ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले माधवराव सिंधिया (1993) और माधव राज सिंधिया से भी पहले विजयाराजे सिंधिया ने (1967 में) कांग्रेस से बगावत करके जनसंघ का दामन थाम लिया था। हालांकि माधवराव सिंधिया बाद में वापस कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
सिंधिया के बाद पायलट की बारी, कयास लग रहे
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March 10, 2020
कांग्रेस पार्टी में बगावत और हलचल दौर जारी है मध्य प्रदेश से उठा राजनीतिक तूफान दिल्ली के रास्ते राजस्थान में आने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात हो चुकी है। एक और मुलाकात का दौर जारी है और संभवत शाम तक ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कई साथी विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम सकते हैं।राजस्थान में भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर सबकी निगाहें टिक गई है। यहां पर भी बताया जा रहा है कि सचिन पायलट अपने साथी विधायकों को लेकर कभी भी भाजपा में जाने की तैयारी कर सकते हैं।यह पहला मौका नहीं है जब ज्योतिरादित्य सिंधिया या सचिन पायलट कांग्रेस के साथ बगावत कर रहे हैं। यह बगावत दोनों नेताओं के खून में है दोनों नेताओं के पिता कांग्रेस में बड़े नेता हुआ करते थे, लेकिन एक समय ऐसा आया जब दोनों नेताओं के पिता उन्हें पार्टी के साथ बगावत की और अलग रास्ता अख्तियार किया।ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो कि माधव राज सिंधिया के बेटे माधव राज सिंधिया राजमाता विजयराजे सिंधिया के बेटे थे, और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सगे भाई। साल 1986 से 2001 तक सिंधिया गुना से सांसद रहे थे। वो कई बार केंद्रीय कैबिनेट में रहे।