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स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर जिला में फाइलेरिया जांच शिविर का आयोजन

संभावित मरीजों का लिया जा रहा ब्लड सैंपल

बल्ड सैंपल संग्रह करने के बाद होगी माइक्रोस्कोपीक जांच

पोजिटीव पाये गये मरीजों का होगा मुफ्त उपचार

भारत में 65 करोड़ लोगों पर फाइलेरिया का मंडरा रहा खतरा- विश्व स्वास्थ्य संगठन 

चन्दन कुमार मिश्रा 

दरभंगा,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 21 फरवरी,20 ) । अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया के निर्देश के आलोक में जिला के कुल आठ चिन्हित जगहों पर पिछले 17 से 23 फरवरी तक फाइलेरिया संभावित लोगों का रक्तपट संग्रह किया जा रहा है. इसे लेकर पयर्वेक्षक की प्रतिनियुक्ति की गयी है. उसके देखरेख में सदर, बहादुरपुर, सिंहवारा, नगर निगम वार्ड नं तीन, हायाघाट, हनुमाननगर, केवटी एवं वार्ड नं 14 में टेक्नीशियनों की ओर से लोगों का ब्लड सैंपल लिया जा रहा है. इसके बाद जिला फाइलेरिया कार्यालय में संग्रहित ब्लड सैंपल का माइक्रोस्कोपिक जांच की जायेगी. विदित हो कि यह कार्य रात में संचालित की जाती है. इसके परजीवी रात में ही एक्टिव होते है. फाइलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर संबंधित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से इलाज व दवा मुहैया करायी जायेगी. इसके तहत हायाघाट प्रखंड में अभी तक 876 लोगों के रक्त का नमूना लिया गया है.
फाइलेरिया से होती विकलांगता
फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है, जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 65 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया रोग का खतरा मंडरा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 65 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया रोग का खतरा मंडरा रहा है. 21 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के 256 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं. दुनिया के 52 देशों में करीब 85.6 करोड़ लोग फाइलेरिया के खतरे की जद में हैं। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को ही आम बोलचाल की भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है.
कैसे फैलता फाइलेरिया
फाइलेरिया परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से होता है. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं. लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं, और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.
फाइलेरिया का लक्षण
आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है. इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं. चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है. वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते. फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.
फाइलेरिया से बचाव
फाइलेरिया से बचाव के लिये लोगों को साफ- सफाई पर धयान देना चाहिये. ताकि मच्छरों का प्रकोप कम किया जा सके. पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी होता है. लोगों को पूरे बदन को ढ़कने वाला पोशाक पहनना चाहिये. सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाना हितकर होता है. वहीं हाथ या पैर चोटिल होने पर उस जगह को साफ रखना चाहिये. 
आठ चिन्हित जगहों पर लोगों का फाइलेरिया से संबंधित ब्लड सैंपल लिया जा रहा है. उसके बाद सैंपल का माइक्रोस्कोपिक जांच की जायेगी. जांचोपरांत पोजिटीव पाये गये मरीजों का मुफ्त में उपचार व दवा मुहैया करायी जायेगी । उपरोक्त जानकारी डॉ० जयप्रकाश महतो जिला भेक्टर बोर्न डिजिज नियंत्रण पदाधिकारी ने दी । चन्दन कुमार मिश्रा की रिपोर्टिंग को समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित ।

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