वाराणसी,उत्तरप्रदेश ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 28 फरवरी,20 )। गंगा को धरोहर की तरह संरक्षित करने के उद्देश्य से लोगों ने अपने हाथ से हाथ जोड़े । गंगा को मात्र एक नदी की तरह नहीं, बल्कि भारत की पहचान और एक अमूल्य धरोहर के रूप में देखने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु दशाश्वमेध घाट पर मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया ।संयोजक राजेश शुक्ला ने जागरूक करते हुए बताया कि 50 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका केवल गंगा के जल पर निर्भर है । इसमें भी 25 करोड़ लोग तो पूर्ण रूप से गंगा के जल पर ही आश्रित हैं । स्पष्ट है गंगा केवल आस्था ही नहीं, आजीविका का भी स्रोत है । जिस प्रकार मनुष्य को जीने का अधिकार है उसी प्रकार नदियों को भी स्वच्छंद रूप से अविरल और निर्मल रूप में प्रवाहित होने का अधिकार है ।
राजेश शुक्ला गंगा सेवक, संयोजक नमामि गंगे / सहसंयोजक गंगा विचार मंच काशी प्रांत सदस्य जिला गंगा समिति, ब्रांड अंबेसेडर नगर निगम वाराणसी के द्वारा संवाद दिया गया । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।दीपक कुमार शर्मा की रिपोर्टिंग।