अपराध के खबरें

इस विपदा की घड़ी में बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों को उनके द्वारा किए गए कार्यवधि का वेतन बिहार की निरंकुश शासक के द्वारा रोका जानाक्या मानवीय संवेदनाओं के आधार पर राज्य सरकार का ये निर्णय तर्क संगत है

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 28 मार्च,20 ) । मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखकर बिहार की जद यू और भाजपा की सरकार जिसकी अगुवाई नीतीश कुमार कर रहे है, ने बिहार के चार लाख शिक्षकों का माह जनवरी से ही वेतन रोककर हड़ताली शिक्षकों एवम कम से कम 15 लाख आश्रितों को कोरोना के आग में झोंकने का निर्णय लिया है । एक तरफ जहां केंद्र और अन्य राज्य की सरकारें इस अंतरराष्ट्रीय आपदा की घड़ी में हर आम व खास के लिए राहत की घोषणाएं कर रही तथा जीवन की न्युनतम जरूरतों को मुफ्त में लोगो तक पहुचाने में जुटी है वही बिहार की जद यू और भाजपा की सरकार शिक्षकों के उस माह का वेतन भी दुर्भावनावस नही देने का फ़ैसला कर ली जिस महीने में वे हड़ताल पर नहीं थे। आखिर लोकतांत्रिक तरीके से बनी सरकार महामारी के इस विकट परिस्थिति में अपने ही कर्मचारियों के लिए इतना क्रूर निर्णय कैसे ले सकती है . ? 2014 के संसदीय चुनाव के बाद विरोधीदल के कई नेताओ से सुना कि अगर भाजपा 2019 का चुनाव जीत जाती है तो संभव है उसके बाद देश मे चुनाव ही न हो या फिर चुनाव एक खानापूर्ति बनकर रह जायेगी ।ऐसा इसलिए कि देश तानाशाही के रास्ते चल चुकी होगी ।आज संकट की इस घड़ी में जब देश मे कोरोना को लेकर एक अनिश्चितता एवम भय का माहौल बनता जा रहा है तो अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही है कि इन हड़ताली शिक्षकोंऔर उनके आश्रितों पर क्या गुज़र रही होगी। लेकिन ये भाजपा और जद यू की सरकार इनका वेतन रोककर ये साबित कर दिया कि देश तानाशाही रास्ते पर अपेक्षा से अधिक आगे निकल गई। राज्यकर्मियों को सरकार से अपनी मांगे मांगने का संवैधानिक हक़ है और समय समय पर कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन भी किया है ।पर पूर्व की सरकारें आंदोलनकरियो से बदले की भावना से इतर कुछ अपनी मज़बूरी बताकर तो कुछ उनकी मांगों को मानकर आगे बढ़ती थी तो लगता था कि सरकार हमारी भी है।पर अब तो ये सरकार आंदोलनकारियों से बात करने में भी अपना तौहीन समझती है जो कि तानाशाहीयों का लक्षण है।
अब सोचना शिक्षकों को होगा । आपके हाथों में सृष्टि और प्रलय दोनों है।
 इस विपदा की घड़ी में बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों को उनके द्वारा किए गए कार्यवधि का वेतन बिहार की निरंकुश शासक के द्वारा रोका गया है ।समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live