बिहार की राजधानी पटना प्रारंभिक काल से ही शिक्षा के केंद्र बिंदु रही यहां के शिक्षकों का डंका पूरे देश ही नहीं विदेशों तक मे बजता आ रहा है
पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 02 मार्च,20 ) । उपलब्धियों भरी फेहरिश्त पटना में एटीएस डीआईजी विकास वैभव ने किया सम्मानित तो दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के हाथों सम्मानित हुए गणित के जादूगर एमके झा. दिनांक 29 फरवरी को my brand better ने श्री m.k.jha को Indian Excellence Education award 2020 से सम्मानित किया । सम्मान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री श्याम जाजू के हाथों दिल्ली में दिया गया । गणित के जादूगर के रूप में विख्यात चर्चित शिक्षक एमके झा बिहार के श्रेष्ठ शिक्षकों में शामिल हैं जिनसे पढ़ने की तमन्ना लिए हजारों छात्र पटना आते हैं. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में इनका झा क्लासेज आज बिहार में स्थापित है बिहार की राजधानी पटना प्रारंभिक काल से ही शिक्षा के केंद्र बिंदु रही यहां के शिक्षकों का डंका पूरे देश ही नहीं विदेशों तक मे बजता आ रहा है । इसी पटना के नया टोला सेंट्रल बैंक बिल्डिंग के द्वितीय तल पर संचालित होता है झा क्लासेज. जहां हजारों की तादाद में छात्र विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए गणित पढ़ने इनके पास आते हैं .मूल रूप से ग्राम शाहपुर पंडोल जिला मधुबनी के निवासी एमके झा के पिता श्री तारा कांत झा व्यवसाय मे थे।एककृत बिहार में बोकारो में स्कूली शिक्षा आदर्श मध्य विद्यालय चास बोकारो से तथा दसवीं की शिक्षा राम रूद्र हाई स्कूल जोधाडीह मोड़ बोकारो से हुई 1986 में इन्होंने मारवाड़ी कॉलेज रांची से इंटर की परीक्षा और 1989 में रांची कॉलेज से गणित प्रतिष्ठा में स्नातक की डिग्री ली पढ़ाई समाप्त होने के बाद प्रतियोगिता परीक्षाओं में लगे सर्वप्रथम इनका चयन पटना के एलएन मिश्रा संस्थान के लिए हुआ लेकिन इन्होंने एडमिशन नहीं लिया तत्पश्चात असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के रूप में मुंबई रेलवे के लिए चयनित हुए उन्होंने वहां भी ज्वाइन नही किया. उसके बाद असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के तौर पर महेंद्र रेलवे बोर्ड के लिए भी चयनित हुए लेकिन इनके मन में बचपन से ही लीक से अलग कुछ कर गुजरने की चाहत थी. जो ज्ञान इनके पास है छात्रों के बीच बांटा जाए तो बिहार से हजारों की तादाद में छात्र विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए चयनित हो सकते हैं. इस जज्बे के साथ 25 वर्षों से छात्रों को पढ़ाने वाले एम के झा के10 हजार से ज्यादा छात्र विभिन्न सरकारी नौकरियों में उच्च पदों तक आसिन है. 1996 में महेंद्रु पोस्ट ऑफिस के पास 4 बच्चों से अपने संस्थान की शुरुआत करने वाले झा वर्ष 1998 में बिहार के प्रतिष्ठित करतार कोचिंग से जुड़े गणित पढ़ाने की कला के कारण छात्रों की भीड़ खिंची चली आती थी .वर्ष 2000 से 2011 तक पटना के गोपाल मार्केट में इन्होंने छात्रों को पढ़ाया तत्पश्चात वर्ष 2012 में करतार कोचिंग छोड़कर इन्होंने खुद का झा क्लासेस नाम से नया टोला सेंट्रल बैंक बिल्डिंग के द्वितीय तल पर अपने संस्थान की स्थापना की. खुद का संस्थान होने के बाद छात्रों से सीधा संवाद कुछ ज्यादा ही होने लगा भीड़ बढ़ने लगी सफलता मिलने लगी और झा क्लासेस बिहार का प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान बन गया. गणित के जादूगर के रूप में प्रसिद्ध एमके झा की प्रसिद्धि आज की तारीख में इतनी है कि विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले पटना आने वाले छात्र इनके संस्थान में गणित पढ़ना नहीं भुलते. आज भी निर्धन विकलांग छात्रों को उनके संस्थान में नाममात्र के शुल्क पर शिक्षा दी जाती है. इनके संस्थान में लाइव वीडियो क्लासेज की व्यवस्था भी है. सफलता की कहानी इनकी धर्मपत्नी बबीता झा के बिना अधूरी है 25 वर्षों के पढ़ाने के अभियान मे इनका योगदान काफी बेहतर है.संस्थान का प्रबंध ये संभालती ही है साथ ही साथ तथ्यात्मक जरूरतों को भी पूरा करती हैं .उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली बबीता झा छात्रों के आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके लिए आर्थिक आधार पर भी काफी सहूलियत की व्यवस्था करती हैं .इनके संस्थान में पढ़ने वाले छात्र कहते हैं इनके पढ़ाने की तकनीक काफी अलग है जिस कारण से गणित जैसे कठिन विषय भी छात्रों को कंठस्थ हो जाते हैं. जिस तकनीक से पढ़ाते हैं .उसके कारण विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में गणित के प्रश्न हल करना काफी आसान हो जाता है .इसी कारण छात्रों की दिली तमन्ना रहती है कि वह झा क्लासेज मे जरूर पढ़े. विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित गणित के जादूगर एमके झा को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया पूर्व सीबीआई डायरेक्टर जोगिंदर सिंह तथा देश के प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका आउटलुक ने श्रेष्ठअवार्ड से भी सम्मानित किया है. बातचीत के क्रम में उन्होने बताया कि पढ़ने पढ़ाने के अलावा वे कुछ भी नहीं सोचते हैं उन्हें लगता है कि छात्रों के अंदर सब कुछ है बस उसे परोसने की कला सीखनी है. गणित के बारे में छात्रों के दिमाग में बचपन से ही बैठा दिया जाता है कि कठिन है लेकिन तकनीक के माध्यम से पढ़ाते है जिससे छात्रों को लगता है कि अन्य विषय से गणित के सवालों को हल करना काफी आसान है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट ।