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1970 के दशक से अबतक नए नए रोगों की जानकारी मिल रही है। हाल ही में एक नया रोग जो कोरोना वाइरस के नाम से जाना जा रहा है पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है : ज्योतिष पंकज झा शास्त्री


राजेश कुमार वर्मा 

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 20 मार्च,20 ) । मिथिला के सुप्रसिद्ध ज्योतिष पंकज झा शास्त्री के अनुसार एक अध्ययन के अनुसार पता चलता है कि 1970 के दशक से अबतक नए नए रोगों की जानकारी मिल रही है। हाल ही में एक नया रोग जो कोरोना वाइरस के नाम से जाना जा रहा है पूरे विश्व को हिला दिया है, यह रोग बड़ी तेजी से अपना पैर फैला रहा है। जिस कारण लगभग सभी क्षेत्रों में अर्थ व्यवस्था चरमरा सी गई है। ऐसा माना जाता है कि कोरोना वाइरस से ग्रसित लोग जिस स्थान पर छिकते या जोड़ से खांसते है उस स्थान पर 48 घंटा तक असर रहता है। इस बीच जो लोग उस स्थान के संपर्क में आते है उसे भी यह रोग होने की संभावना होती है। कोरोना वाइरस से संक्रमण के बाद इसके लक्षण देखने में पांच दिन या इससे अधिक का समय लग सकता है। परंतु इस रोग से घबराने की जरूरत नहीं है साथ ही बहुत सतर्कता से इस रोग को परास्त करना संभव है। सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन द्वारा अपने स्तर से इस रोग से निपटने के लिए युद्ध स्तरीय कार्य कर रही है। फिर भी हम यह कह सकते है कि हमारे भारतीय परंपरा एवं हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार हवन को अधिकतर अनुष्ठानों में प्रमुखता दिया गया है ऋग्वेद एवं तंत्र शास्त्र के अनुसार प्राचीन ऋषि मुनि द्वारा कई प्रकार के जड़ी बुटी द्वारा हवन विधि कर कई असाध्य रोगों को नियंत्रित किया जाता रहा। हवि, हव्य अथवा हविष्य जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है, हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित के बाद या पश्चात इस पवित्र अग्नि में फल, सहद, घी, काष्ठ इत्यादि प्रदार्थों की आहुति प्रमुख होती है। वायु प्रदूषण कम करने एवं असाध्य रोग के नकारात्मक प्रभाव को कम करने हेतु विद्वान लोग यज्ञ करते थे। अग्नि में जब औषधिय गुण वाली लकड़ियां और गाय घी डालते थे तो हवन का प्रभाव बढ़ जाता था साथ ही इस हवन का औषधिय धुंआ लगने से शरीर के रोग कमजोर पर जाते थे। प्राचीन काल में भी रोग तो होता था परन्तु उस समय में भी असाध्य रोग से मुक्ति हेतु अनुष्ठान के पश्चात यज्ञ विधि अपनाते थे। जो विधि आज भी रोग मुक्त हेतु कारगर है। प्राचीन काल में रोगी के स्वस्थ हेतु विभिन्न प्रकार के हवन होती थी। कालांतर में यज्ञ या हवन मात्र धर्म से जुड़कर रह गया है और इनके अन्य उद्देश्य लोगों द्वारा भुला दिया गया। यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ साधन है तथा रोग के साथ अन्य घातक संक्रमण को भी रोकना संभव हो सकता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंकज झा शास्त्री की रिपोर्ट सम्प्रेषित ।

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