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दिघवारा प्रखंड का अंबिका स्थान आमी न सिर्फ पूर्वाचल बल्कि उत्तरप्रदेश,उत्तर व मध्य बिहार के गृहस्थ श्रद्वालुओं व भक्तों की श्रद्वा स्थली हैं

 

बिहार की पावन व सांस्कृतिक धरती पर तीन सिद्धपीठ शक्तिपीठ हैं। सर्वमंगला ; छिन्नमस्तिका एवं अंबिका भवानी आमी । इन तीनों शक्ति पीठों में मुर्धन्य है सिद्धपीठ अंबिका स्थान।

अनूप नारायण सिंह 

छपरा/सारण, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 25 मार्च,20 ) । सारण जिला अन्तगर्त दिघवारा प्रखंड का अंबिका स्थान आमी न सिर्फ पूर्वाचल, उतर प्रदेश,उतरी व मध्य बिहार के गृहस्थ श्रद्वालुओं व भक्तो की श्रद्वा स्थली है। बल्कि वैष्णवी शक्ति उपासक व वाममार्गी कपालिक अवघुतों की साधना तथा सिद्वि की शक्तिपीठ है। मॉं अंबिका भवानी की महिमा अपरंपार है। माता के दरबार में हर किसी की मुराद पुरी होती है। नतीजन यहां नवरात्र में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
कल्याण मंदिर के तत्वाधान में प्रकाशित बिहार में शक्ति साधना, पुस्तक में प्रकाशित वर्णनन के अनुसार बिहार की पावन व सांस्कृतिक धरती पर तीन सिद्धपीठ शक्तिपीठ हैं। सर्वमंगला ; छिन्नमस्तिका एवं अंबिका भवानी आमी । इन तीनों शक्ति पीठों में मुर्धन्य है सिद्धपीठ अंबिका स्थान।        
बतातें चलें कि छपरा सोनपुर मध्य रेलवे व एनएच 19 के दिघवारा स्टेशन व अंबिका भवानी हाल्ट स्टेशन से 5 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम सारण गजेटियर द्वारा घोषित दक्ष प्रजापति क्षेत्र औैर क्षेत्र के बीच गंगा तट पर स्थित मॉं अंबिका भवानी मंदिर शक्ति साधकों के लिए विशेष महत्व का स्थान है।
इतिहास इस बात की साक्षी है चाहे तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही क्यों न हों सरकार गठन होने के पूर्व में भी मॉ अंबिका भवानी माथा टेके थे। इसके बाद ही उनकी मुराद पूरी हुयी थी।
*पौराणिक है मंदिर का इतिहास
मांर्कडेय पुराण में वर्णित राजा दक्ष की कर्मस्थली आमी में अवस्थित इस मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है।बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल एवं राजा सूरत की तपस्या स्थली रहीं है।
कहते हैं प्रजापति राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में महादेव को आमंत्रित नहीं किया गया था। लिहाजा सती ने पिता द्वारा अपमानित किये जाने पर हवन कुंड में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी। इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगें। उनके तांडव नृत्य को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को टुकड़े-टुकड़े कर दिये। उनके शव के टुकड़े जहॅा-जहॅा गिरे वही शक्ति पीठ के रूप में जाना गया।
*आमी में नहीं स्थापित होती है मां दुर्गा की प्रतिमाएं
लोग बताते है कि आमी में जब से मां अंबिका भवानी की पिंडी स्थापित हुआ। उस समय से हीं यहां मॉं दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित नहीं की जाती हैं। लोगों का भीड़ मंदिर में नवरात्र में लाखों की संख्या में जुटती है। मंदिर परिसर भक्तों से गुलजार रहता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट सम्प्रेषित ।

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