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बिहार के लगभग 227 सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षेत्तर कर्मचारियों के सामने वेतन के अभाव में भूखमरी की समस्या उत्पन्न हुई



नियम कानून पालन नहीं करने से समस्तीपुर के कई सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय अनुदान से वंचित होंगे क्या...?

मिथिला हिन्दी न्यूज टीम 

पटना,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 01 मार्च, 20 ) । बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश के बावजूद भी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं रजिस्ट्रारों के द्वारा पालन नहीं किए जाने के कारण नारकीय स्थिति महाविद्यालयों में पैदा हो गई है। बिहार के लगभग 227 सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षेत्तर कर्मचारियों के सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। बार-बार सरकार के द्वारा आदेश निर्देश देने के बाद भी महाविद्यालय के प्राचार्य, सचिव एवं महाविद्यालयों के संचालक के भ्रष्टाचारी रवैए के कारण 2012 से अब तक के बंकाए अनुदान की राशि भुगतान पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक महाविद्यालयों को सरकार के स्पष्ट निर्देशों का पालन विश्वविद्यालयों के द्वारा नहीं कराये जाने से सरकार का सिरदर्द बना हुआ है । सरकार ने कई बार विश्वविद्यालयों को चेतावनी दिया कि महाविद्यालयों में शिक्षकों की वरीयता सूची बनाकर, आंतरिक स्रोतों से प्राप्त आय को शिक्षकों के वेतन के रूप में 70% का वितरण बायोमेट्रिक उपस्थिति बनवाने के आदेश के बावजूद भी व्यवस्थापक, प्रधानाचार्य एवं सचिव अपने-अपने चहेतों को अवैध लाभ देने के लिए तमाम सरकारी आदेशों का पालन नहीं करते हैं और ना हीं विश्वविद्यालय पालन करवाना चाहती है, क्योंकि त्रुटी रहने पर विश्वविद्यालय को भी अवैध लाभ मिलता रहेगा। बिहार की सुशासन की सरकार और भाजपा, आर.एस.एस. समर्थित राज्यपाल नहीं चाहते हैं कि शिक्षा में सुधार हो। जिसके कारण महाविद्यालयों में व्यवस्थापक के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना नहीं चाहते हैं। पूरे बिहार में शिक्षकों एवं शिक्षेत्तर कर्मियों के बीच भुखमरी की समस्या से लेकर आत्मदाह करने को विवश होना पड़ रहा है। पूरा जीवन आशा में गुजारने के बाद भी किन्हीं शिक्षक और कर्मचारी को भरपेट भोजन ममोसर नहीं होता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित राजकुमार राय की रिपोर्ट ।

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