" गंगा सेवकों ने देखा दीनापुर एसटीपी का काम "
" दीनापुर स्थित 80 व 140 एमएलडी की स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का किया निरीक्षण"
वाराणसी,उत्तरप्रदेश ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 01 फरवरी,20 ) । नमामि गंगे (गंगा विचार मंच) एवं गंगा प्रहरी के सदस्यों ने रविवार को दीनापुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया । दीनापुर स्थित 80 व 140 एमएलडी की स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम बारीक नजरों से देखा । इस दौरान एसटीपी की क्षमता के अनुसार कार्य करने की दक्षता का आकलन किया गया। विदित हो कि गंगा में गिर रहे नालों को रोकने के लिए दोनों एसटीपी का कार्य अति महत्वपूर्ण है । 22 करोड़ लीटर प्रतिदिन शोधन क्षमता वाले एसटीपी के बारे में जानकारी देते हुए इंजीनियर विवेक सिंह एवं शाहनवाज ने बताया कि गंदे पानी को कई स्तर से साफ किया जाता है । सर्वप्रथम सीवर के साथ बहकर आने वाले सॉलि़ड वेस्ट कूड़ा- कचरा, पॉलिथीन, धूल, मिट्टी एवं अन्य गंदगी को स्क्रीनिंग चेंबर में अलग किया जाता है । तदुपरांत गंदे जल को दो लेवल की फिल्टर के बाद प्राइमरी सेटलिंग प्लांट में ले जाया जाता है । सेटलिंग प्लांट में हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने का प्रोसेस बायोमास के माध्यम से किया जाता है । जिसके तहत अच्छे बैक्टीरिया बुरे बैक्टीरिया को समाप्त कर देते हैं।
एएसपी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके एरिक्सन चेंबर में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड के तहत पानी को लाइफ प्रदान करने के लिए ऑक्सीडीशन प्रदान किया जाता है। पानी में ऑक्सीजन की समाप्ति की वजह से मृत पानी को जीवित करने के लिए ऑक्सीजन भरा जाता है ताकि पानी में ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट फुलफिल हो सके । पानी साफ है कि नहीं इसकी गुणवत्ता की माप पानी के हल्के भूरे रंग से हो जाती है । उसके पश्चात सेकेंडरी स्टेज के ट्रीटमेंट में थोड़ा-बहुत जो गंदगी रह जाती है उसको साफ किया जाता है अंत में पानी में क्लोरीन मिलाकर मल संबंधी क्लोरोफॉर्म को खत्म किया जाता है । प्रतिदिन प्लांट में ही लेबोरेटरी के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की जांच की जाती है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि अस्सी से वरुणा तक 84 घाटों के ऊपर निवास करने वाली जनता का मल - जल दीनापुर एसटीपी में ही लाया जाता है । वाराणसी शहर की 07 लाख आबादी के सीवेज का ट्रीटमेंट दीनापुर एसटीपी में किया जाता है । ठोस अपशिष्ट( स्लेज) को अलग करके गैस प्लांट के माध्यम से रोजाना 6000 यूनिट बिजली उत्पादित की जाती है। बचे हुए अपशिष्ट की खाद बनाकर किसानों तक पहुंचाई जाती है। बचे हुए प्लास्टिक सामग्रियों का अलग से निस्तारण किया जाता है । जानकारी के पश्चात नमामि गंगे गंगा विचार मंच के संयोजक राजेश शुक्ला ने शहरवासियों से यह अपील की है कि लोग प्लास्टिक पॉलिथीन जैसे ठोस अपशिष्ट नालियों में ना बहाएं ताकि शहर में सीवेज नालियों के जाम की समस्या से छुटकारा मिल सके और सीवेज को साफ करने के दौरान अधिक समय न लगे और कार्य में लगने वाले सरकारी रुपयों का भी बचाव हो सके । अवसर पर नमामि गंगे गंगा विचार मंच के प्रांत संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर संयोजक शिवदत्त द्विवेदी, महानगर सह संयोजिका पायल सोनी, महानगर सह संयोजक शिवम अग्रहरी, भारतीय वन्यजीव संस्थान से सुनीता रावत, गंगा प्रहरी के संयोजक दर्शन निषाद, चंद्रबली साहनी, राजेश साहनी, पायल शर्मा आदि उपस्थित रहे ।
राजेश शुक्ला गंगा सेवक, संयोजक नमामि गंगे /सहसंयोजक गंगा विचार मंच काशी प्रांत, सदस्य जिला गंगा समिति वाराणसी, ब्रांड अंबेसेडर नगर निगम वाराणसी इत्यादि शामिल थे। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित दीपक कुमार शर्मा की रिपोर्ट ।