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लॉकडाउन की घोषणा के 4 दिन ही बीते हैं और देखा जा रहा हे कि लोग इस लाॅकडाउन से परेशान होकर घर से बाहर निकलने के लिए व्याकुल है जो कि कॉरोना वायरस से बचने का रास्ता नहीं है

हमारे देश में जिस तरह से कोरोना वायरस का डर बढ़ता जा रहा है ऐ चिंता जनक है। इस आपदा की घड़ी में लोगों द्वारा की जा रही लापरवाही कई जिन्दगियों पर भारी पड़ सकता है 

सुमन सौरभ सिन्हा

समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 28 मार्च,20 ) । प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा कोरोना वायरस से बचाव के लिए किया गया 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के 4 दिन ही बीते हैं और देखा जा रहा हे कि लोग इस लाॅकडाउन से परेशान होकर घर से बाहर निकलने के लिए व्याकुल है जो कि कॉरोना वायरस से बचने का रास्ता नहीं है।
   कल्पना कीजिए 40-60 साल पहले जब लोगों को मियादी बुखार आती थी तो कैसे लोग 20-30 दिनों तक घर से बाहर नहीं निकलते थे कि कही बाहर दुसरों को ना हो जाए और चेचक जैसी बीमारी होने पर भी लोग 14 दिनों तक घर से न निकलते थे और न ही परिवार के अन्य सदस्य उनके संपर्क में आते थे चूँकि वह छूत की बीमारी थी जो वायरस संक्रमित होने के कारण एक दूसरे में फैलने लगती थी।
 हमारे देश में जिस तरह से कोरोना वायरस का डर बढता जा रहा है या चिंता जनक है। इस आपदा की घड़ी में लोगों द्वारा की जा रही लापरवाही कई जिन्दगियों पर भाडी पड़ सकती है इसलिए हम सब की यह मौलिक जिम्मेदारी है कि हम सभी मिलकर वायरस को दूर भगाने हेतु मियादी बुखार व चेचक जैसी बीमारी में किए गए कार्य जैसे घर से बाहर ना निकलना और किन्हीं भी व्यक्तियों से संपर्क नहीं रखने का प्रयत्न करें और कॉरोना को देश से भगाने में मदद करें। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सुमन सौरभ सिन्हा की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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