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बाबा बख्तावर के जन्मोत्सव पर खानपुर अखाड़ा में पहुंचे 30 हजार से ज्यादा लोग


बाबा बख्तावर के जन्मोत्सव पर जिले के खानपुर अखाड़ा में जनसैलाब उमड़ा नालंदा, गया, शेखपुरा, जहानाबाद समेत कई जिलों के लोग शामिल

सुनील कुमार/ आलोक वर्मा

नवादा,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 07 मार्च,20 ) । नवादा जिले में बाबा बख्तावर के जन्मोत्सव पर नवादा जिले के खानपुर अखाड़ा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा । इस मौके पर नालंदा, गया, शेखपुरा, जहानाबाद समेत कई जिलों से भी लोग पहुंचे थे। 30 हजार से ज्यादा अनुयायियों ने खानपुर पहुंचकर बाबा बख्तावर की पूजा-अर्चना की। 
सनद रहे कि हिसुआ-नवादा रोड में खानपुर में जमे अखाड़े में यादव समुदाय के लोगों ने 101मन धूप और 100 मन काला तिल, 100 मन जौ, 100 लीटर घी का हवन कर मानव की खुशहाली की मन्नते मांगीं। इस दौरान नवादा विधायक और जदयू नेता कौशल यादव, जिला परिषद सदस्य चुन्नू सिंह सहित उपेंद्र भगत, रामवृक्ष यादव, कौशल प्रसाद, अर्जुन यादव, पवन कुमार, अखिलेश यादव, अंबिका यादव आदि कई लोग खानुपर पहुंचे थे।
25 वर्षों से किया जा रहा है आयोजन : आयोजन समिति से जुड़े अर्जुन यादव ने बताया कि बाबा बख्तावर का पूजन उत्सव कार्यक्रम लगभग पिछले 25 वर्षों से लगातार किया जा रहा है। भगवान बख्तावर की महिमा अपरंपार है। जो भी व्यक्ति इनके सामने मत्था टेक सच्चे मन से मन्नतें मांगता है, बाबा उसकी मुराद पूरी करते हैं। मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु बाबा की पूजा करना नहीं भूलते हैं। यही कारण है कि खानपुर में हर साल हो रहे आयोजनों में भीड़ बढ़ती ही जा रही है। रामरक्षा यादव, अर्जुन यादव, कैलाश यादव आदि लोग आयोजन को सफल बनाने में जुटे थे। श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए भी कई प्रकार की व्यवस्था की गई है।
28 परिवार के कुल 100 से ज्यादा बच्चों का हुआ मुंडन :
पिछले तीन दिनों से चल रहे इस पूजनोत्सव में 28 परिवार के करीब 100 से अधिक बच्चों का मुंडन कराया गया। खानपुर में यह आयोजन पिछले तीन दिनों से चल रहा है। आयोजन में करीब 200 से ज्यादा सिद्ध भगत हिस्सा ले रहें हैं। इनमें से 66 भगत मुख्य भगत उपेंद्र यादव के नेतृत्व में मानर की थाप पर बिरहा गाते और नाचते रहे। इस खानुपर में मेला सा नजारा रहा। पहुंचे हजारों महिलाओं और पुरुषों ने खरीदारी की। बच्चों के लिए मिक्की माउस, झूले आदि लगाए गए थे।
हंडियों को नंगे हाथों से चलाते रहे भगत : पूजन उत्सव के दौरान भगत के द्वारा गर्म खीर की हांडियों में हाथ डालकर खीर निकालता देख वहां हजारों लोग बाबा बख्तावर के जयकारे लगाने लगे। भगत के इस करतब को देख लोग स्तब्ध रह गए और इसे बाबा बख्तावर की महिमा मानकर जयकारे लगाते रहे। 
मानवता के रक्षक संत थे बाबा बख्तावर : गोविंदपुर के पूर्व विधायक कौशल यादव ने कहा कि बाबा बख्तावर अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक थे। उन्होंने गरीबों को जुल्म से मुक्ति दिलाया था। बाबा बख्तावर हमारे समाज के आराध्य देव हैं। बाबा बख्तावर प्राण रक्षक संत थे। उनके अंदर ईश्वरीय शक्ति का समावेश था। वे दया और करुणा के सागर थे। बाबा बख्तावर किसी भी प्राणी को दुखी अथवा संकट में नहीं देख सकते थे। उन्होंने इसी महानता को लेकर अपनी शहादत दी।
क्या है मान्यता : आयोजन समिति के अर्जुन यादव ने बताया कि उन्होंने कहा कि एक बार राजा ददेल सिंह ने अपने हलवाहा की पिटाई इस लिए कर दिया की उसने एक प्यासे फकीर को हल खड़ा कर पानी पिलाया था। उसने कहा वह फकीर कोई और नहीं बाबा बख्तावर थे। इस घटना के बाद से ही राजा ददेल सिंह के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बाद में उसकी रानी विरक दइया को स्वप्न में बाबा बख्तावर ने पूजा करने को कहा। स्वप्न के बाद रानी ने पूजा किया तो उसे फिर से सारा वैभव हासिल हो गया। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुनील कुमार/आलोक वर्मा की रिपोर्ट सम्प्रेषित ।

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