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बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अनूप नारायण सिंह के कलम से पढ़िए रघुवंश बाबू जैसे लोगों का अपने ही दल में अज्ञातवास के क्या है मायने

रघुवंश बाबू को किसी जाति या जमात से बांधना भी उचित नहीं राजपूत जाति के लोगों को इस बात पर गर्व हो सकता है कि रघुवंश बाबू राजपूत है पर मेरा मानना है कि रघुवंश बाबू किसी एक जाति के नहीं एक ऐसे आधारस्तंभ है जिन्हें राजनीति में ईमानदारी की अनूठी मिसाल के रूप में याद किया जाएगा

अनूप नारायण सिंह

पटना, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 13 मार्च,20 ) । बिहार की राजनीति में रघुवंश प्रसाद सिंह जैसे लोग ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा दल के प्रति समर्पण भाव और पद की लालसा में कभी दलबदल को स्वीकार नहीं करने वाली पीढ़ी की आखिरी उम्मीद सरीखे वटवृक्ष है. इसे लालटेन वाली राजद पार्टी ने आज पूरी तरह बुझा दिया है राजद में रहते हुए एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनके खिलाफ किसी प्रकार का आरोप प्रत्यारोप नहीं केंद्र में मंत्री रहे ग्रामीण विकास के माध्यम से बिहार चप्पे-चप्पे पर सड़कों की सौगात दे दी जहां कहीं रहे अपनी अनूठी छाप छोड़ी. लगातार दो बार वैशाली से नौसीखिए लोगों से इसलिए चुनाव हार गए क्योंकि इन्होंने लालू का दामन नहीं छोड़ा. वैसे इस सच्चाई से रघुवंश बाबू भी अवगत है की लालटेन पार्टी से ज्यादा कद्र उनकी भाजपा या जदयू में है जहां उनकी विद्वता और कर्मठता की पूछ है पर आत्म निष्ठा के साथ कभी भी उन्होंने मौका परस्ती नहीं की जिस राजद के बुझते लालटेन को कई बार उन्होंने लौ दी उसी राजद ने राज्यसभा के एक अदद सीट के लायक ही इस ईमानदार नेता को नहीं समझा.रघुवंश बाबू को किसी जाति या जमात से बांधना भी उचित नहीं राजपूत जाति के लोगों को इस बात पर गर्व हो सकता है कि रघुवंश बाबू राजपूत है पर मेरा मानना है कि रघुवंश बाबू किसी एक जाति के नहीं एक ऐसे आधारस्तंभ है जिन्हें राजनीति में ईमानदारी की अनूठी मिसाल के रूप में याद किया जाएगा. मौकापरस्त राजनीति में मोहरे बना दिए गए रघुवंश बाबू लेकर आज बिहार के चप्पे-चप्पे में चर्चा है. चर्चा में कहीं न कहीं राजनीति में ईमानदारी की उम्मीद रखने वाले लोगों की वेदना भी समाहित है जिसकी बड़ी कीमत आने वाले विधानसभा चुनाव में राजद को चुकानी पड़ सकती है. राजद के सिपहसालार ओं को समझना चाहिए कि रघुवंश सिंह जैसे अंतिम पीढ़ी के ईमानदार लोग किसी के पास राज्यसभा सीट के लिए चिरौरी करने नहीं जाते और ना ही अपनी वेदना जाहिर करते है पर दल के लाखों कार्यकर्ता इस बात को भलीभांति समझते हैं कि जो दल रघुवंश बाबू जैसे समर्पित व्यक्ति का ना हुआ तो उनके जैसे अदने कार्यकर्ताओं का क्या होगा । समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट सम्प्रेषित ।

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