बच्चों एवं किशोरों के स्कूल एवं कॉलेज बंद होने के कारण वे घर पर बैठने को मजबूर हैं. बाल्यावस्था एवं किशोरवस्था उत्साह एवं उर्जा का समय होता है. ऐसे में यदि उन्हें अचानक घर पर बैठना पड़ जाए तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर यह प्रतिकूल असर भी डालता है
• हर बच्चे के साथ अलग से समय बिताएं
• अपने बच्चे की जरूरतों को सुनें
• अच्छा व्यवहार करने पर बच्चे की करें प्रशंसा
• किशोर-किशोरियों की पसंद का रखें ख्याल
पुर्णिया,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 30 मार्च,20 ) । दिन पर दिन कोरोनावायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है. इसको लेकर लोगों के मन में डर भी बढ़ता जा रहा है. ऐसी परिस्थिति में बच्चे एवं किशोर भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं. बच्चों एवं किशोरों के स्कूल एवं कॉलेज बंद होने के कारण वे घर पर बैठने को मजबूर हैं. बाल्यावस्था एवं किशोरवस्था उत्साह एवं उर्जा का समय होता है. ऐसे में यदि उन्हें अचानक घर पर बैठना पड़ जाए तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर यह प्रतिकूल असर भी डालता है. इसलिए ऐसे समय में जरुरी है कि घर के माता-पिता बच्चों एवं किशोरों को अधिक समय दें. उनकी समस्या सुनें एवं उनके साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करें ताकि उनके ऊपर संक्रमण का डर हावी ना हो सके. इसको लेकर पेरेंटिंग फॉर लाइफ लॉन्ग हेल्थ, द यूरोपियन रिसर्च काउंसिल, यूनिसेफ,सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, द लीवरहुलम ट्रस्ट, द इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च काउंसिल एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी अन्य संस्थाओं के सहयोग से दिशा-निर्देश जारी किया गया है.
हर बच्चे के साथ समय बिताने के लिए अलग समय तय करें:
पूरे देश में लॉकडाउन के कारण बच्चे घर पर रहने को मजबूर हैं. वह घर से बाहर निकलकर ना अपने दोस्तों से मिल सकती हैं और ना ही अपने पसंद के खेल बाहर खेल सकते हैं. इसलिए यह जरुरी है कि माता-पिता घर के हर बच्चे के साथ समय बिताने के लिए अलग समय तय करें. यह सिर्फ 20 मिनट या उससे अधिक समय के लिए भी हो सकता है. समय का निर्धारण माता-पिता अपने सुविधा के अनुसार करें. हर रोज एक ही समय हो सकता है ताकि बच्चे इस समय का इंतजार करें.
अपने बच्चे से पूछें कि वे क्या चाहते हैं:
बच्चे से जरुर पूछें कि घर पर रहकर वे क्या करना चाहते हैं. इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा एवं यदि बच्चे अपने पसंद की चीजें करेंगे तब वे कोरोना संक्रमण की बातें सोचने से कुछ देर मुक्त हो सकेंगे. साथ ही वे आपके और करीब आ सकेंगे.
अपने बच्चे के साथ ऐसे बिताएं समय:
• गाना गायें, चम्मच एवं बर्तनों से संगीत बनायें
• उनके चेहरे के भाव और आवाजों को दोहराएँ
• कप या ब्लॉक को एक के ऊपर दूसरे को रखें
• किताब पढ़ कर या चित्र दिखाकर, एक कहानी बताएं
• स्कूल के काम में बच्चों की मदद करें
किशोर-किशोरियों की भावनाओं का भी रखें ख्याल:
बच्चों के साथ घर के किशोर एवं किशोरियों की भावनाओं का भी ऐसे समय में ख्याल रखें. उनसे भी बात करें एवं उनके मन में चल रही बातों को जानने की कोशिश करें.
• उनकी पसंदीदा चीजों जैसे खेल, टीवी शो एवं उनके दोस्तों के बारे में बात करें
• साथ में व्यायाम करें
• उनकी हॉबी के बारे में बात करें
• उनकी बातें सुनें, उनकी तरफ देखें. उनपर अपना पूरा ध्यान दें
आपका सकारात्मक व्यवहार है जरुरी:
अपने बच्चे के प्रति अभी आपके सकारात्मक व्यवहार की अधिक जरूरत है. कोरोना संक्रमण की बातें सुनकर घर के बच्चे अधिक डर सकते हैं. इसलिए अभी आपको अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की सख्त जरूरत है.
यह जरुर करें:
• अच्छा व्यवहार करने पर अपने बच्चों की प्रशंसा करें
• बच्चों को घर में रहकर अपनी मर्जी की कुछ चीजें करने की छूट दें
• बच्चों पर गुस्सा ना करें. बच्चों से प्यार से बात करें
• अपने बच्चों की जरूरतों को सुनें एवं उनपर ध्यान दें । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा राजीव रंजन कुमार की रिपोर्ट सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma