रोहित कुमार सोनू
(मिथिला हिन्दी न्यूज) सीतामढ़ी जिले के जनकपुर रोड नगर पंचायत चुनाव में प्रत्याशी एक-एक वोट साधने की कोशिश में लगे हुए हैं। परिचितों में भी मतदाताओं से संपर्क कर अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छो़ड़ रहे हैं। जनकपुर रोड नगर पंचायत के 11 वार्ड में इस बार प्रचार का तरीका पूरी तरीके से बदला नजर आ रहा है। नगर के गली-मोहल्लों में बैरन-पोस्टर नजर आ रहे हैं। प्रत्याशियों द्वारा शोरगुल के साथ घर-घर संपर्क को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे शोरगुल बढ़ते क्रम में है, लेकिन एक-एक वोट को साधने के लिए प्रत्याशी जुगत लगाने में लगे हुए हैं। नाते-रिश्तेदारो को पहले संदेश भेजा जा रहा है कि मतदान की तारीख 23 फरवरी को वोट देने जरूर आए। इतना ही नहीं एक वार्ड ऐसा भी है जो नेपाल से बुलाया जाता है वोट देने के लिए और सारा खर्च दिया जाता है वो महत्वपूण्र है लगभग 50 वोट के करीब है दुसरी ओर परिचितों बुलाने के लिए पूरा खर्चा उठाने को तैयार हैं। यदि वहां अपना कोई परिचित है तो उसके जरिए भी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए मान मनौव्लल भी कर रहे हैं। वहीं कई मतदाता जो विवाह के बाद नगर के दूसरे मोहल्ले अथवा किसी दूसरे शहर चलीं गई हैं, उन्हें भी मतदान के दिन बुलाने के लिए मायके पक्ष के लोगों से संपर्क किया जा रहा है। नगर में सुबह से लेकर देर शाम तक प्रत्याशी मतदाताओं के घर पहुंच रहे हैं। अधिकांश घरों में दोपहर के वक्त पुरूष सदस्य नहीं रहते, उस अवधि में प्रचार की कमान प्रत्याशी की महिला व महिला प्रत्याशी के पुरूष रिश्तेदारों व समर्थक उठा रहे हैं। दोपहर में महिला प्रचारक निकलकर संपर्क साधने में लगी हुई है। शाम ढलने के बाद हर वार्ड में खुले प्रत्याशियों के चुनाव समर्थकों कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट रही है।धन-बल में कमजोर प्रत्याशी खेल रहे अलग दांव
घर-घर संपर्क के दौरान प्रत्याशियों को यह भी आभास हो रहा है कि किसका पड़ला भारी है। वे उस कमी को दूर करने को सारे उपाय किए जा रहे हैं। आर्थिक रूप से मजबूत प्रत्याशियों द्वारा कुछ वार्डो में धन-बल का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में विरोधी प्रत्याशी यदि धन-बल से कमजोर साबित हो रहा है, तो भीतर ही भीतर सामने वाले मतदाता को व्यवहार से अपने पक्ष में करने की भी कोशिश कर रहे हैं। नगर के कुछ मोहल्ले ऐसी है, जहां धन-बल का प्रभाव दिखने लगा है। सामने वाला प्रत्याशी आर्थिक रूप से कमजोर है तो ऐसे वार्ड में खुद को खड़ा करने के लिए प्रयास कर रहा है कि आर्थिक रूप से मजबूत प्रत्याशी धन-बल का इस्तेमाल कर ही न सके। इसके लिए निगरानी बढ़ाई जा रही है। शिकवा-शिकायत का दौर भी शुरू हो गया है।