पिछले दिनों मोबाइल सेवा कंपनियों की ओर से बढ़ाई गई दरों के बावजूद फोन कॉल महंगी होने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। दरअसल उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 24 जनवरी तक 1.47 लाख करोड़ रुपये का एडजस्ट ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) चुकाने का आदेश दिया था। कंपनियों ने एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय से रकम चुकाने की मोहलत मांगी। अभी तक 15 कंपनियों पर एजीआर बकाया है। अगर इस सप्ताह में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई नहीं होती है तो पत्र भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। एजीआर वसूलने की स्थिती में दूरसंचार कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। इससे उनकी वित्तीय स्थिति और भी खराब हो जाएगी। कंपनी ने एजीआर के बकाया भुगतान के लिए 2 साल तक की रोक व 10 साल का समय देने की मांग की।
विशेषज्ञों का कहना है कि एजीआर का चुकाने करने के लिए मोबाइल कंपनी रिचार्ज रेट 25% तक बढ़ा सकती है। यह 2 महीने में दूसरी बढ़ोतरी होगी। एक दिसंबर 2019 में मोबाइल कंपनियों ने बिल में 50% तक की बढ़ोतरी की थी और कई तरह की छूट को भी खत्म कर दिया था। अगर कंपनियां बिल में 20% की बढ़ोतरी करते हैं। तो उन्हें अगले 3 सालों में 70 हजार करोड़ का मुनाफा प्राप्त होगा। भारती एयरटेल कंपनी पर 21,682, वोडफोन पर 19,823.71, बीएसएनएल पर 2,098.72, एमटीएनएल 2,537.48, और आरकॉम पर 16,456 का बकाया है।