पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । बिहार की राजधानी पटना के नया टोला गोपाल मार्केट में सिविल सर्विसेज की कोचिंग क्लास चलाने वाले डा एम रहमान की कहानी जल्द ही सिनेमा के पर्दे पर दिखाई देगी। गरीब बच्चों के सपने को पंख देने वाले रहमान पर अभिनेता सुनील शेट्टी की प्रोडक्शन हाउस फिल्म बना रही है। इस साल के अंत तक यह फिल्म रिलीज होगी।आईएएस के इंटरव्यू में दो बार फेल होने के बाद डॉ. रहमान ने कोचिंग खोला और अब तक हजारों छात्रों को अफसर बना चुके हैं। खास बात यह है कि वे गरीबों से फीस के नाम पर सिर्फ एक रुपए लेते हैं। रहमान बताते हैं कि मैंने अपनी जिंदगी में गरीबी देखी है। मैंने प्रण लिया था पढ़ाई के रास्ते में किसी छात्र के लिए गरीबी को रोड़ा नहीं बनने दूंगा। कोचिंग में जो बच्चे पढ़ते हैं उससे इतर 27 ऐसे बच्चों को अपने साथ रखता हूं जो बेहद गरीब हैं और उनका कोई ख्याल रहने वाला नहीं है। उनके पालन-पोषण से लेकर पढ़ाई और सभी तरह की जिम्मेदारियां उठाता हूं।कोचिंग में पढ़ने वाले कई बच्चे मेरी जिम्मेदारियों को देखते हुए एक-दो हजार या पांच हजार रुपए फीस के तौर पर दे देते हैं। 22 साल हो गए, कभी किसी से फीस नहीं मांगी। जो बच्चे सफल होकर निकले और आज ऊंचे पदों पर बैठे हैं, वे आर्थिक तौर पर मदद करना चाहते हैं। मेरा एक सपना है कि भविष्य में गुरुकुल संस्था खोलूं जहां गरीब और असहाय बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ उनका पालन-पोषण भी हो। गुरुकुल में वैसे बच्चे रहेंगे जिनका इस दुनिया में कोई सहारा नहीं है। कोचिंग से निकले बच्चों से जब बात होती है तब कहता हूं आप सब मेरे इस सपने को साकार करने में मदद करना।रहमान बताते हैं कि 1997 में यूपीएससी में दूसरी बार इंटरव्यू में असफल होने के बाद मैंने रहमान एम(aim) के नाम से कोचिंग की शुरुआत की। तब 10-12 बच्चे ही क्लास में थे। 1998 में एक लड़के का चयन यूपीएससी में हुआ। यह लोगों के बीच फैल गया कि एक सर बिना फीस के आईएएस की तैयारी कराते हैं। इसके बाद गांव-गांव से लोग पढ़ने आने लगे। 22 साल में 40 से ज्यादा बच्चे यूपीएससी में सलेक्ट हो चुके हैं। बीपीएससी में चार सौ से ज्यादा बच्चे सफल हो चुके हैं। चार हजार से ज्यादा बच्चे इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर हैं। 2007-08 बैच की एक छात्रा पिंकी गुप्ता अभी प्रधानमंत्री सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में कार्यरत है।
बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ रहमान हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए भी काम करते हैं। रहमान बताते हैं कि 1994 में दिल्ली से एमए कर रहा था। इसी दौरान ब्राह्मण परिवार की एक लड़की अमिता कुमारी से प्यार हुआ। समाज हमारी शादी के खिलाफ था। इसके बावजूद हमने 1997 में पटना के बिरला मंदिर में शादी की। इस वजह से अब तक 13 फतवे जारी हो चुके हैं। रहमान ने बताया कि दस साल तक हमें किराये पर कोई घर नहीं मिला। पति-पत्नी होकर भी हमें अलग-अलग रहना पड़ा। 2007 में मित्र की मदद से मुझे किराये पर मिला तब हम दोनों साथ रहने लगे। 2008 में एक बेटी हुई, जिसका नाम अदम्या है। 2012 में बेटा हुआ उसका नाम अभिज्ञान है। इसके बाद कोचिंग सेंटर का नाम रहमान एम क्लासेज से बदलकर अदम्या अदीति गुरुकुल कर दिया। उनके इस अभियान में नवादा निवासी और उनके संस्थान के व्यवस्थापक शिक्षाविद मुन्ना जी उनकी छाया की तरह 1994 से उनके साथ है । अनूप नारायण सिंह की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।