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मातृ मृत्यु की निगरानी हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

                          
 आसीफ रजा

मुजफ्फरपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 06 फरवरी, 20 ) । 
मुजफ्फरपुर जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत मातृ मृत्यु की निगरानी और प्रतिक्रिया हेतु गुरुवार को एक निजी होटल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन वैशाली और मुजफ्फरपुर जिले के लिए संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने बताया मातृ मृत्यु की निगरानी और प्रतिक्रिया प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है जो कि मातृ मृत्यु के विभिन्न कारणों एवं कारकों पर प्रकाश डालती है एवं उनको दूर करने में सहायक है।मातृ मृत्यु की सूचना देने पर आशा को 200 रूपये डॉ सिंह ने बताया इस कार्यक्रम के अंतर्गत आशा द्वारा अपने क्षेत्र में होने वाली 15 से 49 वर्ष आयु की प्रत्येक महिला के मृत्यु की सूचना जल्द से जल्द दूरभाष पर सम्बन्धित प्रभारी मातृ मृत्यु नोडल चिकित्साधिकारी को दी जाएगी। महिला मृत्यु सम्बन्धित सूचना मृत्यु के 24 घंटे के अन्दर दूरभाष पर तथा एक सप्ताह के भीतर प्रारूप -1 पर एनम / ब्लाक प्रभारी चिकित्साधिकारी को देने पर आशा को 200 रूपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। उन्होंने बताया किसी भी वास्तविक मातृ मृत्यु की सूचना जानबूझ कर छिपाने वाली आशा को दंडित भी किया जाएगा। इसके लिए उनके निष्कासन हेतु संबंधित ग्राम प्रधान को सूचित कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।मातृ मृत्यु की होगी समीक्षा सामुदायिक स्तर पर मातृ मृत्यु की समीक्षा, ब्लाक स्तरीय गठित तीन सदस्यों की टीम द्वारा की जाएगी एवं संस्थागत स्तर पर संबंधित चिकित्साधिकारी मातृ मृत्यु के कारणों के विश्लेषण व सुधार के लिए की गयी कार्यवाही पर आख्या प्रत्येक माह जिले स्तर पर प्रेषित करेंगे।
जागरूकता से मातृ मृत्यु दर में कमी संभव: केयर जिला संसाधन इकाई के डिटीएल सौरभ तिवारी ने बताया मातृ मृत्यु की निगरानी और प्रतिक्रिया कार्यक्रम केवल मातृ मृत्यु समीक्षा तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसके सुधारों पर भी आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। अधिकांश मातृ मृत्यु सामाजिक, सांस्कृतिक एवं चिकित्सीय कारणों से होती है, एक से अधिक धटनाओं के कारण होने वाली मातृ मृत्यु को तीन तरह के होने वाली देरियों ( स्थानीय / चिकित्सकीय कारणों ) के निवारण द्वारा कम किया जा सकता है। जिसमें पहली देरी –अज्ञानता, लापरवाही, समस्या की पहचान न होना तथा अन्ध-विश्वास या रुढिवादिता के चलते फैसला लेने में देरी के कारण होता है। जिससे माँ को अस्पताल पहुँचने में अनावश्यक विलम्ब हो जाता है। दूसरी देरी – वाहन / पैसे की व्यवस्था में देरी, दुर्गम रास्ते के कारण स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचने में देरी तथा तीसरी देरी – स्वास्थ्य केंद्र में मानक सुविधाओं, दवाओं, रक्त तथा उपकरणों का अभाव एवं उपचार प्रारंभ करने में विलम्ब के कारण होती है।
एसीएमओ डॉ विनय कुमार शर्मा ने बताया कि मातृ मृत्युओं के कारणों का विश्लेषण विभिन्न जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार के लिए आवश्यक है।कार्यक्रम की सफलता हेतु प्रत्येक स्तर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। इस मौके पर वैशाली और मुजफ्फरपुर जिले के ब्लाक स्तर के सभी चिकित्साधिकारी, ब्लाक हेल्थ मैनेजर और ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर उपस्थित रहें। अआसीफ रजा की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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