राजकीय मेले में सीवान, गोपालगंज, छपरा, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, बैशाली, पटना, गया, बक्सर पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपाण के अलावे पड़ोसी राज्य यूपी के बलिया, कुशीनगर, तमकुही, कसया, पड़रौना, गोरखपुर आदि स्थानों से भी श्रद्वालु आते हैं। एक माह तक चलने वाले इस मेले मे देश के कई अन्य राज्यों से भी व्यापारी व खेल तमाशे वाले लोग आते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं। अनूप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।