मानव को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता हैं परन्तु मानव ने ही सबसे ज्यादा नुकसान प्रकृति और वन्य जीवों के साथ किया है आज मानव ही मानवता को शर्मशार करने लगा है जिसका परिणाम तो भुगतना ही होगा इसमें कोई संदेह नहीं है।
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 29 मार्च,20 ) ।
अभी तो सिर्फ संकेत है खतरा अभी टला नहीं है जिसका भयावह अनुमान किया जा सकता है। मानव को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता हैं परन्तु मानव ने ही सबसे ज्यादा नुकसान प्रकृति और वन्य जीवों के साथ किया है आज मानव ही मानवता को शर्मशार करने लगा है जिसका परिणाम तो भुगतना ही होगा इसमें कोई संदेह नहीं है। हमने अपने लेख में पहले ही कहा था कि बेशक विज्ञान तरक्की की ओर आगे बढ़ रहा हो परन्तु यदि भौतिक सुख सुविधा की ओर ध्यान न दे और ज्योतिष दृष्टि से सूक्ष्म अध्यन किया जाय तो वास्तविकता हम कई स्तर विनाश की ओर कदम बढ़ा चुके है। मानव अपने स्वार्थ के कारण प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने या तालमेल बनाने में असफल होते हुए दिख रही है। प्रकृति के द्वारा दिए जा रहे हर झटके को समझना होगा अन्यथा मानव द्वारा छोटी सी भी गलती बहुत भयंकर परिणाम को प्रत्यक्ष ला सकता है, जो बहुत दूर नहीं है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंकज झा शास्त्री 9576281913 की आलेख सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma