सुपौल/सहरसा, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 05 फरवरी,20 )। मुकेश सहनी का जन्म 31 मार्च सन 1981 को भारत के बिहार राज्य के एक छोटे से गांव सुपौल में एक गरीब निषाद परिवार में हुआ था. बचपन अत्यंत अभाव में गुजरा, बचपन से ही निषाद समाज के पिछड़ेपन को उन्होंने अत्यंत करीब से देखा.
वर्ष 1999 मुकेश सहनी के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया. उस समय परिवार की आर्थिक विपन्नता ने उन्हें मात्र 18 साल की उम्र में ही मुंबई भागने के लिए विवश कर दिया. इसके पीछे उनका उद्देश्य एक बेहतर जिन्दगी की तलाश थी. नए शहर में गुजर-वसर करना युवा मुकेश के लिए बिना पतवार किसी भयंकर तूफान का सामना करने से कम नहीं था। काम की तलाश में यत्र-तत्र भटकना जारी रहा मगर मन में एक विश्वास था और कुछ बेहतर करने का जूनून था.
मेहनत की बदौलत जल्द ही युवा मुकेश को काम मिल गया. अत्यंत कम समय में ही इनकी कार्यकुशलता तथा विलक्षण प्रतिभा ने सबका ध्यान इनकी ओर आकर्षित किया. दिन बीतते गए और युवा मुकेश अपनी मेहनत, लगन और जूनून की बदौलत सफलता की सीढ़िया चढ़ने लगे. वे फिल्म जगत में अपनी लगन व पहचान बनाने लगे. अपने सफलता के सफर में इन्होने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. तथा अत्यंत कम समय में ही फिल्म सेट निर्माण के क्षेत्र में फिल्म सेट की पहचान बन गए. देवदास से शुरु हुआ सफ़र आज बजरंगी भाईजान फिल्मों के सेट निर्माण का कार्य किया है.
इनकी कंपनी ''मुकेश फिल्म वर्क्स प्राईवेट लिमिटेड'' आज सभी बड़ी-बड़ी फ़िल्मस और टी.वी. शोज़ के सेट निर्माण का काम करती है. इसके अलावा इवेंटस और माल ब्रांडिंग भी करती है! अपने काम की गुणवत्ता के कारण आज इस कम्पनी की बॉलीवुड में शाख़ है । इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए मुकेश जी ने रात-दिन अथक परिश्रम किया है. जब इन्हें इनकी मेहनत का फ़ल मिला तो इन्होंने अपने समाज यानि "निषाद समाज" के पिछड़ेपन को दूर करके उसके उत्थान के लिए प्रदेश एवं देश की सरकार में प्रतिनिधित्व के बारे में सोचना शुरू कर दिया.
बॉलीवुड में एक ब्रांड बनने के बाद मुकेश जी मुंबई की संपन्नता के बाद अपने गांव सुपौल बाजार, दरभंगा आए. गांव पहुंचकर उन्होंने देखा कि इतने सालों में यहाँ कुछ भी नहीं बदला है. निषाद समाज आज भी उसी विपन्नता तथा पिछड़ेपन के दौर में है. निषाद समाज की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व राजनीतिक स्थिति देखकर मुकेश जी का मन कचोट गया. उनके अंतर्मन से आवाज आई कि स्वयं की प्रसन्नता से अधिक ज़रुरी है समाज की मुस्कुराहट, उन्होंने अपने मन का सुना और 'सन ऑफ़ मल्लाह' के नाम से खुद को समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने समाज में व्याप्त सभी कमजोरियों को समाप्त कर एक विकसित निषाद समाज बनाने का जिम्मा अपने कंधो पर ले लिया.
सन 2016 में निषाद विकास संघ की स्थापना करके दरभंगा और पटना में कार्यालयों का उद्धघाटन किया और समाज कल्याण के कार्यों में मजबूती से जुट गये ! इनका मुख्य उद्देश्य निषाद समाज को अपने अधिकारों को पाने के लिए शिक्षित और संगठित करके सामाजिक जागरूकता पैदा करना, निषाद वंशियों को आरक्षण दिलवाना, केन्द्र में मछुआरा आयोग बनवाना और अपने समाज के प्रतिनिधियों को राजनीति में उचित हिस्सेदारी दिलवाना है !
पहले समाज में रहकर समाज की समस्याओं को करीब से जाना, देखा कि आज भी निषाद समाज को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही निषादवंशी समाज की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं. समाज में आर्थिक, शैक्षणिक तथा कई तरह की विपन्नता है उन्होंने निषाद समाज को सभी तरह के अधिकार दिलाने का मुहीम शुरू कर दिया. उन्होंने पाया कि सबसे पहले समाज को राजनीतिक अधिकार दिलाने होंगे. उनके लिए राजनैतिक अधिकार का सीधा मतलब सरकार में निषादों की अधिक-से-अधिक हिस्सेदारी से था.
उन्होंने देखा कि निषाद समाज में अपने हक़़ और अधिकारों को लेकर जागरूकता का भयंकर अभाव है. इसी उद्देश्य से उन्होंने बिहार के निषादों में जागरूकता लाने के लिए 'निषाद रथ यात्रा' की शुरुआत की. बिहार के सभी जिलों के हर पंचायत तक रथ यात्रा निकालकर निषादों को जागृत करने के अभियान की शुरुआत की. नतीजा यह रहा कि सम्पूर्ण बिहार के निषाद एक मंच पर एकत्रित होना शुरू हो गए. निषाद समाज अपने अधिकारों को लेकर सजग हो गए. साथ ही उनके द्वारा निषाद समाज की समस्याओं के निवारण का प्रयास भी रंग लाने लगा.
निषाद समाज को उसकी ताकत का एहसास दिलाने के लिऐ 1 फ़रवरी सन 2014 को इन्होंने बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर और भी कई स्थानों पर जनसम्पर्क दौरा किया. इस दौरान ये ऐसे दुर्गम स्थानों पर भी गये जहाँ आने-जाने के लिए वहाँ रहने वाले लोगों के लिए आवागमन के साधन भी नहीं हैं ! निषाद समाज के लोगों के जीवन की कठिनाईयों को देखकर मुकेश जी का मन भर आया और इन्होंने सारे निषाद समाज को एकजुट करने का बीड़ा उठा लिया ! 16 फ़रवरी सन 2014 को दरभंगा के राज मैदान में मुकेश जी ने प्रमंडलीय निषाद समाज अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया जिसे टी. वी. और मीडिया ने बिहार राज्य में निषाद समाज के अधिकारों के लिए शुरू होने वाली निषाद क्रांति का दर्जा दिया । कृष्ण मेमोरियल हॉल, पटना में निषाद प्रतिनिधि सम्मेलन, 12 अप्रैल 2015 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित निषाद महाकुंभ-महारैली, 29 मई 2015 को औरंगाबाद में आयोजित रैली और 30 मई 2015 को कटिहार जिले में आयोजित रैली, 25 जुलाई 2015 को मुज़फ़्फ़रपुर हुंकार रेली, 18 अगस्त 2015 को सहरसा के स्टेडियम मैदान में एक बार फ़िर मुकेश जी ने माननीय प्रधानमंत्री की रैली को चुनौती देते हुऐ निषाद अधिकार रैली सहित दर्जनों रैली कर मुकेश जी ने बिहार में निषादों की ताकत का एहसास सबको करवा दिया.
मुकेश सहनी ने राजनैतिक संघर्ष का बिगुल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त 'निषाद विकास संघ' के बैनर तले बजाया. इनके संघर्ष का नतीजा था कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में निषाद सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरा. सभी दलों की राजनीति निषाद समाज के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. इनके प्रयास से अतिपिछड़ा में सबसे ज्यादा टिकट निषादों को ही मिला.
मुकेश सहनी ने पाया कि समाज के निचले स्तर पर काबिज निषाद समाज को आरक्षण की शख्त जरुरत है. बस फिर क्या था उन्होंने निषाद समाज को आरक्षण दिलाने के लिए लड़ाई की शुरुआत कर दी. सितंबर 2015 में पटना के गाँधी मैदान में आरक्षण के लिए सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में बिहार के हजारों निषाद सड़क पर उतर आए. सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में निषादों को देखकर सरकार डर गई. अपने अधिकार के लिए गाँधी मैदान के आसपास जमा निषादों पर सरकार के आदेश से भयंकर लाठीचार्ज किया गया. आखिरकार निषाद समाज की ताकत के सामने सरकार को घुटने टेकने पड़े. सन ऑफ़ मल्लाह के प्रभाव से मात्र 24 घंटे के अंदर ही श्री नीतीश कुमार की सरकार ने निषाद समाज को आरक्षण देने की अनुशंसा कर दी.
उन्होंने अपनी रणनीति के पहले चरण में निषादों को चुनाव में सभी दलों द्वारा अधिक-से-अधिक टिकट दिलाने का कार्य किया. नतीजा था कि 2014 के लोकसभा तथा 2015 के विधानसभा चुनाव में सभी दलों के उम्मीदवारों की सूचि में निषाद समाज को आजादी के बाद सर्वाधिक टिकट मिले. 'निषाद क्रांति' के परिणामस्वरूप निषादों ने सत्ता में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई. किसी दल के वजाय मुकेश जी ने समाज के नफा-नुकसान को सर्वोपरि रखा.
बिहार के बाद मुकेश जी के 'निषाद क्रांति' ने उत्तर प्रदेश में दस्तक दी. यूपी में रथ यात्रा निकालकर पुरे राज्य के निषादों को एकत्रित किया. मुकेश जी ने इलाहबाद के श्रृंगबेरपुर में भगवान गुहराज निषाद की प्रतिमा स्थापना करवाई. गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, सहित कई जिलों में मुकेश जी ने विशाल सभा कर उत्तर प्रदेश में निषाद क्रांति की बिगुल फूंकी. 25 जुलाई 2016 को गोरखपुर में वीरांगना फूलन देवी के शहादत दिवस के अवसर पर उनकी प्रतिमा की स्थापना की जानी थी लेकिन एक साजिश के तहत शासन और प्रशासन ने इसपर रोक लगा दी और प्रतिमा की स्थापना नहीं होने दी. परन्तु सभी निषाद विकास संघ के आह्वान पर इस समारोह में हज़ारों की संख्या में उपस्थित होकर निषाद समाज ने शासन और प्रशासन को ये दिखा दिया कि सारा निषाद समाज अब एकजुट हो चला है.
मुकेश जी ने देखा कि उत्त्तर प्रदेश में निषाद समाज के दर्जनों अलग-अलग पार्टियाँ और संगठन कार्य कर रही है. अपने प्रयासों से मुकेश जी ज्यादातर दलों और संगठनों को एकसाथ लाने में कामयाब हुए. इनके प्रयासों से 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी दलों द्वारा निषाद उम्मीदवार को अधिक-से-अधिक टिकट दिया गया. निषादों ने यूपी में भी सत्ता में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई.
2017 में मुकेश जी ने संगठन विस्तार व उसकी मजबूती पर जोर दिया, पुरे बिहार में जिला, विधानसभा व पंचायत स्तर तक 'निषाद विकास संघ' के संगठन के विस्तार का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किए गए. जल्द ही सभी जिलों में पंचायत स्तर तक निषाद विकास संघ के संगठन का विस्तार हो गया. लगभग डेढ़ लाख पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई. साथ ही जून 2018 तक तीन लाख पदाधिकारियों की नियुक्ति भी पूरा कर लिया गया. आज पूरे भारत में निषाद विकास संघ अपने तरह का एकमात्र जातिगत संगठन बनकर उभरा है.
मुकेश जी की सोच समय के बहुत आगे की है. निषाद समाज को मुख्यधारा में शामिल कराने की उनकी मुहीम ने आज बिहार ही नहीं वरण देशभर का निषाद समुदाय उनके साथ कदम-से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है. मुकेश जी की पहल से आज बिहार में निषाद समाज को आरक्षण दिलाने के लिए आवश्यक एथ्नोग्रफिक रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया गया है. 2017 के अंत में मुकेश जी ने घोषणा की कि अगर 2018 की छमाही तक सरकार निषाद समाज को आरक्षण नहीं देती है तो वे अपनी पार्टी बनाएँगे. अपनी पार्टी बनाकर निषाद समाज को सत्ता में काबिज करेंगे.
वर्ष 2018 बिहार में सन आफ़ मल्लाह और निषाद समाज के वर्चस्व का वर्ष रहा है. इस वर्ष निषाद विकास संघ के बैनर तले निषाद आरक्षण की गुंज बिहार ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में सुनी गई. वर्ष 2018 में बिहार में जितना कार्य निषाद विकास संघ तथा विकासशील इंसान पार्टी ने किया है उतना किसी पार्टी ने नहीं किया. साथ ही 4 नवंबर 2018 को पटना के गाँधी मैदान में सन ऑफ़ मल्लाह द्वारा 'विकासशील इंसान पार्टी' की घोषणा ने बिहार में निषाद समाज को गेम चेंजर के रूप में स्थापित कर दिया. सन ऑफ़ मल्लाह मुकेश सहनी के नेतृत्व् में बिहार के निषाद समाज के हाथों में आज बिहार में सरकार बनाने की चाभी हैं. आगामी चुनाव में सत्ता का निर्णय सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में निषादों के हाथ में आ गई है तथा सन ऑफ़ मल्लाह बिहार की राजनीति के डिसाइडिंग फैंक्टर के रूप में पूरी तरह से उभरकर सामने आए हैं. यह बिहार में निषादों के उज्जवल तथा उन्नत भविष्य की नींव का साल साबित हुआ है.
फ़रवरी 2018 के महीने में पटना में निषाद एकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि SC/ST आरक्षण अधिकार सम्मेलन में गाँधी मैदान स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल की क्षमता से कई गुना ज्यादा लोग वहां उपस्थित थे. आरक्षण सहित अपने सभी हक़-अधिकार के लिए पूरे बिहार के निषादों की ऐसी एकजुटता अभूतपूर्व रही. इस अवसर पर पटना शहर में हजारों मोटरसाईकल की रैली निकाली गई. निषाद विकास संघ के एक आह्वान पर जनसैलाब बनकर उमड़ा निषाद समाज ने बिहार में राजनैतिक परिवर्तन का संकेत दे दिया. 4 फ़रवरी को विशाल शक्ति प्रदर्शन के साथ वर्ष 2018 निषाद समाज की सफ़लता का गवाह बना. सन ऑफ़ मल्लाह ने दिखा दिया कि बिहार के निषादों में अपने बुते पर सत्ता परिवर्तन करने की क्षमता है तथा निषाद क्रांति की आंधी में सारे विरोधियों का सूपड़ा साफ़ हो जाएगा. इसी सम्मलेन में सन आफ़ मल्लाह द्वारा ऐलान किया गया कि आरक्षण की मांग को लेकर 10 मार्च को पूरे बिहार में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर हजारों-हजार निषाद भाई तथा माता-बहनों के साथ एकसाथ महाधरना दिया गया.
निषाद आरक्षण के लिए सन ऑफ़ मल्लाह के एक आह्वान पर पूरे बिहार के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर लाखों निषादों का महाधरना ऐतिहासिक था. पूरे प्रदेश में लाखों निषाद भाइयों खासकर माता-बहनों का आारक्षण के लिए एकजुट होकर सड़क पर अभूतपूर्व प्रदर्शन किया. किसी एक समुदाय द्वारा आरक्षण के लिए यह राज्यव्यापी महाधरना विशालतम था. प्रत्येक जिले में हजारों निषाद आरक्षण सहित हक-अधिकार के लिए एकजुट होकर महाधरना में शामिल हुए. बिहार के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर निषाद आरक्षण की मांग से पूरा बिहार गुंजायमान हो गया. सन ऑफ़ मल्लाह श्री मुकेश सहनी स्वयं सुपौल, सहरसा तथा मधेपुरा जिलों में महाधरने में शामिल हुए. साथ ही उनकी पत्नी तथा बच्चों ने दरभंगा जिले में महाधरना में भाग लिया.
यह महाधरना निषाद आरक्षण की राह में मील का पत्थर साबित हुआ. बिहार ही नहीं बल्कि देश की मीडिया में महाधरना व्यापक चर्चे तथा महाधरना के अभूतपूर्व प्रभाव के कारण राज्य सरकार को केंद्र को एथ्नोग्राफिक रिपोर्ट भेजने के लिए विवश होना पड़ा. महाधरना का असर था कि 2 साल से एथ्नोग्राफिक रिपोर्ट पर कुंडली मारकार बैठे बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 महीने के भीतर केंद्र को रिपोर्ट भेज दिया.
10 मार्च को बिहार के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर निषाद विकास संघ द्वारा एकसाथ महाधरना देखकर बीजेपी की ओर से रणनीति बनाकर निषाद समाज को बांटने तथा सन ऑफ़ मल्लाह को कमजोर साबित करने के लिए अमर शहीद जुबा सहनी का शहादत दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. इसे देखते हुए सन ऑफ़ मल्लाह ने अत्यंत कम समय में यह निर्णय लिया कि निषाद विकास संघ 11 मार्च को हज़ारों-हज़ार मोटरसाईकल की महारैली निकालकर अमर शहीद जुब्बा सहनी का शहादत दिवस मनाएगी.
बीजेपी द्वारा सन ऑफ़ मल्लाह का मुकाबला करने के लिए सारी ताकत झोंक दी गई थी मगर 11 मार्च 2018 को मुजफ्फरपुर में आयोजित विशाल मोटरसाईकल महारैला की विशालता ने उनके सारे अरमानों को चकनाचूर कर दिया. अपनी पूरी ताकत लगा देने के बाद भी विरोधी फिस्सडी साबित हो गए. महारैली में हजारों-हजार की संख्या में आए निषादों की एकजुटता के आगे उनकी सारी रणनीति धरी की धरी रह गई. इस मोटरसाईकल महारैली ने दिखा दिया कि निषाद विकास संघ ऐसा संगठन बन चूका है जिसने सिर्फ पांच दिन की प्लानिंग में बीजेपी को धूल चटा दिया. इस कार्यक्रम की रुपरेखा सिर्फ पांच दिन पहले ही तैयार की गई थी और इतने कम समय में ही बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों को फेल कर देना सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में बिहार के निषादों की बहुत बड़ी उपलब्धि है.
तत्पश्चात 08 अप्रैल को मोतिहारी में करीब 25 हजार से भी ज्यादा बाइक के साथ एक महारैली निकालकर बिहार के निषादों ने श्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव के समय मोतिहारी की जनता तथा निषाद समाज से किया गया वादा और उनका
फर्ज याद दिलबाया.
माननीय प्रधानमंत्री ने चुनाव के समय मोतिहारी की जनता से वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो नौ दिन के अंदर मोतिहारी में चीनी मिल चालू करवा देंगे. साथ ही उन्होंने इसी चीनी मिल की चीनी से बनी चाय पीने का वादा भी मोतिहारी की जनता से किया था. मगर चार साल हो जाने के बाद भी चीनी मिल चालू नहीं करवाने पर मोतिहारी और बिहार के निषाद समाज ने प्रधानमंत्री महोदय को बिना चीनी की चाय पिलाने के लिए अपनी अभूतपूर्व एकजुटता दिखलाई. इसने बिहार में निषाद समाज के राजनैतिक उत्थान की मजबूत दस्तक को दर्शा दिया. इन महारैलियों में युवाओं की अभूतपूर्व भागीदारी को देखकर सन ऑफ़ मल्लाह ने घोषणा की कि ऐसी महारैली बिहार के और जिलों में आयोजित की जाएगी.
तत्पश्चात 13 मई को मुंगेर में SC/ST आरक्षण के लिए आयोजित मोटरसाईकिल महारैली में सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में निषादों ने अपने हक-अधिकार की इस लड़ाई में सत्ता के सर्वोच्च पद पर निषाद समाज के ही किसी व्यक्ति को काबिज करने की प्रतिबद्धता दोहराई.
पुनः 10 जून को बेगूसराय में 42 डिग्री टेम्प्रेचर की चिलचिलाती धूप में हजारों की संख्या में निषादों ने 50 किलोमीटर की मोटरसाईकल महारैली में भाग लेकर निषादों ने अपने इरादे साफ कर दिए, इस झूलसा देने वाली धूप में भी हजारों-हजार की संख्या में निषाद आरक्षण के लिए सड़कों पर अत्यंत उत्साह से हुंकार करते नजर आए.
तत्पश्चात 1 जुलाई को दरभंगा में मूसलाधार बारिश में 35 किलोमीटर की विशाल मोटरसाईकिल महारैली में जूटे हजारों निषादों ने साफ संकेत दे दिए कि किसी भी मौसम की परवाह किए बगैर वे हक-अधिकार के लिए सड़क पर एकजुट होकर उतर आए हैं. कह़ी धूप और मूसलाधार बारिश में सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में निषाद आरक्षण के लिए सड़कों पर उतरे जनसैलाब ने बिहार की राजनीति में निषादों का प्रभुत्व स्थापित कर दिया.
25 जुलाई 2018 को वीरांगना फूलन देवी शहादत दिवस समारोह के अवसर पर पटना की सड़कों पर निषाद समाज की 10,000 से भी अधिक महिलाओं के जनसैलाब ने सत्ताधारी ताकतों के लिए सीधा संदेश दिया. मराठा आरक्षण आन्दोलन की तरह ही बिहार में निषाद आरक्षण की मांग को लेकर निषाद समाज की महिलाएं भी हजारों की संख्या में राजधानी में सडकों पर उतर आई. पटना की सड़कों पर आरक्षण की मांग को लेकर उतरा निषाद समाज की महिलाओं का जनसैलाब प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना साबित हुई. आजतक कभी एक समुदाय की महिलाओं द्वारा इतना विशाल पैदल मार्च आजतक कभी नहीं निकाला गया। 10000 से अधिक महिलाओं ने वीरांगना फूलन देवी की 25 फीट की प्रतिमा के साथ पैदल मार्च निकालकर अपनी शक्ति का परिचय दिया. प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में किसी एक जाति के महिलाओं द्वारा इतना विशाल पैदल मार्च कभी नहीं निकाला गया. इस तरह निषाद समाज की महिलाओं ने कीर्तिमान स्थापित किया. लाल रंग की साड़ी तथा पगड़ी में सन ऑफ़ मल्लाह के नेतृत्व में निषाद समाज को 10,000 से अधिक महिलाओं ने निषाद आरक्षण की माग को लेकर महिलाओं की अभूतपूर्व एकता का प्रदर्शन किया.
4 नवंबर को पटना में आयोजित 'निषाद आरक्षण महारैला’ से पहले सन ऑफ़ मल्लाह ने बिहार के सभी निषाद परिवारों से संवाद कायम करने के लिए 1 सितंबर को पटना से 'निषाद आरक्षण संवाद बस यात्रा' की शुरुआत की. कुल 9 चरणों में बिहार के सभी 38 जिलों में बस यात्रा निकाली गई. इसके तहत प्रदेश के सभी जिलों में तय दिनांक पर सन ऑफ़ मल्लाह समाज के बीच उपस्थित रहे. साथ ही संघ के हजारों पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता हजारों मोटरसाईकल तथा चार पहिया वाहन के साथ यात्रा में सम्मलित हुए. संघ के प्रदेश, जिला तथा प्रखंड स्तर के तमाम पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता यात्रा में शामिल हुए. यात्रा निषाद आरक्षण का आवाज बुलंद करते बिहार के प्रत्येक जिले से होकर गुजरी.
निषाद आरक्षण संवाद बस यात्रा के लिए मुंबई से आलिशान बस को अत्यंत विशालता के साथ सजा कर मंगवाया गया था. इसी आलिशान बस पर सवार होकर सन ऑफ़ मल्लाह ने पूरे बिहार 10,500 किलोमीटर का सफ़र तय कर समाज के लोगों को एकजुट किया. इस दौरान उन्होंने विभिन्न जिलों में 60 से ज्यादा विशाल जनसभाओं को संबोधित कर निषाद यात्रा के दौरान 550 सें ज्यादा नुक्कड़ सभा तथा यात्रा के दौरान पर आरक्षण की आबाज बुलंद की. साथ हीं आयोजित 300 से ज्यादा सभाओं को संबोधित कर निषाद आरक्षण महारैला के ऐतिहासिक सफलता का बिगुल फूंका.
संवाद यात्रा ने 58 दिनों तक बिहार के सभी 38 जिलों में समाज के बीच निषाद आरक्षण का आहवान किया. हर जिले में हजारों मोटरसाईकल तथा हजारों चार पहिया वाहन के साथ विशाल रैली निकाली गई. यात्रा के दौरान बिहार के 25-30 लाख निषाद परिवारों के साथ संवाद कायम किया.
4 नवंबर 2018 को देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार लाखों समर्थकों की उपस्थिति में पार्टी के नाम की घोषणा कर सन ऑफ़ मल्लाह तथा बिहार के निषादों ने कीर्तिमान स्थापित किया. सन ऑफ़ मल्लाह ने 4 नबंबर को निषाद आरक्षण महारैला में लाखों समर्थकों के समक्ष वीआर्डपी पार्टी के नाम की घोषणा की. विकासशील इसान पार्टी बनने के बाद अब निषाद समाज को दूसरों के रहमो-करम पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा. अब समाज की अपनी पार्टी बन गई है तथा अपनी पार्टी के बैनर तले समाज के हक-अधिकार की लड़ाई को पटना से दिल्ली तक लड़ा जा रहा है. 4 नवंबर 2018 को पटना के गाँधी मैदान में पिछले 20 सालों के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए. निषाद आरक्षण महारैला में लाखों समर्थकों की उपस्थिति में विकासशील इंसान पार्टी की घोषणा से बिहार में निषाद समाज की मजबूत राजनीतिक उपस्थिति स्थापित हो गई.
बिहार ही नहीं बल्कि देशभर में महारैला के चर्चे हुए. राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ आमजनों के बीच भी महारैला की विशालता के चर्चे होते रहे. महारैला में बिहार के निषादों ने अपनी मजबूती तथा चट्टानी एकता दिखा दी.
आजादी के 71 सालों में पटना के गांधी मैदान में किसी एक जाति द्वारा 'निषाद आरक्षण महारैला' से बड़ी रैली कभी नहीं हुई, इसमें 5 लाख से ज्यादा निषाद भाइयों एवं माता - बहनों ने भाग लेकर निषाद आरक्षण की आवाज बूलंद कर कीर्तिमान स्थापित किया है. महारैला के बाद सन ऑफ़ मल्लाह ने यह घोषणा की कि अगर कोई यह साबित कर दे कि गांधी मैदान में किसी एक जाति द्वारा निषाद आरक्षण महारैला से बड़ी रैली कभी हुई है तो उसे दस लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा.
4 नवंबर को गाँधी मैदान, पटना में महाविशाल 'निषाद आरक्षण महारैला' के पश्चात पटना में विकासशील इंसान पार्टी की कोर कमिटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि विकासशील इंसान पार्टी राज्य के 20 लोकसभा क्षेत्रों में 'SC/ST निषाद आरक्षण रैली' करेगी. इसी के तहत पहले चरण में 7 दिसंबर से बिहार के 5 लोकसभा क्षेत्रों में हेलीकाप्टर से दौरा कर SC/ST निषाद आरक्षण रैली का आयोजन किया गया. पहले चरण में सुपौल, बगहा, खगड़िया, भागलपुर तथा अररिया में रैली का आयोजन किया गया. 07 दिसंबर को सुपौल, 10 दिसंबर को वगहा, 12 दिसंबर को खगड़िया, 15 दिसंबर को भागलपुर तथा 17 दिसंबर को अररिया में हेलिकॉप्टर से दौरा कर सन ऑफ़ मल्लाह SC/ST निषाद आरक्षण रैली में शामिल हुए. प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में लाखों-लाख की संख्या में निषाद समाज के लोगों ने रैली में शामिल होकर आरक्षण की हुंकार भरी. प्रत्येक रैली में निषाद आरक्षण महारैला की तर्ज पर सैकड़ों फीट लंबा रैम्प बनाया गया था जिससे होकर सन ऑफ़ मल्लाह रैली में आए लोगों से रूबरू हुए. इन 5 लोकसभा क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर दौरा कर सन ऑफ़ मल्लाह ने दिखा दिया कि निषाद समाज बिहार में आगामी चुनाव में सबसे अहम फैक्टर व गेम चेंजर सावित होगा तथा सरकार बनाने की चाभी निषाद समाज के पास ही होगी.
1989 में मंडल कमीशन की अनुशंसा के बाद विकासशील इंसान पार्टी भारत खासकर हिंदी पट्टी में सबसे ताजा इंट्री है. अत्यंत कम समय में यह पार्टी लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल, मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी, नीतीश कुमार की पूर्ववर्ती समता पार्टी, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, सोनेलाल पटेल की अपना दल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के करीब पहुंच गई है.
अपने अत्यंत छोटे राजनीतिक सफ़र के दौरान सन ऑफ़ मल्लाह ने बिहार की राजनीति में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं. उन्होंने बिहार के पांच जिलों दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेगूसराय तथा मुंगेर में लाखों की क्षमता वाली मोटरसाईकल महारैली निकाल प्रदेश के सियासी गलियारे में हलचल पैदा कर दिया. साथ ही 25 जुलाई 2018 को पटना में वीरांगना फूलन देवी की शहादत दिवस पर दस हजार से ज्यादा महिलाओं के साथ पैदल मार्च निकालकर राजधानी को थमने पर मजबूर कर दिया. अपने हाईटेक बस(रथ) के साथ सैकड़ों चार चक्का वाहनों तथा दो पहिया वाहनों के साथ बिहार के सभी 38 जिलों का दौरा कर अपनी राजनीति को बिहार के कोने-कोने में स्थापित कर दिया. कहा जा सकता है कि इन सालों में बिहार में जितना काम मुकेश सहनी ने किया उतना बड़ी-से-बड़ी पार्टियाँ भी नहीं कर पाई.
मुकेश सहनी का मानना है कि "वीआईपी" नाम अपने आप में महत्वपूर्ण होने की भावना देता है ।
यह भावना देता है कि हम मजबूत हैं और बहुत महत्वपूर्ण भी हैं। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।