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एक कहावत है की लात के भुत बात से नहीं मानते हैं : खगड़िया जिले में तमाम जागरूकता के बाद लोग घर से निकलरहे बाहर, उड़ाई जा रही है जिला प्रशासन की धज्जियां

शमशेर बहादुर की रिपोर्ट

खगड़िया, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 24 मार्च,20 ) । खगड़िया जिले में कोरोना वायरस को लेकर तमाम जागरूकता के बाद भी लोग घर से बाहर निकल रहे हैं,लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति ना तो चिन्ता सता रही है, ना परिवार के प्रति,ना देश के प्रति चिन्ता है।बस कोई ना कोई बहाना बनाकर घर से पैदल, मोटरगाड़ी,मोटरसाइकिल से, ईरिक्शा से भीड़-लगाना शुरु कर देते हैं। जब खगड़िया के संवाददाता समशेर बहादुर ने जिले के कई जगहों का भ्रमण किया तो देखकर हैरान हो गया की खगड़िया के लोग सेहत के प्रति गंभीर नहीं दिख रहे।जरुरी काम का बहाना बनाकर, झुठी दलील देकर भीड़ खड़ा कर रहें हैं। बार बार समझाने के बाद भी चाहे वह टीवी के माध्यम से हो, या सोशल साइट के माध्यम हो या संचार के माध्यम से हो या माउथ के माध्यम से हो की कोरोना वायरस लाइलाज बीमारी है, छुआ-छुत की बीमारी है, एक दुसरे से सटने की बीमारी है के वावजूद लोगों की मानसिकता बदल नहीं रही है। घोर आश्चर्य एवं चिन्ता की विषय है। लोग इसे हल्के में ले रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भी सरकार के गाइड लाइनों के वावजूद भी लोग मानने को तैयार नहीं हैं। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, मिडियाकर्मियों अपने जान की परवाह ना करते हुए इस कोरोना वायरस के बचने-बचाने के मुहिम में लगे हुए हैं, बावजुद कुछ दुकान, कुछ लोग इस कोरोना वायरस को हल्के में ले रहा है।शायद लगता है की लात के भुत बात से नहीं मानेगें।जिला प्रशासन को ठोस कदम उठाने पर मजबुर किया जा रहा है। अब जिला प्रशासन को एक्शन में आना होगा।कारवाई करना होगा।तभी जाके ऐ लोग सुधरेगें। दुकानदार लॉकडाउन का मजाक बनाये हुए है। मैं फिर एक बार बताना चाहुँगा, देश के प्रधानमंत्री की बात करना चाहुँगा, राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बात करना चाहुगाँ की कोरोना वायरस से डरना नहीं, इससे लड़ना ओर अपनों को बचना एवं बचाना है। जिस तरह से लोगों ने जनता कर्फ्यु में साथ दिया है,उसी तरह से लॉकडाउन का भी साथ देना होगा। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट शमशेर बहादुर की रिपोर्ट सम्प्रेषित ।

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