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नई राजनीति :राजनीति जन आंदोलन और क्रांति का दूसरा नाम है : प्रो० मुनेश्वर यादव



राजनीति की जिम्मेवारी पढ़े लिखे लोगों को अपने आराम तलबी छोड़कर लेनी ही होगी । इसी में व्यक्ति और समाज की कल्याण निहित है।

राजेश कुमार वर्मा/राजकुमार राय

दरभंगा, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 06 फरवरी,20 ) । राजनीति यूं तो अन्य कला व विज्ञान की तरह उच्च स्तर की हृदय वृत्ती हैं। राजनीति जन आंदोलन और क्रांति का दूसरा नाम है । आंदोलन और क्रांति, सामाजिक परिवर्तन, रचना, सृजन,संरचना का पहला कदम है । राजनीति में धोखाधड़ी, जालसाजी, षड्यंत्र, राजनीति की व्याधि हैं । यह राजनीति की बीमारी हैं। राजनीति नहीं है ।आंदोलन व क्रांति से घबराने की जरूरत नहीं है। राजनीति कल्याण की भावना हैं तथा यह तो सामाजिक समस्या का समाधान है । मसलन हरित क्रांति, श्वेत क्रांति व पर्यावरण सुरक्षा संबंधी आंदोलन से घबराने की आवश्यकता नहीं है । पूरी दुनिया में राजनीति में कई बेहतरीन माइंड काम करते रहते हैं। हमारे देश में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद जिन्होंने अपने अध्ययन के दौरान कभी द्वितीय स्थान प्राप्त नहीं किए। गांधी, सरदार पटेल, नेहरू इत्यादि उन दिनों विदेश में जाकर शिक्षा पाई थी। नेताजी, सुभाष चंद्र बोस आईसीएस की परीक्षा पास की थी । महात्मा गांधी, जेपी, डॉ.लोहिया,डॉ. अंबेडकर, पंडित नेहरू का राजनीति में अविस्मरणीय अदनान रहा है। डॉ मनमोहन सिंह को कोई आईएएस अर्थ और वित्त की जानकारी सोच समझकर ही दे सकते थे ।अतः राजनीति से पढ़े लिखे लोगों को द्वारा वर्तमान में राजनीति के प्रति नकारात्मक सोच माननीय नहीं है। राजनीति की जिम्मेवारी पढ़े लिखे लोगों को अपने आराम तलबी छोड़कर लेनी ही होगी । इसी में व्यक्ति और समाज की कल्याण निहित है।अतएव अपने आपको सही राजनीति से अलग करना समाज व देश के हित में नहीं है। उपरोक्त वक्तव्य प्रो. मुनेश्वर यादव (पीजी विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा) के द्वारा पत्रकारों को दूरभाष से दिया गया है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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