होली की कथा तीन देवों के कथा से प्रचलित है, जिसमें विष्णु, कृष्ण और महादेव की कथा है। इसलिए होली का रंग श्री गणेश के साथ इन देवों को अर्पण करके और अपने इष्ट या कुल देवी देवता को अर्पण करने के बाद ही होली का रंग खेलना उचित होगा।
राजेश कुमार वर्मा
मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 06 मार्च,20 ) । रंगो का हम सभी के जीवन में बहुत महत्व है। रंग जीवन का अभूतपूर्व हिस्सा है और यह सभी जगह है। वैसे मुख्यत: रंग सात प्रकार के होते है, जिसको गणितीय मिश्रण करके कई रंगो को बनाए जा सकते है। रंगों का महत्त्व और खास बन जाता है जब होली के दिन लोग कई रंगो में दिखने लगते है। अक्सर आपने राशि के अनुसार तो रंगो के प्रयोग के बारे में पढ़ा या सुना होगा। आज हम आपको रंगो के गणितीय विधि से संक्षिप्त जानकारी दे रहे है जिसे ध्यान में रखकर आप होली के रंगों का उपयोग कर और भी रंगीन बना सकते है। प्राथमिक रंग- यह वह रंग होते है जो मिश्रित करके नही बन सकते, इन रंगो को मिश्रित करके कई रंग बना सकते है, मानिय दृष्टि के लिए केवल तीन प्राथमिक वरण ही प्रयोग में होते है यह रंग स्वेत प्रकाश के कारण होते है। जैसे- लाल+हरा+नीला=सफेद, द्वितीयक रंग- यह वह रंग है जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र नही है, इन्हे प्राथमिक रंगो को मिश्रित करके बनाया जाता है जैसे- लाल+नीला=रानी रंग, हरा+लाल=पीला, हरा+नीला=पिकाक नीला, विरोधी रंग- यह वह रंग है जो प्राथमिक रंग और द्वितीयक रंग के मिश्रण से बनते है ओस्टवाल्ड चक्र के अनुसार सामने सामने वाले रंग विरोधी रंग होते है जैसे- नीले का विरोधी पीला, नारंगी का विरोधी आसमानी, वैगनी का विरोधी धानी रंग होता है। होली की कथा तीन देवों के कथा से प्रचलित है, जिसमें विष्णु, कृष्ण और महादेव की कथा है। इसलिए होली का रंग श्री गणेश के साथ इन देवों को अर्पण करके और अपने इष्ट या कुल देवी देवता को अर्पण करने के बाद ही होली का रंग खेलना उचित होगा।
रंगों के प्रतीक को समझकर भी आप अपने रिश्तों में रंगो का उपयोग कर सकते है। जैस- हरा रंग ताजगी उम्मीद और उत्साह का प्रतीक माना गया है।
बैंगनी रंग उत्साहवर्धक और आपसी प्रेम बढ़ाता है।
पीला रंग संपन्नता, खुशियां और उत्साह का प्रतीक है,
नीला रंग दिमाग को शांति रखने में सहायक है।
लाल रंग शुभता, शक्ति और प्रेम को बनाए रखने में प्रभावी होता है।
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंकज झा शास्त्री का आलेख सम्प्रेषित ।